दिल्ली
क्या ट्विटर ले गया रविशंकर प्रसाद की कुर्सी!
Adminनई दिल्ली | केंद्रीय कैबिनेट से रविशंकर प्रसाद का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि मोदी सरकार ढुलमुल रवैया बर्दाश्त नहीं करेगी। अधिकतर विश्लेषक मान रहे हैं कि प्रसाद को ट्विटर विवाद का खामियाजा भुगतना पड़ा। उनके जाने से ट्विटर पर काफी लोग खुश हैं मगर खुद प्रसाद गायब हैं। उन्होंने 6 जुलाई के बाद से कोई ट्वीट नहीं किया है। मंत्रिपरिषद में शामिल किसी नए चेहरे को बधाई तक नहीं दी। न ही अपने किसी साथी के प्रमोशन पर कोई ट्वीट किया। नई आईटी गाइडलाइंस और उन्हें लेकर ट्विटर को कई बार खरी-खोटी सुनाने वाले रविशंकर प्रसाद पूरे विवाद को ठीक से नहीं हैंडल कर पाए। किसान आंदोलन और कथित 'टूलकिट' को लेकर ट्विटर के साथ बहसबाजी पर पूरी दुनिया में खबरें चलीं। स्थिति यह हो गई थी कि कुछ घंटों के लिए प्रसाद का ही ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया गया। ट्विटर के साथ सरकार की खींचतान अभी तक जारी है।
एक कॉल और बदल गया सबका मूड
प्रसाद खुद को हटाए जाने से हैरान मालूम होते हैं। एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि रविशंकर प्रसाद अपने ऑफिस में थे, जब उनके पास एक 'कॉल' आया। इसी कॉल पर उन्हें बताया गया कि उनकी छुट्टी कर दी गई है। अखबार के अनुसार, कमरे का माहौल अचानक से बदल गया। प्रसाद इसके बाद वहां नहीं रुक सके और 'घर के लिए' निकल गए।
सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़
प्रसाद उन मंत्रियों में से थे जिनके 'ढीले-ढाले' तेवरों की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना होती थी। कई यूजर्स ने लिखा है कि प्रसाद के साथ-साथ प्रकाश जावड़ेकर (पर्यावरण मंत्री) और रमेश पोखरियाल निशंक का इस्तीफा इस बात का सबूत है कि सोशल मीडिया पर गुस्सा दिखाने का असर होता है। कुछ यूजर्स ने इस बात पर भी मौज ली कि प्रसाद के जाने से सबसे ज्यादा खुश ट्विटर के लोग होंगे। कुछ ने तंज भरे लहजे में लिखा कि राहुल गांधी से इस्तीफा मांगते-मांगते प्रसाद को खुद ही इस्तीफा देना पड़ गया।
कुल 12 मंत्रियों की हुई छुट्टी
ऐसा कम ही होता है जब केंद्रीय मंत्रिपरिषद में इतना बड़ा फेरबदल हो। प्रसाद के अलावा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक', श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार और रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा समेत कुल 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दिया। इस्तीफा देने वाले राज्य मंत्रियों में देबाश्री चौधरी (महिला एवं बाल विकास), रतन लाल कटारिया (जलशक्ति और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता), संजय धोत्रे (शिक्षा), प्रताप चंद्र सारंगी (पशुपालन), बाबुल सुप्रियो (पर्यावरण) और रावसाहेब दानवे पाटिल (उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण) शामिल हैं।