दिल्ली

अबू सलेम को लगा बड़ा झटका : 2027 नहीं 2030 होगी रिहाई

Paliwalwani
अबू सलेम को लगा बड़ा झटका : 2027 नहीं 2030 होगी रिहाई
अबू सलेम को लगा बड़ा झटका : 2027 नहीं 2030 होगी रिहाई

HIGHLIGHTS

  • अबू सलेम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

  • 2030 तक रिहा नहीं किया जा सकता 

  • अबू सलेम25 साल की हिरासत अवधि पूरी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्पष्टीकरण

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को 1993 मुंबई ब्लास्ट के आरोपी गैंगस्टर अबू सलेम (gangster abu salem) को बड़ा झटका दे दिया है, बता दें कि कोर्ट ने अबू सलेम की उस याचिका को खारिच कर दिया गया है, जिसमें उसने उसे सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रत्यर्पण संधि कोर्ट पर लागू नहीं होती इसलिए जो भी सजा होगी वह कोर्ट तय करेगी।

बता दें कि अबू सलेम ने याचिका में मांग की थी कि 2027 में 25 साल की सजा पूरी हो जाएगी, इसलिए उसे रिहा किया जाए। सलेम ने पुर्तगाल से प्रत्यपर्ण के वक्त किए गए वादों को पूरा करने की मांग करते हुए आजीवन कारावास की अवधि पूरी होने पर रिहाई की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैंगस्टर अबू सलेम को 2030 तक रिहा नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने पुर्तगाल का जिक्र करते हुए कहा कि वह तीन साल इस सजा का हिस्सा नहीं हैं। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि 2005 में प्रत्यर्पण हुआ है। तब से 25 साल की अवधी पूरी करने पर ही सलेम की रिहाई होगी। केंद्र सरकार भारत-पुर्तगाल के बीच एक्सट्रैडिशन ट्रीटी के बारे में राष्ट्रपति को सलाह दे सकती है। बता दें कि 10 नवंबर 2030 को सलेम की 25 साल की सजा समाप्त होगी।

जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत मिली शक्ति का प्रयोग और सजा पूरी होने पर इस बारे में राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए बाध्य है। सलेम की सजा के आवश्यक कागजात 25 साल पूरे होने के एक महीने के भीतर राष्ट्रपति को भेजे जाएं। सरकार चाहे तो सजा के 25 साल पूरे होने के एक महीने के अंदर सीआरपीसी के तहत छूट के अधिकार का प्रयोग कर सकती है।

कौन है अबू सलेम

यूपी के आजमगढ़ से अंडरवर्ल्ड तक का सफर करने वाले अबू सलेम (Abu Salem) के नाम के साथ कई बार 'अंडरवर्ल्ड डॉन' का तमगा लगा। लेकिन सलेम पर करीब से नजर रखने वाले लोग मानते थे कि वह डॉन नहीं था। सलेम 1993 के बम धमाके से पहले दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के ड्राइवर और डिलीवरी मैन के तौर पर काम करता था। वरिष्ठ पत्रकार हुसैन जैदी ने सलेम पर लिखी किताब में दावा किया है कि जेल में सलेम को डॉन जैसा रुतबा नहीं मिला था, शायद यही वजह थी कि उस पर जेल में कई बार हमले हुए। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सरायमीर से अबू सलेम (Abu Salem)का परिवार ताल्लुक रखता है। उसके पिता अब्दुल कय्यूम अंसारी वकील थे। अंसारी की मौत के बाद उनके परिवार में काफी गरीबी थी, ऐसे में सलेम की मां ही छोटा-मोटा काम करके अपने परिवार का गुजारा करती थीं। 

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