दिल्ली

16 वर्षों से देसी गायों को बचाने में जुटी - रति पालीवाल

जागरण एवं पालीवाल वाणी सूत्र
16 वर्षों से देसी गायों को बचाने में जुटी - रति पालीवाल
16 वर्षों से देसी गायों को बचाने में जुटी - रति पालीवाल

मथुरा। रति पालीवाल के पिता राजकुमार पालीवाल की ग्लास फैक्ट्री बंद होने के बाद वह परिवार की ढाल बन गई। रास्ता भी ऐसा पकड़ा कि लोगों ने बावली कहकर ताने मारे। जिद ऐसी थी कि जुनून के लिए शादी भी नहीं की। घर की दो गाय और दो भैंसों से डेयरी का व्यवसाय शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने अपने इस कार्य को नई दिशा में मोड़ दिया। सड़क पर भटकती गायों को पाला और फिर उचित आहार देकर उन्हें दूध देने लायक बनाया। श्रीजी गार्डन-2 निवासी रति पालीवाल सोलह साल से देसी गायों को बचाने के पुण्यकार्य में जुटी हैं। उनकी सतोहा में डेयरी है जिसमें 25 गायें हैं। ये सभी सड़क से लाई गई हैं।

समाज में एक धारणा है कि गाय जब तक दूध देती है

उन्होंने कोई विदेशी गाय नहीं खरीदी, रति पालीवाल कहती हैं कि हम लोग मूल रूप से शिकोहाबाद के रहने वाले हैं। किन्हीं कारणों से पापा की फैक्ट्री बंद होने के बाद 2010 के आसपास यहां आ गए। परिवार में हम तीन बहनें हैं, कोई भाई नहीं है। खुद अविवाहित हैं, बड़ी की शादी हो चुकी है और छोटी दिल्ली में एक फाउंडेशन से जुड़ी है।समाज में एक धारणा है कि गाय जब तक दूध देती है तब तक ही उसे रखा जाता है। उसके बाद सड़क पर छोड़ दिया जाता है।

एक औरत है, ये कैसे करेगी..

रति पालीवाल कहती हैं कि यह देखकर मुझे हमेशा से बुरा लगता था। इसलिए मैंने इस तरह की डेयरी बनाई। इसके लिए मैंने कोई कोर्स नहीं किया, पै्रक्टिकल और किताबों की मदद ली। शुरुआत में इस काम में बहुत दिक्कतें आईं। अरे ये तो एक औरत है, ये कैसे करेगी.. इस तरह की बातें सुनने को मिलती। मैं उस समय गायों को नहलाने से लेकर, गोबर उठाने, दूध निकालने तक का सारा काम खुद करती। सब लोग मुझे हैरत भरी नजरों से देखते। धीरे-धीरे कर्मचारी रखे। सड़क पर भटकती हुई गायों, बछड़ों को हम डेयरी में लाते हैं। उनकी डीवार्मिंग, ब्लड टेस्ट आदि कराकर उन्हें उचित आहार देते हैं, दूध भी पिलाते हैं। उसके बाद क्रॉस कराते हैं। इस तरह वे दूध देने लायक बनती हैं। एक गाय औसतन 10-12 लीटर दूध देती है।

जरसी का दूध कई तरह की घातक बीमारियों को जन्म देता 

रति पालीवाल कहती हैं कि जरसी का दूध कई तरह की घातक बीमारियों को जन्म देता है। जबकि देशी गाय का दूध बीमारियों को दूर भगाता है। अब यह मेरा पैशन बन चुका है। मैंने शादी भी नहीं की। जब भूखी गायों को अपने यहां लाते हैं और उन्हें आहार देते हैं। तब वो जिस तरह से हमें देखती हैं, उससे बड़ा कोई सुख नहीं हो सकता। रति के अनुसार मैं बड़े पैमाने पर यह कार्य करना चाहती हूं लेकिन कोई सपोर्ट नहीं है। गोबर गैस प्लांट और सोलर एनर्जी मेरे ड्रीम प्रोजेक्ट्स हैं।

पिता बोले, मुझे गर्व है

रति पालीवाल  के पिता राजकुमार पालीवाल बेटी के बारे में बात करते हुए भावुक हो गए। बोले, मुझे बेटियों पर गर्व है। रति ने अपनी दृढ़निष्ठा और लगन के साथ पूरे परिवार को संभाला है।

फिक्की ने किया सम्मानित

डेयरी उत्पादन के लिए रति को पिछले साल फिक्की ने अवार्ड भी दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।

साभार-जागरण एवं पालीवाल वाणी सूत्र

 

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