भोपाल
मध्य प्रदेश में आचार संहिता के पहले कर्मचारियों को मिल सकता है, सातवां वेतनमान : कर्मचारी संगठनों का भारी दबाव, मांगे नहीं मांनी गई तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे
Paliwalwaniकर्मचारियों का कहना है कि अगर मांगे नहीं मांनी गई तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे
कर्मचारियों ने खोला मांगों का पिटारा, खाली खजाने के बीच सरकार मंथन में जुटी
भोपाल : (सुनील बागोरा ...)
मध्यप्रदेश में चुनाव के करीब हैं, और आज कल में आचार संहिता लगाने की पूरी संभावना के बीच सरकार पर कर्मचारी संगठनों ने भारी दबाव बना दिया है. वहीं सूत्रों ने बताया कि कल भोपाल में अंतिम केबिनेट की मीटिंग में शायद कर्मचारियों के हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते है. जिस प्रकार से कई सर्वे में भाजपा की हालत पतली दिखाई जा रही है, उसी का ख्याल रखते हुए अंतिम दिन कर्मचारियों को साधने में मास्ट्रर स्ट्रोक शिवराज सरकार लगाकर कर्मचारियों के वोट बटोरने का प्रयास माना जा रहा हैं.
कई संगठनों ने अपनी नाराजगी कई मंत्रियों को बताकर जता दिया है, कि तमाम आंदोलन के बाद भी कर्मचारी के हित में एक भी काम जमीन पर दिखाई नहीं दिए. कहीं इनकी अनदेखी शिवराज सरकार को भारी ना पड़ा जाए. क्योंकि तमाम संगठनों को इन मंत्रियों ने भी उनकी मांगो को हल कराने का वचन दिया था. लेकिन आज दिनांक तक कर्मचारियों के बारे में केबिनेट मींटिग में कोई भी फैसला या प्रशासकीय आदेश जारी नहीं होने के बादर कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.
कर्मचारियों का कहना है कि अगर मांगे नहीं मांनी गई तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे. चुनावी साल में सरकारी कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में पीछे नहीं हैं. प्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने सरकार के सामने अपनी मांगों का पिटारा खोल दिया हैं. पिछले कुछ महीने से दैनिक वेतन भोगियों, विनियमित कर्मचारी, संविदा कर्मचारी स्वास्थ्य कर्मचारी वनकर्मी, कर्मचारी आशा उषा कार्यकर्ता और साथ में आउटसोर्स कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को पूरा करने में जुटे हुए हैं. चुनाव के करीब आते ही कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है और आंदोलन भी चुनाव आते-आते और उग्र हो जाएंगे. सरकार के गले की फांस बनी मांगे.
दरअसल कर्मचारियों की ऐसी मांगे हैं जिन्हें जिन्हें पूरी करने के लिए सरकारी खजाने पर भारी बोझ आने वाला है, वैसे ही सरकार करोड़ों से ज्यादा के कर्ज लेकर अपनी वाही-वाही करा रही है, जबकि जमीनी हकीकत में वैसा दिखाई नहीं दे रहा हैं. सरकार लगातार हर महीने कर्ज भी उठा रही हैं, ऐसी स्थिति में कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं कर पाएगी. इसलिए सरकार ने कर्मचारी संगठनों की मांगों के संबंध में अध्ययन कर रिपोर्ट देने को कहा था, वो भी कहीं खो गई.
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि कर्मचारी सरकार से अनुचित मांगे नहीं कर रहे हैं. वह अपना हक मांग रहे हैं, सरकार को सभी कर्मचारियों की मांगों पर ठोस आश्वासन देना चाहिए.
कांग्रेस पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा कर चुकी है
वहीं कांग्रेस पहले ही सरकार बनने पर कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान कर चुकी है और यह घोषणा उसके वचन पत्र में शामिल है, सभी कर्मचारी इसका समर्थन कर रहे हैं और कांग्रेस आउट सोर्स कल्चर खत्म करने की बात भी कह रही है. दैनिक वेतन भोगियों कर्मचारी, विनियमित कर्मचारीयों को स्थाईकर्मी, सातवां वेतनमान एरियर सहित देने और संविदा कर्मचारियों की मांगे पूरी करने. संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तरह समययान वेतनमान, भत्ता मिले. उन्हें वरिष्ठता के आधार पर समान वेतनमान पदोन्नति क्रमोन्नति अनुकंपा नियुक्ति की व्यवस्था की जाएगी. संविदा कर्मचारियों को 5 जून 2018 की संविदा नीति के तहत सातवें वेतन का लाभ दिया जाए, महिला संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तरह चाइल्ड केयर लीव मिले.
तृतीय कर्मचारी संघ : कर्मचारियों को केंद्रीय दर और केंद्रीय तिथि से मंहगाई भत्ता, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को महंगाई राहत दी जाए.सातवें वेतन के अनुसार मकान किराया भत्ता वाहन और अन्य भत्ते दिए जाएं. कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए.
सरकार की नीतियों से आज हार कर्मचारी परेशान है कांग्रेस ने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली का वादा किया है वह पूरा किया जाएगा, लेकिन बीजेपी कर्मचारियों को सिर्फ लॉलीपॉप देती आई है ?द?दकर्मचारी संगठन बोले सरकार को मांगे माननी चाहिए?द?द तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी का कहना है कि कर्मचारी सरकार से अनुचित मांगे नहीं कर रहे हैं वह अपना हक मांग रहे हैं सरकार को सभी कर्मचारियों की मांगों पर ठोस आश्वासन देना चाहिए