भोपाल
मध्य प्रदेश के मदरसों में हिंदू बच्चे कैसे पहुंचे? राष्ट्रीय बाल आयोग में मुख्य सचिव तलब : प्रदेश में संचालित हैं 1505 मदरसे
paliwalwaniभोपाल. मध्य प्रदेश के मदरसों में हिंदू बच्चों को इस्लाम की तालीम देने के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को तलब किया है। आयोग ने राज्य सरकार ने पूछा है कि मदरसों में 9417 हिंदू बच्चे कैसे पहुंचे। आयोग का मानना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का उल्लंघन है। इसमें कहा गया है कि सरकारी सहायता लेने वाला कोई संस्थान किसी को अन्य धर्म की शिक्षा नहीं दे सकता।
आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि इस खेल में मतांतरण की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। आयोग ने सरकार से पूछा है कि बच्चों को मदरसों से निकालकर स्कूलों में दाखिला कराने के लिए क्या कार्रवाई की गई। 18 जून को मुख्य सचिव को आयोग ने अपने दिल्ली स्थित मुख्यालय में तलब किया है।
कानूनगो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि मदरसों में शिक्षक टीईटी यानी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट क्वालीफाई नहीं है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत मदरसों की अधोसंरचना नहीं है। इन मदरसों में सुरक्षा की व्यवस्था तय मानकों के अनुरूप नहीं है। ऐसे में मदरसों में बच्चों को रखना एक अपराध है। हिंदू बच्चों को मदरसों में भेजना अक्षम्य कार्य है, आयोग ने इसे तत्काल सुधारने के लिए राज्य सरकार से आग्रह किया है।
आयोग के अध्यक्ष कानूनगो का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश में 1505 मदरसे संचालित हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम यह तय करता है कि धारा 29 के तहत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के अनुसार स्कूलों में पढ़ाई होनी चाहिए। शिक्षा के अधिकार अधिनियम यह भी स्पष्ट निर्दिष्ट करता है कि स्कूलों की स्थापना सरकार करेगी।
स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का काम भी सरकार करेगी। ऐसे में मदरसा बोर्ड को वित्तीय मदद करना उन गरीब बच्चों के हक का पैसा मदरसों को देना है, जो शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। आयोग ने कहा है कि सरकार को इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए।