Sunday, 13 July 2025

भोपाल

स्मार्ट सिटी के नाम केके श्रीवास्तव पर 15 करोड़ की ठगी का आरोप : करोड़ों की फर्जी ट्रांजेक्शन और फर्जी कंपनियां : पुलिस ने एक होटल से पकड़ा

paliwalwani
स्मार्ट सिटी के नाम केके श्रीवास्तव पर 15 करोड़ की ठगी का आरोप : करोड़ों की फर्जी ट्रांजेक्शन और फर्जी कंपनियां : पुलिस ने एक होटल से पकड़ा
स्मार्ट सिटी के नाम केके श्रीवास्तव पर 15 करोड़ की ठगी का आरोप : करोड़ों की फर्जी ट्रांजेक्शन और फर्जी कंपनियां : पुलिस ने एक होटल से पकड़ा

भोपाल. छत्तीसगढ़ की राजनीति और अफसरशाही से जुड़ा एक बड़ा ठगी मामला अब उजागर हो चुका है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाने वाले केके श्रीवास्तव को भोपाल से हिरासत में लिया गया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और रायपुर पुलिस की टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए उसे एक होटल से पकड़ा। वह अपने परिवार के साथ वहां छिपा हुआ था।

स्मार्ट सिटी के नाम पर 15 करोड़ की ठगी

केके श्रीवास्तव पर आरोप है कि उसने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 500 करोड़ के ठेके का लालच देकर दिल्ली की कंस्ट्रक्शन कंपनी रावत एसोसिएट्स के मालिक अशोक रावत से 15 करोड़ रुपये ठग लिए।

ठेका नहीं मिलने पर जब अशोक रावत ने रकम वापस मांगी, तो श्रीवास्तव ने 17 सितंबर 2023 तक पैसा लौटाने का वादा किया, लेकिन वादे के मुताबिक राशि नहीं लौटाई।

तीन करोड़ लौटाए, तीन चेक बाउंस

दबाव बढ़ने पर केके श्रीवास्तव ने अपने बेटे कंचन श्रीवास्तव के बैंक खाते से कुछ राशि यानी करीब 3.4 करोड़ रुपये लौटाई और शेष के लिए तीन-तीन करोड़ के चेक दिए। लेकिन बाद में सभी तीनों चेक बाउंस हो गए। इसके बाद रावत ने तेलीबांधा थाने  में एफआईआर दर्ज करवाई, और मामला अब बड़ा फर्जीवाड़ा बन गया।

करोड़ों की फर्जी ट्रांजेक्शन और फर्जी कंपनियां

EOW की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि मामला सिर्फ 15 करोड़ का नहीं बल्कि 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की ट्रांजेक्शन का है, जो अलग-अलग फर्जी कंपनियों के खातों में भेजी गई। हैरानी की बात यह है कि जिन खातों में ट्रांजेक्शन हुई है, वे EWS मकानों में रहने वाले लोगों के नाम पर हैं। अब यह जांच आयकर विभाग को सौंप दी गई है।

राजनीति में तंत्र-मंत्र से भी था गहरा नाता

पूर्ववर्ती सरकार के दौरान श्रीवास्तव की पहचान एक ऐसे व्यक्ति की थी जो तंत्र क्रिया और पूजा-पाठ के लिए प्रसिद्ध था। बताया जाता है कि तत्कालीन सत्ता से जुड़े बड़े नेता भी समय-समय पर बिलासपुर जाकर उससे तंत्र कराया करते थे।

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