आपकी कलम
शहर पर चढ़ा देशभक्ति का रंग, आजादी पर्व का जश्न परवान चढ़ा, रोशनी से नहाया राजबाड़ा
नितिनमोहन शर्मा'अंबुआ की डाली पर कोयल
गीत सुनाए कोमल कोमल'
देशभक्ति की गीतों की गूंज के संग आजादी पर्व का हुआ आगाज़, जगह जगह लहराया तिरंगा
गली गली गुंजायमान हुए आज़ादी के तराने, सबकी नजरें अब लाल क़िले पर, मोदी बनाएंगे रिकार्ड
स्कूलों-बच्चों के दायरे से बाहर आया 15 अगस्त, अब हर वर्ग की बढ़ी हिस्सेदारी, सामाजिक स्तर पर पहुँचा स्वतंत्रता दिवस
नितिनमोहन शर्मा
मेरे देश में, पवन चले पुरवाई
मेरे देश को देखने भाई सारी दुनिया आईं
झिलमिल झिलमिल तारा चमके
डगमग डगमग नैया डोले
रिमझिम बादल बरसे रामा हो
गुनगुन गुनगुन भँवरे घूमे
झरझर झरझर झरने झूमे
छम छम पायल बाजे रामा हो
गय्या नाचे, बांसुरी बजाए रे कन्हाई
जीवन अपना सुंदर सपना
कौन पराया, कौन अपना
प्यार सभी का अपने दिल मे हो
हर एक रंग के फूल है खिलते
हर मज़हब के लोग है मिलते
इस बगियाँ में इस महफ़िल में हो
हम सारे है भारतवासी, सब है भाई भाई
अंबुआ की डाली पे कोयल
गीत सुनाए कोमल कोमल
मेरे बाग की कलियों के हो
पतझड़ मस्त बहारों जैसे
पत्थर भी है तारो जैसे
मेरे गांव की गलियों के
मेरे खेत की मिट्टी ने सोने की सूरत पाई
रफ़ी साहेब के गाये इस गीत में मेरा आपका असली भारत दृश्यमान हो जाता हैं। कभी सुना है गौर से? कभी देखा है टकटकी लगाए? नई पीढ़ी ने तो शायद ही इस गीत के दीदार किये होंगे..!! कैसे करते, अब दृश्य श्रव्य माध्यमों में कहा रहे ऐसे गीत जो आपके अन्तस् में आपका देश विराजमान कर दे। न सिर्फ देश, बल्कि पूरा का पूरा भारत आंखों के सामने ला दे। इस देश की रीत, प्रीत, तीज, तासीर, त्योहार, मिट्टी, खेत, खलिहान, फसल, किसान...सब आंखों के सामने लहलहा जाए। अब न बनते है ऐसे गीत। न ऐसी कथावस्तु की फिल्में, जिसमें दर्शक के समक्ष एक ही गीत में समूचा भारत नाच उठे।
"जिगरी दोस्त" फ़िल्म का है ये उपरोक्त गीत। कब आई थी, पता नही लेकिन ये गीत बहुत रिझाता हैं। इसलिए नही कि इसका फिल्मांकन अच्छा था या इसमे जीतू बाबा का अभिनय था। गीत की पसंद का आधार गीत के बोल हैं। ये बोल ही भारत की आत्मा का विराट प्रदर्शन हैं। भारतीय मिज़ाज ही नहीं, भारत की पूरी प्रकृति का स्वभाव आंखों के सामने आ जाता है। आनंद बक्शी के लिखे इस गीत का संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया। गाया मोहम्मद रफी ने और क्या अलहदा गाया है, अदभुत। आमतौर पर महेंद्र कपूर के हिस्से में देशभक्ति के गीत आये है लेकिन रफी ने इस गीत में जो " हांका" लगाया है न, उसके क्या कहने। लय ताल के संग संग रामा हो, भैया हो के हांके को जो ऊंचाई रफी साहेब ने दी, वह इस गीत की आत्मा हैं। आंख मींच लो तो भारत और उसका एक गांव आपकी आंखों के सामने आ जायेगा।
झिलमिल तारे, डगमग नैया, रिमझिम बादल है इस गीत में। गुनगुन भँवरे भी है और झरझर झरने भी हैं। कोमल कलियों के कोमल गीत सुनाती अंबुआ की डाली पर बैठी कोयल भी है। मस्त बहारों से पतझड़ का मौसम भी है और हे छम छम पायल के संग श्रंगार-सौंदर्य रस भी। बांसुरी बजाए कन्हाई भी है और गैया माई भी हैं। बख्शी साहब ने खेत की मिट्टी को सोने की सूरत दी है। क्या अनुपम, अप्रतिम उपमा?वाकई खेत की मिट्टी सोना ही तो होती है। अन्यथा वह भारत को इतना धन धान्य से परिपूर्ण करती? सोना ही तो उगलती है माटी पुत्र के पसीने से सिंचित मिट्टी। तभी तो देश का बाज़ार गति पाता है। इस गीत में क्या क्या नही है। खेत की मिट्टी को सोने से जोड़कर गांव के महत्ता देश के आर्थिक तानेबाने में बताई है। भारत के डीएनए का दर्शन भी गीत में है जिसमे कौन अपना पराया का भाव नही नही है और न मजहब का भेद। प्यार सभी के लिए है भारत के मन मे। ये ही तो मेरा देश का मिज़ाज है। ऒर वर्तमान में इसी मिज़ाज की बेहद जरूरत है। सिर्फ भारत के लिए ही नही, समूची क़ायनात के लिए भी ये भारतीय दर्शन, चिंतन ही वर्तमान के कलुषित वातावरण का एकमेव निदान है। गीत के जरिये ही, इसे अच्छे से समझा जा सकता हैं।
आज़ादी पर्व की पूर्व संध्या में रोशनी से नहाया राजबाड़ा
इंदौर पर देशभक्ति का रंग चढ़ गया हैं। आजादी पर्व के जश्न परवान चढ़ते ही राजबाड़ा रोशनी से नहा उठा। देशभक्ति के गीतों की गूंज के संग आजादी पर्व का आगाज़ हो चला हैं। जगह जगह देश की आन बान शान तिरंगा लहराने लगा हैं। गली गली में आजादी के तराने गुंजायमान होने लगे हैं। आज रात शहर में अनेक स्थानों पर स्वतंत्रता दिवस के उत्सव की महफ़िल सजेगी। मुख्य जश्न राजबाड़ा व पाटनीपुरा पर होगा। सबकी नजर लाल किले पर भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां तिरंगा फहराकर रिकार्ड बनाएंगे। नज़र लाल किले पर इसलिए हे कि इस बार का मोदी का भाषण गठबंधन सरकार से "गठबंधन" किये रहता है या फिर ख़ालिस भाजपा मोदी का विज़न ही सामने आएगा?
इंदौर में प्रदेश सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय सरकारी कार्यक्रम में झंडावंदन करेंगे। सीएम के प्रभारी मंत्री बनते ही सब सोच रहे थे कि शहर में अब सब कुछ सीएम ही, लेकिन झंडा तो विजयवर्गीय के हाथ मे ही रहेगा। ये कल तय भी हो गया। वैसे भी अब आजादी का यर उत्सव नए आयाम गढ़ रहा है। स्कूल कालेज व सरकारी महकमो से बाहर इसका दायरा अब विभिन्न वर्ग व सामाजिक स्तर तक आ पहुँचा हैं। भारत भक्ति का ये भाव यू ही उत्तरोत्तर बढ़ता जाए। स्वतंत्रता दिवस पर ये ही मंगलकामनाये।