आमेट
कोरोना का कोहराम : पैदल ही चले थे अपनी मंजिल की ओर पर जिंदगी ने छोड़ दिया साथ
M. Ajnabee-Kishan Paliwal● अपने गांव पैदल निकले युवक की बीच राह में ही मौत : कोरोना तुझे क्या हो गया...
आमेट। कोरोना के कोहराम के बीच आमेट तहसील क्षेत्र के ग्राम देवडा का गुड़ा निवासी बलवंत सिंह पिता नाथू सिंह उम्र 38 वर्ष की गुजरात के पालनपुर के समिप हाइवे पर तबियत बिगडने से अचानक मौत हों गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार बलवंत सिंह अपने भाई किशन सिंह और साथ में काम करने वाले कमेरी गांव निवासी जेताराम गुर्जर जो लॉक डाउन के बाद से ही अपने घरों को आने की जद्ोजहद कर रहे थे। परंतु सरकारी सहायता नही मिलने से 10 मई तक इंजार कर अपने साथियों के साथ वह मुंबई से अपने गांव देवडा का गुडा के लिए पैदल ही निकल पड़े। राह में पैदल चलते-चलते एक सब्जी ट्रक के चालक ने इनकी सहायता की ओर मुंबई से सिद्धपुर पाटन गुजरात तक उनको ले आया। किन्तु फिर वापस अपनी मंजिल को ओर पैदल ही रवाना होना पड़ा। दूर-दूर तक सड़क पर सैंकड़ो की संख्या में लोग पैदल ही अपनी मंजिल को नाप रहे थे। इस भुखे-प्यारे अपनी मंजिल की चल रहे थे वही गर्मी के मौसम में 45 डिग्री की चिलचिलाती धूप में सड़क पर चलते चलते कुछ दूरी पर पालनपुर के नजदीक गर्मी की वजह से अचानक बलवंत सिंह की तबीयत खराब हुई ओर उसकी बीच सड़क पर ही मृत्यु हो गई। बलवंत सिंह अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गया। पिता नाथू सिंह उम्र 75 वर्ष, माता प्रेम कंवर, उम्र 55 वर्ष पत्नी पुष्पा कंवर उम्र 35 वर्ष, भाई किशन सिंह उम्र 27 वर्ष, बेटा ईश्वर सिंह उम्र 18 वर्ष, बेटी सीता कंवर उम्र 16 को बिलखता छोड़कर चला गया। ये जिंदगी की हकीकत ही है की जिंदा रहे तो साधन नही मिला। लेकिन मौत के बाद मानवता का चेहरा भी दिखाई दिया पालनपुर गुजरात के डिप्टी कलेक्टर ने एम्बुलेंस से लाश को उसके पैथ्रक गाँव देवडा का गुड़ा भेज दिया। देवडा का गुडा में पुलिस जाब्ता और सरपंच प्रतिनिधि नरेन्द्र सिंह चुंडावत एवं वार्ड पंच सोहनलाल, घीसू दर्जी, भाई किशन सिंह, नरपत सिंह व परिजन आदि ग्रामीणों की मौजूदगी में सोशल डिस्टेसिंग में रहकर बलवंत सिंह का दाह संस्कार करवाया। सरकार कितना भी दावा करें...लेकिन हकीकत में सरकार का चेहरा और मानवता की बात करने वालों को मुंह चिढ़ाता हुआ...बलवंत सिंह आखिरकर इस दुनियां से विदा हो गया...और पिछे यही कहा गया सरकार लाख दावा करें लेकिन हकीकत में गरीब ही बेमौत मर रहा हैं। सरकार अपने कर्मचारी को मरने पर कोरोना योद्वा मानकर शासकीय मदद कर रही हैं...लेकिन एक गरीब परिवार का कामने वाला इस दुनिया से बिना साधन के ही चला गया...उसका क्या दोष था...उसने तो सरकार से कुछ नहीं मांगा था...लेकिन गरीबों पर बात करने वाली एक गरीब की मौत पर खामोश रहकर राजधर्म का पालन करेगी
● पालीवाल वाणी ब्यूरो-M. Ajnabee-Kishan Paliwal...✍️
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!! कोरोना से डरे नहीं...डटकर मुकाबला कीजिए...जीत हर कदम...देशवासियों की होगी...!!