उत्तर प्रदेश
ब्यूटी पार्लर बनते लव जिहाद का नया अड्डा? : मथुरा-वृंदावन में 13 युवतियों के धर्मांतरण की आशंका, PFI कनेक्शन का आरोप, मुख्यमंत्री योगी को पत्र
रविंद्र आर्य
साधु-संतों की चेतावनी, विशेष कानून की मांग
● लेखक : रविंद्र आर्य
मथुरा/वृंदावन.
उत्तर प्रदेश के वृज क्षेत्र में स्थित धार्मिक नगरी मथुरा-वृंदावन में साधु-संतों और सामाजिक संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ब्यूटी पार्लर जैसे संस्थानों की सघन निगरानी और जांच के लिए विशेष प्रावधान किए जाएं। इनका आरोप है कि ऐसे प्रतिष्ठानों को अब ‘लव जिहाद’ के लिए सॉफ्ट टारगेट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
जिसमे ब्यूटी पार्लर जिहाद' का नया दावा किया गया है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि मुस्लिम युवक महिलाओं को ब्यूटी पार्लर में "प्यार के जाल" में फंसा रहे हैं। यह दावा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस से जुड़े हिंदूवादी नेता दिनेश फलाहारी द्वारा किया गया है, जिन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है।
यह विषय अत्यंत संवेदनशील है और "पार्लर जिहाद" जैसी शब्दावली एक नए सामाजिक और सांप्रदायिक विमर्श को जन्म देती है, जो पहले से ही चल रहे "लव जिहाद" विवाद का विस्तार प्रतीत होता है।
13 युवतियों के गायब होने की आशंका, मुंबई तक कनेक्शन
संत समाज का दावा है कि मथुरा-वृंदावन क्षेत्र से अब तक 13 से अधिक युवतियों को प्रेम जाल में फंसा कर मुंबई सहित अन्य महानगरों में ले जाया गया, जहां कथित रूप से जबरन धर्म परिवर्तन कर निकाह कराया गया।
“पहले ये युवक स्कूलों और कॉलेजों के बाहर सक्रिय रहते थे, अब इन्होंने ब्यूटी पार्लरों को माध्यम बना लिया है। यहां महिलाएं स्वाभाविक रूप से सहज होती हैं, जिसे भावनात्मक जाल में फंसाने के लिए उपयोग किया जा रहा है।” — हिंदूवादी नेता दिनेश फलाहारी का बयान
PFI कनेक्शन और विदेशी फंडिंग की आशंका
कई संतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस कथित गतिविधि के पीछे प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ हो सकता है। युवकों को प्रशिक्षित कर आर्थिक सहायता देने की बात भी कही जा रही है। इनका मानना है कि यह नेटवर्क मथुरा तक सीमित नहीं है, बिजनौर, सहारनपुर, अमरोहा, रामपुर जैसे ज़िलों में यह सक्रिय है। खासतौर पर नाई के रूप में ये युवक धार्मिक स्थलों के आसपास ब्यूटी पार्लरों में काम कर महिलाओं के संपर्क में आते हैं।
“दुर्गा बनो, काली बनो, लेकिन बुर्का वाली मत बनो”
कथावाचक साध्वी सरस्वती दीदी ने कहा : “लव जिहाद कोई व्यक्तिगत प्रेम प्रसंग नहीं, यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है। यह सांस्कृतिक आक्रमण है, जिसका उद्देश्य हिंदू बेटियों को उनके धर्म और परिवार से काट देना है।”
श्रृंगार केंद्र बनते नए सॉफ्ट टारगेट, संतों ने सरकार से मांग की है कि :
● ब्यूटी पार्लर जैसे स्थलों पर सुरक्षा मानकों को सख्त किया जाए।
● स्टाफ की नियुक्ति में पृष्ठभूमि की जांच और संवेदनशीलता रखी जाए।
● ब्यूटी पार्लर महिलाएं बनीं आसान लक्ष्य : विशेषज्ञों का कहना है कि ब्यूटी पार्लर एक ऐसा स्थान है, जहाँ महिलाएं सहज होती हैं और युवक विश्वास बनाकर उन्हें प्रेम जाल में फंसा लेते हैं। बाद में ये संबंध विवाह और धर्मांतरण तक पहुंचते हैं।
हिंदूवादी नेता दिनेश फलाहारी ने कहा : “यह कोई सामान्य प्रेम-प्रसंग नहीं है, बल्कि एक सामाजिक षड्यंत्र है। जिस थाली में खा रहे हैं, उसी में छेद कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री को पत्र, विशेष कानून की मांग : संत समाज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर निम्न मांगे रखीं
● सभी ब्यूटी पार्लरों में कार्यरत स्टाफ का पुलिस सत्यापन लाइसेंस अनिवार्य किया जाए।
● लव जिहाद के मामलों पर कठोर विशेष कानून बनाया जाए।
● धर्मांतरण मामलों की जांच एसटीएफ या एटीएस से कराई जाए।
● सभी पार्लरों में सीसीटीवी कैमरे और रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो। लाइसेंस की शर्तें तय की जाएं।
नाई समाज का बिजनौर-सहारनपुर से सक्रिय गैंग
इन जिलों से भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहाँ मुस्लिम युवक नकली पहचान बनाकर हिंदू युवतियों से संबंध बनाते हैं। जब सच्चाई सामने आती है, तो कई युवतियाँ मानसिक तनाव या सामाजिक दबाव में टूट जाती हैं। इन युवकों द्वारा नाई समाज की आड़ में ब्यूटी पार्लर में काम करना, उन्हें महिलाओं के करीब आने का अवसर देता है, जिसका वो भरपूर लाभ उठा रहे हैं।
मीडिया से अपील : हिंदूवादी नेता दिनेश फलाहारी ने रिपब्लिक भारत चैनल को दिए इंटरव्यू में अपील की :
- “यह मुद्दा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक संरचना की स्थिरता से जुड़ा है। मीडिया को इस पर राष्ट्रव्यापी बहस छेड़नी चाहिए।”
- सरकार को निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, और समाज को भी सजग, सतर्क एवं संवेदनशील रहना होगा।
- साथ ही, साम्प्रदायिक तनाव न बढ़े, इस दिशा में तथ्यों और कानून के आधार पर जनजागरण आवश्यक है।