Monday, 08 December 2025

इंदौर

कमठ तीर्थों पर हमला करेंगे तो धरणेन्द्र-पदमावती आज भी हैं : आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी

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कमठ तीर्थों पर हमला करेंगे तो धरणेन्द्र-पदमावती आज भी हैं : आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी
कमठ तीर्थों पर हमला करेंगे तो धरणेन्द्र-पदमावती आज भी हैं : आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी

राजेश जैन दद्दू 

इंदौर 

श्रमण संस्कृति के महामहिम पट्टाचार्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महामुनि राज ने भारत वर्षीय जैन समाज को संबोधित करते हुए कहा कि अपने चल-अचल तीर्थों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सब समाज जन की है और समाज अपने अपने कर्तव्यो से भटकते जा रहे हैं।

आचार्य श्री ने अपनी मंगल देशना में ज़ोर देकर कहा कि छोटे से बड़े समाज जन को जागरूक रहते हुए कहा कि समाज की अमुल्य धरौहर चल-अचल तीर्थों की सुरक्षा-संरक्षण एवं संस्कृति में हर संभव सहयोग के लिये हमेशा समाज जन तन मन धन से तैयार रहें आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी ने पंचकल्याणक में भी अपने अंदाज में आह्वान किया।

धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि जबलपुर के अमृत तीर्थ के जिनबिंब पंचकल्याणक महामहोत्सव के दौरान आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी ने तीर्थक्षेत्र कमेटी के 125वें वर्ष की विभिन्न योजनाओं पर मार्गदर्शन के लिये राष्ट्रीय अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन जी, शतकोत्तर रजत वर्ष कमेटी के चेयरमैन जवाहरलाल जैन जी के साथ चैनल महालक्ष्मी के प्रमुख शरद जैन ने भी पहुंचे । तीर्थ रक्षा कमेटी के अध्यक्ष जंबु कुमार जी ने संबोधित करते हुए समाज जन से आह्वान करते हुए कहा कि  तीर्थों के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि दो तरह के तीर्थ हैं, मंच पर चेतन तीर्थ हैं, शिखरजी अचेतन तीर्थ हैं।

धर्म नष्ट नहीं होता, तीर्थ नष्ट नहीं होंगे। इन नन्हे बच्चे, बालकों का कहना है कि जब तक हम जियेंगे, जिनशासन जिएगा, सदा जीता रहेगा। तीर्थ वंदना ही है तीर्थरक्षा। तीर्थों की वंदना करेंगे, तो तीर्थों की रक्षा होगी। स्वयं आपके कर्मों से भी रक्षा होगी। इसी जैन समाज से ही टोडरमल, भामाशाह जैसे समाज जन सामने आये। नये तीर्थ प्रतिष्ठित हो रहे हैं, जो भविष्य के लिए पहचान बनेंगे। आप पुराने तीर्थों की रक्षा कीजिए, संस्कृति के लिए।

तीर्थ-सुरक्षा संरक्षण भी त्रैकालिक धर्म है। आत्म रक्षा का भाव जिसमें होगा, उसमें तीर्थों की सुरक्षा का भाव जीवंत रहेगा। शिखरजी की यात्रा कर लेना, मुनियों को आहार देते रहना, सम्यक्तव का बोध होता रहेगा। चल-अचल तीर्थों की सेवा करो। गुरुओं-तीर्थों एवं संस्कृति पर कभी आंच न आये। कमठ हमला कर सकता है, पर धरणेन्द्र-पदमावती की आज भी कोई कमी नहीं है।

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