उदयपुर
आलोक संस्थान में विशाल संस्कार ध्यान उत्सव का आयोजन
paliwalwani
विश्व पुस्तक दिवस के पावन अवसर पर आलोक संस्थान में विशाल संस्कार ध्यान उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें व्यासपीठ से आचार्य श्री डॉ. प्रदीप कुमावत जी ने युवाओं को संबोधित करते हुए हनुमानजी के जीवन-चरित्र पर अत्यंत प्रेरणादायक उद्बोधन दिया।
डॉ. कुमावत ने कहा कि “इस कलियुग में यदि कोई युवाओं के चरित्रवान, शक्तिशाली, और विवेकी आदर्श हो सकते हैं, तो वह केवल हनुमान जी हैं। बल, बुद्धि और विद्या का त्रिवेणी संगम यदि कहीं देखने को मिलता है, तो वह हनुमान जी के जीवन में मिलता है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि “हनुमान केवल शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि प्रबंधन के गुरु, ज्ञान के पथप्रदर्शक, विनम्रता के स्रोत, और चरित्र की पराकाष्ठा हैं। युवा पीढ़ी को यदि कोई सम्पूर्ण प्रेरणा की मूर्ति चाहिए तो वह हनुमान हैं।”
उन्होंने ज्ञान और पुस्तकों पर बल देते हुए कहा “पुस्तकें मनुष्य की सबसे बड़ी मित्र होती हैं। जब जीवन में संकट हो, सब कुछ छिन जाए, तब केवल ज्ञान ही विवेक देता है, जिससे हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। इसलिए किताबों को केवल सजाया नहीं, पढ़ा जाना चाहिए। गीता को लाल कपड़ों में बांधकर नहीं, मन में उतारकर जीवन में उतारना चाहिए।
प्रसंगवश उन्होंने हनुमान जी और सूर्य देव की गुरु-शिष्य कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि “जब सूर्य ने हनुमान जी को शिष्य रूप में स्वीकार किया, तब उन्होंने एक कला की शिक्षा हेतु अपनी पुत्री का एक दिन के लिए विवाह हनुमान जी से कराया। यह प्रसंग दर्शाता है कि हनुमान जी केवल बलशाली नहीं, सर्वगुण संपन्न, सुंदर, चरित्रवान, और श्रेष्ठ युवा पुरुष हैं।”इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य श्री शशांक टांक जी के स्वागत भाषण से हुआ।
कार्यक्रम का लाइव प्रसारण यूट्यूब पर किया गया, जिसे हजारों दर्शकों ने देखा। चित्तौड़ और राजसमंद के विद्यालयों में भी इसका सीधा प्रसारण किया गया। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति द्वारा किया गया, जो सनातन संस्कृति के संवर्धन हेतु सतत समर्पित है। समिति का उद्देश्य ऐसे आयोजन के माध्यम से युवाओं में सांस्कृतिक चेतना और चरित्र निर्माण के बीज बोना है।