धर्मशास्त्र
अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था द्वापर युग का अंत : जानें रोचक बातें-शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
Paliwalwani![अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था द्वापर युग का अंत : जानें रोचक बातें-शुभ मुहूर्त और पूजन विधि अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था द्वापर युग का अंत : जानें रोचक बातें-शुभ मुहूर्त और पूजन विधि](https://cdn.megaportal.in/uploads/0423/1_1682107279-the-end-of-dwapar.jpg)
हम सभी ने कभी न कभी यह प्रश्न किया है कि द्वापर युग या सतयुग, त्रेता युग कब से प्रारंभ या समाप्त हुआ। दरअसल, इसका सटीक जवाब किसी के पास नहीं है, लेकिन इसके समय को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya ) के दिन एक युग का अंत हुआ और दो युगों की शुरुआत हुई। जानें अक्षय तृतीया से जुड़ी रोचक बातें-
1. पौराणिक मान्यताओं (mythological beliefs) की बात करें तो कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन से दो पवित्र युगों की शुरुआत हुई थी। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन द्वापर युग का अंत हुआ था।
2. अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान बद्रीनाथ (Lord Badrinath) के कपाट खोले जाते हैं। इस दिन से भक्त भगवान नारायण के दर्शन और पूजा कर पाते हैं। आपको बता दें कि चार धाम की यात्रा में बद्रीनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
3. अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी (gold Silver) खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं इस दिन भूलकर भी एल्युमीनियम, स्टील या प्लास्टिक के बर्तन और सामान नहीं खरीदना चाहिए। इससे घर में दरिद्रता आ सकती है।
4. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है।
5. अक्षय तृतीया के दिन झाड़ू खरीदकर घर लाना शुभ माना जाता है। इससे घर में लक्ष्मी जी का वास होता है। वहीं अगर घर में टूटी हुई झाड़ू या चप्पल है तो उसे अक्षय तृतीया से पहले घर से बाहर फेंक दें क्योंकि ये चीजें दरिद्रता की निशानी होती हैं.
(Mother Lakshmi and Lord Vishnu) की पूजा का विधान है। अक्षय तृतीया के दिन देवी लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से भक्तों को सुख, सौभाग्य और धन की प्राप्ति होती है। यह हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
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22 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन अक्षय तृतीया पर बन रहे है कई शुभ महायोग, सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों में अक्षय तृतीय को युगादि तिथि कहा गया है। इस दिन से कई युगों का आरंभ हुआ है और भगवान विष्णु के कई अवतार भी हुए हैं। इस दिन सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ है।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का भी अवतार हुआ है। इसलिए अक्षय तृतीया का धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है। इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 22 अप्रैल 2023 को है। इस बार अक्षय तृतीया बेहद खास मानी जा रही है। दरअसल, इस साल अक्षय तृतीया पर सात शुभ योग बन रहे हैं।
ये दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है. साथ ही अक्षय तृतीया के दिन पवित्र नदियों के स्नान, दान और पुण्य का काफी महत्व माना गया है. साथ ही सोना खरीदने का चलन है.
माना जाता है कि इस दिन किए किसी भी शुभ काम का अक्षय पुण्य प्राप्त होता है. अक्षय पुण्य यानी वो पुण्य जो समाप्त नहीं होता. लेकिन इस दिन कुछ कामों को करने की मनाही है. माना जाता है कि इससे धन की देवी मां लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और परिवार को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ सकती है.
अक्षय तृतीया पर शुभ योग और मुहूर्त (Akshay Tritiya Subh Muhurat)
अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को है इस दिन उच्च के चंद्रमा होंगे वृष राशि में होंगे। साथ ही इस दिन आयुष्मान योग होगा, शुभ कृतिका नक्षत्र रहेगा (नक्षत्र स्वामी सूर्य है), सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग रहेगा। हर साल अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाई जाती है.अक्षय तृतीया
इस साल अक्षय तृतीया तिथि का आरंभ 22 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 50 मिनट से आरंभ होगी और 23 तारीख को सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगी।
अक्षय तृतीया शनिवार के दिन पड़ रही है. इस बार की अक्षय तृतीया कई शुभ महायोगों में आ रही है. 22 अप्रैल, शनिवार के दिन बन रहे संयोग, इस पवित्र दिन के महत्व को और अधिक बढ़ा रहे है.
इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में होते है. ऐसा खास संयोग साल में सिर्फ अक्षय तृतीया पर ही बनता है. इस दिन सूर्य मेष में और चन्द्रमा, वृषभ राशि में होते है. इन सब संयोगों के साथ कृतिका नक्षत्र तथा 6 शुभ योगों का निर्माण मंगलकारी है.
इस दिन त्रिपुष्कर योग-सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 7 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. आयुष्मान योग-सुबह 8 बजकर 3 मिनट तक रहने वाला है. सौभाग्य योग-सुबह 8 बजकर 3 मिनट से पूरी रात शुभ फलदायी रहेगा.
वहीं सर्वार्थ सिद्धि, सर्वाअमृत और रवि योग-रात 11 बजकर 24 मिनट से 23 अप्रैल की सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. वैसे हम लोग पूरे वर्ष भर ही कुछ ना कुछ खरीददारी करते है. लेकिन माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर जो खरीदा जाता है उसमें दिन दूनी, रात चैगुनी वृद्धि होती है.
इस दिन शुभ वस्तुओं की खरीददारी से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है. घर में अन्न धन का भण्डार भरा रहता है. इस दिन सोने, चांदी के गहने, बर्तन, सम्पति, जमीन, प्लॉट, मकान अथवा अन्य जगह निवेश से लाभ मिलता है. हर व्यक्ति सामथ्र्य के अनुसार कुछ न कुछ शुभ वस्तुएं इस दिन खरीदता है.
अक्षय तृतीया पूजा विधि (Akshay Tritiya Pooja Vidhi )
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और हवन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इसी के साथ आपके जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है। इस दिन विशेष दान पर पवित्र स्नान और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। इस दिन जौ का दान भी कर सकते हैं। साथ ही जल से भरे घड़े का दान करना भी उत्तम रहता है।
अक्षय तृतीया का महत्व ( Akshay Tritiya Ka Mahatav )
अक्षय तृतीया के दिन से ही चार धाम की यात्रा भी आरंभ होती है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो इस दिन किया गया कार्य का फल अक्षय होता है। यानी उसका कभी नाश नहीं होता है। धार्मिक दृष्टि से देखे तो अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य के कार्य करने चाहिए। साथ ही इस दिन सोना खरीदना भी शुभ माना जाता है।
पारंपरिक रूप से यह तिथि भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परशुरामजी की जन्मतिथि होती है। अक्षय तृतीया के दिन मां रेणुका के गर्भ से श्री विष्णु के अवतार भगवान श्री परशुराम अवतरित हुए थे। चूंकि वह चिरंजीवी हैं इसलिए इस तिथि को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है।
इस तिथि के साथ पुराणों की अहम वृत्तांत जुड़े हुए हैं। जैसे –Vishnu ji
सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ
भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण और हयग्रीव का अवतरण
ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव अर्थार्त उदीयमान
भगवान परशुराम का जन्म
वेद व्यास एवं श्रीगणेश द्वारा महाभारत ग्रन्थ के लेखन का प्रारंभ
महाभारत के युद्ध का समापन
माँ गंगा का पृथ्वी में आगमन
भक्तों के लिए तीर्थस्थल श्री बद्रीनाथ के कपाट भी इसी तिथि से खोले जाते हैं
वृन्दावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर में सम्पूर्ण वर्ष में केवल एक बार इसी तिथि में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं।
अक्षय तृतीया के प्रमुख पौराणिक कथाएं ( Akshay Tratiya Ki Katha)
एक पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के काल में जब पांडव वनवास में थे, तब एक दिन श्रीकृष्ण जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं उन्होंने एक अक्षय पात्र उपहार स्वरूप दिया था। यह ऐसा पात्र था जो कभी भी खाली नहीं होता था और जिसके सहारे पांडवों को कभी भी भोजन की चिंता नहीं हुई और मांग करने पर इस पात्र से असीमित भोजन प्रकट होता था।
अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम से जुड़ी कथा
अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। हिंदू मान्यता के हिसाब से भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार थे और मान्यता है कि भगवान परशुराम ने ही धरती को समुद्र से बचाया था। इसलिए इस दिन का महत्व माना जाता है।
अक्षय तृतीया श्री कृष्ण और सुदामा की कहानी
- श्रीकृष्ण से सम्बंधित एक और कथा अक्षय तृतीया के सन्दर्भ में प्रचलित है। कथानुसार श्रीकृष्ण के बालपन के मित्र सुदामा इसी दिन श्रीकृष्ण के द्वार उनसे अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगने गए थे।
- भेंट के रूप में सुदामा के पास केवल कुछ मुट्ठीभर चावल ही था। श्रीकृष्ण से मिलने के उपरान्त अपना भेंट उन्हें देने में सुदामा को संकोच हो रहा था
- किन्तु भगवान कृष्ण ने मुट्ठीभर चावल सुदामा के हाथ से लिया और बड़े ही चाव से खाया।
- चूंकि सुदामा श्रीकृष्ण के अतिथि थे, श्रीकृष्ण ने उनका भव्य रूप से आदर-सत्कार किया। ऐसे सत्कार से सुदामा बहुत ही प्रसन्न हुए किन्तु आर्थिक सहायता के लिए श्रीकृष्ण ने कुछ भी कहना उन्होंने उचित नहीं समझा और वह बिना कुछ बोले अपने घर के लिए निकल पड़े।
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जब सुदामा अपने घर पहुंचें तो दंग रह गए। उनके टूटे-फूटे झोपड़े के स्थान पर एक भव्य महल था और उनकी गरीब पत्नी और बच्चें नए वस्त्राभूषण से सुसज्जित थे। सुदामा को यह समझते विलंब ना हुआ कि यह उनके मित्र और विष्णु अवतार श्रीकृष्ण का ही आशीर्वाद है। यहीं कारण है कि अक्षय तृतीया को धन-संपत्ति की लाभ प्राप्ति से भी जोड़ा जाता है।
Web Story : अक्षय तृतीया : आज भूल कर भी न करे ये गलतियां
(नोट- उपरोक्त दी सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.)