धर्मशास्त्र

श्रीराम-जानकी : पति-पत्नी को कैसे रहना चाहिए : वैवाहिक जीवन में नि:स्वार्थ भाव से प्रेम जरूरी

Paliwalwani
श्रीराम-जानकी : पति-पत्नी को कैसे रहना चाहिए : वैवाहिक जीवन में नि:स्वार्थ भाव से प्रेम जरूरी
श्रीराम-जानकी : पति-पत्नी को कैसे रहना चाहिए : वैवाहिक जीवन में नि:स्वार्थ भाव से प्रेम जरूरी

भगवान राम और सीता के विवाह उत्सव को विवाह पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है. त्योहार अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. इस बार ये 8 दिसंबर 2021 यानी आज है. मान्यता है कि इसी दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस का लेखन भी पूरा किया था. श्रीराम एक आदर्श पुरुष माने जाते हैं तो सीता उनकी संगिनी के रूप में महान पत्नी. इनका वैवाहिक जीवन कुछ खास बातों से महान माना जाता है. इनके वैवाहिक जीवन में श्रीराम ने माता सीता पर भरोसा और उनसे नि:स्वार्थ प्रेम किया वहीं माता जानकी ने त्याग और ईमानदारी के साथ हमेशा श्रीराम का साथ दिया. इसलिए हमें भी अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए भगवान राम और मां सीता के जीवन से सीख लेनी चाहिए.

  • हमेशा दिया साथ : भगवान राम को जब वनवास हुआ तो माता सीता ने भी उनके साथ चलने का निर्णय किया. भगवान राम ने माता सीता से महल पर रहने का आग्रह किया. परंतु माता सीता ने भगवान राम के साथ वनवास पर जाने का निर्णय लिया. भगवान राम और माता के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि पति-पत्नी को हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाना चाहिए.
  • त्याग : वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए एक-दूसरे के लिए त्याग भी करना पड़ता है. माता सीता ने महल का त्याग कर भगवान राम के साथ वन में रहने का निर्णय किया था. अगर आप भी चाहते हैं कि वैवाहिक जीवन मजबूत बने तो एक-दूसरे के लिए त्याग करना सीखें.
  • भरोसा :  किसी भी रिश्ते की नींव भरोसा ही होता है. अगर आप रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति भरोसा रखें. माता सीता को भगवान राम पर पूरा भरोसा था. रावण जब अपहरण कर माता सीता को लंका ले गया तो माता सीता ने हार नहीं मानी. क्योंकि उन्हें भगवान राम पर पूरा भरोसा था कि वो आएंगे और रावण का अंत कर मुझे यहां से ले जाएंगे.
  • नि:स्वार्थ प्रेम : भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह का कोई स्वार्थ नहीं था. वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाने के लिए नि:स्वार्थ भाव से प्रेम करना बहुत जरूरी है. असली प्रेम वही है जो नि:स्वार्थ भाव से किया जाए.
  • ईमानदारी : रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ईमानदारी का होना बहुत जरूरी है. माता सीता और भगवान राम के वैवाहिक जीवन से हमें सीखना चाहिए कि एक- दूसरे के प्रति ईमानदार कैसे रहा जाए. अगर आप रिलेशनशिप को मजबूत बनाना चाहते हैं तो एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहें.

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