धर्मशास्त्र
देउ उठनी एकादशी पर 6 शुभ योग : चार माह बाद अब शुरू होंगे ये मांगलिक कार्य : जानें डेट, मुहूर्त, महत्व, परंपरा और पूजा विधि
paliwalwani
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ काम के लिए देवी देवताओं का आशीर्वाद जरूरी होता है। लेकिन हर साल 4 महीने वृंदा को दिए वरदान के कारण त्रिदेवों में से एक जगत पालक भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और चार माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं।
तब तक के लिए हिंदू धर्म में मुंडन, शादी, विवाह जैसे शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। इसी कारण इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी या देव उठनी ग्यारस के नाम से जानते हैं। आइये जानते हैं देव उठनी एकादसी की डेट, मुहूर्त पारण समय आदि ..
कब है देव उठनी एकादशी
- देव उठनी एकादशी तिथि प्रारंभः 11 नवंबर 2024 को शाम 06:46 बजे से
- देव उठनी एकादशी तिथि समापनः मंगलवार, 12 नवंबर 2024 को शाम 04:04 बजे
- देवोत्थान एकादशीः मंगलवार 12 नवंबर 2024 को (उदया तिथि के अनुसार)
- देव उठनी एकादशी पारण समय (व्रत तोड़ने का समय): बुधवार, 13 नवंबर सुबह 06:50 बजे से सुबह 09:02 बजे तक
- पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समयः दोपहर 01:01 बजे
- देवोत्थान एकादशी पर शुरू होते हैं ये मांगलिक कार्य
देवोत्थान एकादशी यानी प्रबोधिनी एकादशी पर चार महीने से बंद मुंडन, व्रतबंध (उपनयन संस्कार), नामकरण संस्कार गृह प्रवेश, शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन गन्ने की पूजा की जाती है और गन्ने का पहली बार विधि-विधान से सेवन भी शुरू किया जाता है।
इस दिन लोग ग्यारस का व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इससे घर में सुख समृद्धि आती है। इस दिन भक्त गंगा स्नान कर दान आदि धार्मक कार्य करते हैं। मान्यता है इससे पापों से छुटकारा मिलता है और चार महीने बाद जागे भक्त वत्सल भगवान हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं।
इसके अलावा चातुर्मास में 4 माह से एक स्थान पर रहकर प्रवचन, ध्यान आदि कर रहे जैन मुनि भी इस डेट से भ्रमण शुरू करेंगे। इसके अलावा स्वामी नारायण संप्रदाय गुरु की दीक्षा को याद करता है, निर्जल व्रत रखता है और ताजी सब्जियां अर्पित करता है।
राजस्थान के पुष्कर में मेला
राजस्थान के पुष्कर में इसी दिन से पुष्कर मेला शुरू होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। मान्यता है कि इन दिनों पुष्कर झील में स्नान मोक्ष प्राप्ति कराने वाला होता है। एकादशी से पूर्णिमा तक यहां गुफाओं में साधु रहते हैं। वहीं महाराष्ट्र के पंढरपुर में कार्तिक मेला इस दिन लगता है।
देउ उठनी एकादशी पर 6 शुभ योग
साल 2024 की देव उठनी एकादशी बेहद खास है। इस साल 6 शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में काम शुरू करने से सफलता मिलती है। इन कामों में कोई बाधा नहीं आती है। आइये जानते हैं प्रबोधिनी एकादशी पर कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं।
- सर्वार्थ सिद्धि योग : यह योग देव उठनी एकादशी (12 नवंबर) की सुबह 7 बजकर 52 बजे से लेकर अगले दिन 5 बजकर 40 बजे तक रहेगा।
- रवि योग : रवि योग सुबह के 6 बजकर 40 मिनट से लेकर अगले दिन की सुबह के 7 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
- हर्षण योग : हर्षण योग एकादशी के दिन शाम के 7 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
शुभ : पूरे दिन
- अमृत योग : इस योग में यात्रा आदि शुभ कार्य श्रेष्ठ माने जाते हैं। प्रबोधिनी एकादशी (देव उठनी एकादशी) पर अमृत योग 13 नवंबर को सुबह 05:40 बजे तक है।
- सिद्धि योग : इस योग में आप कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने के बारे में विचार कर रहे हैं तो आपको उसमें सफलता मिलती है। यह योग देव उठनी एकादशी पर 13 नवंबर की सुबह 5.40 बजे तक है।
किसान इस तरह भी करते हैं पूजा
प्रबोधिनी एकादशी पर किसान खेत में पूजा करते हैं। इसके लिए कुछ गन्ने काटकर खेत की सीमा पर रख देते हैं और 5 गन्ने ब्राह्मण, पुजारी, बढ़ई, धोबी और पानी ढोने का काम करने वालों को बांट देते हैं। बाद में घर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आकृतियां गोबर और मक्खन से लकड़ी के तख्ते पर बनाते हैं।
इसके बाद इसको गन्ने के साथ तख्ते के चारों ओर रखकर बांधते हैं और कपास, सुपारी, दाल, मिठाई हवन अग्नि में अर्पित करते हैं। फिर भगवान को जगाने वाला गीत गाते हैं। फिर बेंतों को तोड़कर होली तक छत से लटकाया जाता है और बाद में उसे जला दिया जाता है।
देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के विशेष मंत्र
1.वन्दे विष्णुं भव भय हरं सर्वलोकैक नाथम्
2. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्
3. ॐ नमोः नारायणाय
4. मंगलम् भगवान विष्णुः मंगलम् गरुणध्वजः मंगलम् पुण्डरीकाक्षः मंगलाय तनो हरिः
देवउठनी ग्यारस व्रत की पूजा विधि
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान ध्यान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और पूजाघर को गंगाजल से पवित्र करें।
2. इसके बाद भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें और घर की ठीक से साफ-सफाई कर लें।
3. आंगन में या फिर पूजाघर के बाहर भगवान के चरणों की आकृति बनाएं, घर में ओखली पर गेरू से भगवान विष्णु का चित्र बनाएं।
4. इसके अलावा प्रतिमा रखकर पंचामृत स्नान कराएं, हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
5. इस चित्र पर मिठाई, फल, माला-फूल, तलसी दल, सिंघाड़े, गन्ना और आंवले को अर्पित कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
6. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय या कोई अन्य मंत्र जपें या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और आरती उतारें।
7. इसके बाद दिनभर व्रत रहें, किसी गरीब या ब्राह्मण को भोज कराएं, दक्षिणा दें।
8. रात में भगवान का भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें।
9. सुबह पूजा पाठ के बाद पारण समय में व्रत तोड़ें।