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बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका, स्मार्ट मीटर के लिए हर महीने देने होंगे इतने रुपये...
PALIWALWANI
Electricity Smart Meter: बेंगलुरु में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका लगा है।के निवासियों को अगले वित्तीय वर्ष से स्मार्ट मीटर की लागत वहन करनी होगी, भले ही उनके पास स्मार्ट मीटर लगा हो या नहीं। बेंगलुरू इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड (BESCOM) ने सोमवार को घोषणा की कि नए और अस्थायी कनेक्शन स्मार्ट मीटर से ही लगाए जाएंगे और तकनीकी रखरखाव लागत 75 रुपये प्रति माह का चार्ज सभी बिजली उपभोक्ताओं के बीच बांटा जाएगा।
BESCOM ने क्या फैसला किया?
BESCOM के प्रबंध निदेशक एन शिवशंकर ने कहा, “6 मार्च को कर्नाटक विद्युत विनियामक आयोग (KERC) ने स्मार्ट मीटर लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार स्मार्ट मीटर लगाने और बदलने का काम चरणों में होगा। मौजूदा ग्राहकों के पास स्मार्ट मीटर लगाने का विकल्प होगा, जबकि नए और अस्थायी कनेक्शन के लिए उन्हें लगवाना होगा।”
शिवशंकर ने कहा कि प्रत्येक स्मार्ट मीटर की कीमत 4,998 रुपये होगी, जिसका भुगतान उपभोक्ता को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि लगभग 3-4 प्रतिशत उपभोक्ता पूल को स्मार्ट मीटर मिलेंगे। यह कदम राज्य में बिजली वितरण कंपनियों द्वारा टैरिफ बढ़ोतरी के माध्यम से अपने कर्मचारियों की पेंशन और ग्रेच्युटी का बोझ यूजर्स पर डालने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है।
स्मार्ट मीटर क्या हैं?
पारंपरिक मॉडलों के विपरीत स्मार्ट मीटर में डेटा कलेक्शन के लिए GPS-आधारित संचार प्रणाली होती है और सर्वर और क्लाउड के माध्यम से कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। एडवांस्ड मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (AMI) तकनीक का उपयोग करते हुए ये मीटर बिजली उपयोग डेटा इकठ्ठा करके ग्राहकों और BESCOM के बीच सीधे कम्युनिकेशन की सुविधा प्रदान करते हैं।
यूजर्स मोबाइल ऐप के माध्यम से अपनी वास्तविक समय की बिजली खपत, वोल्टेज स्तर और पावर फैक्टर की निगरानी कर सकते हैं, जो उनके खातों को रिचार्ज करने के विकल्प भी प्रदान करता है। ग्राहक अग्रिम भुगतान कर सकते हैं और अपनी पसंदीदा अवधि के लिए रिचार्ज कर सकते हैं, जिससे वे अपनी ज़रूरतों के अनुसार बिजली का उपयोग कर सकते हैं। बिजली कटौती की स्थिति में बिल भुगतान पर तुरंत बिजली वापस की जा सकती है।
बिजली की मांग में वृद्धि
कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीसीएल) के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार पांडे के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव गौरव गुप्ता ने कहा, “फरवरी में बिजली की मांग पीक डिमांड अवधि के दौरान 18,350 मेगावाट तक पहुंच गई थी, और मार्च में यह बढ़कर 18,395 मेगावाट हो गई। 7 मार्च को अधिकतम बिजली की मांग 18,395 मेगावाट तक पहुंच गई।” अधिकारियों के अनुसार पिछले दो महीनों में मांग 18,000 मेगावाट से अधिक हो गई और अप्रैल में उन्हें इसके 18,500 मेगावाट होने का अनुमान है।
गौरव गुप्ता ने कहा, “कोविड के बाद से बिजली की मांग में वृद्धि हुई है। 2020-21 में अधिकतम मांग 14,367 मेगावाट, 2021-22 में 14,818 मेगावाट, 2022-23 में 15,828 मेगावाट और 2023-24 में 17,220 मेगावाट थी। इस बार यह 18,385 मेगावाट तक पहुंच गई है। इसके अलावा, वर्तमान अधिकतम बिजली खपत 357 मिलियन यूनिट है।”
ऊर्जा विभाग ने एक बयान में कहा, “अप्रैल 2024 में अधिकतम मांग अवधि के दौरान बिजली की मांग 16,985 मेगावाट तक पहुंच गई, और इस साल इसके बढ़कर 18,294 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है, जो 8.1 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसी तरह मई 2024 में मांग 16,826 मेगावाट थी और इसके बढ़कर 17,122 मेगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 1.8 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसके अलावा, अप्रैल में बिजली की खपत 352 मिलियन यूनिट और मई में 331 मिलियन यूनिट तक पहुंचने का अनुमान है।”