रतलाम/जावरा
बलात्कारी को न्यायालय ने सुनाई 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा
जगदीश राठौर
रतलाम. न्यायालय विशेष न्यायाधीश लैंगिक अपराधो से बालकों का सरंक्षण अधिनियम 2012 रतलाम योगेंद्र कुमार त्यागी ने आरोपी गोविंद सिंह पिता भगवान सिंह जाति सोंधिया (राजपूत) आयु 23 वर्ष निवासी जीवनगढ़ थाना आलोट जिला रतलाम को बलात्कार के आरोप में दोषी पाकर 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई. निर्णय की खास बात यह रही कि गवाहों के पलटने के बावजूद भी न्यायालय ने बलात्कारी को सजा सुनाई. इस प्रकरण में जिला लोक अभियोजन अधिकारी अनिल बादल एवं विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट रतलाम श्रीमती गौतम परमार ने सफल पैरवी की. विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट गौतम परमार ने बताया कि 12. जून 2014 को अभियोक्त्री के पिता ने थाना माणकचौक पर उपस्थित होकर रिपोर्ट कराई कि कोई अज्ञात व्यक्ति मेरी लडकी को बहला-फुसला उसकी बगैर सहमति ले गया है. उक्त सूचना पर थाना माणकचौक रतलाम के अपराध क्र. 464/14 धारा 363 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गयी. उक्त घटना के 20 माह बाद पुलिस द्वारा अभियोक्त्री के माता-पिता के साथ जीवनगढ पहुंचकर अभियुक्त के घर से अभियोक्त्री को 14 फरवरी 2016 को दस्तयाब किया गया. थाना डीडीनगर पर नाबालिक अभियोक्त्री से पूछताछ करने पर उसने बताया कि मैं अभियुक्त गोविन्द सिंह पिता भगवान सिंह राजपूत जो मेरे घर के पास ही रहता था, जान पहचसन के पश्चात बातचीत होने लगी. अभियुक्त गोविंद ने बातों-बातों मे कहा कि मैं तुझसे प्यार करता हॅू व शादी कर तुझे अपने साथ रखुगां. मैंने मना किया पर उसके बार-बार कहने पर उसके द्वारा दिये शादी के झांसे मे आकर घर पर बिना बताये अभियुक्त गोविन्द के साथ ट्रेन में बैठकर जीवनगढ चली गई. वहां अभियुक्त गोविन्द ने एक मंदिर में माला डालकर कहा कि अब हम दोनों पति-पत्नि हैं, और अपने घर ले गया. जहां अभियुक्त गोविन्द ने मेरे साथ लगभग रोज ही खोटा काम (बलात्कार) किया. जब मैं उससे रीति-रिवाज से शादी करने व माता-पिता के पास चलने का बोलती तो वह मुझे डरा धमकाकर चुप रहने का बोलता था. अभियुक्त गोविन्द द्वारा मेरे साथ बार-बार खोटा काम (बलात्कार) करते रहने से मैं गर्भवती हो गई तथा अभियुक्त गोविन्द से मुझे एक बेटी हुई जिसकी जन्म के तीन-चार दिन बाद मृत्यु हो गई. 14 फरवरी 2016 को पुलिस मेरे पिताजी के साथ मुझे ढुंढते हुये जीवनगढ तहसील आलोट आये व मुझे साथ लेकर डीडीनगर रतलाम थाने पर आयें. पुलिस द्वारा अभियोक्त्री, उसके माता-पिता व अन्य साक्षीगणों के कथन लेखबद्ध किये गये व प्रकरण में धारा 366, 376 भादवि व 5/6 पॉक्सो एक्ट का इजाफा किया गया. अनुसंधान के दौरान पीडिता का मेडिकल करवाया जाकर मेडिकल साक्ष्य तथा पीडिता के प्रसूति संबंधी साक्ष्य संकलित की गई. 05 जून 2016 को आरोपी गोविन्द सिंह पिता भगवान सिंह राजपूत को गिरफ्तार किया जाकर अभियुक्त का मेडिकल करवाकर मेडिकल साक्ष्य संकलित की गई. विवेचना में आवश्यक साक्ष्य संकलित की जाकर 25 जून.2016 को अभियोग पत्र अभियुक्त गोविन्द सिंह पिता भगवान सिंह राजपूत के विरूद्ध धारा 363, 366, 376 भादवि व 5/6 पॉक्सो एक्ट में तैयार कर विशेष न्यायालय में पेश किया गया. न्यायालय द्वारा अभियुक्त गोविन्द सिंह के विरूद्ध भादवि की धारा 363, 366क, 376(2)(झ)(ढ) दण्ड विधि संसोधन 2013 एवं लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(जे-2)(एल)/6 के अधीन आरोप विरचित किये गये है. विचारण के दौरान पीडिता सहित महत्वपूर्ण साक्षी उसके माता-पिता ने घटना का समर्थन नही किया एवं पक्ष विरोधी हो गये है, परंतु अभियोक्त्री की उम्र के संबंधी साक्ष्य से उसका अवयस्क प्रमाणित होना तथा अपराध के संबंध में उसकी सहमति का महत्वहीन हो जाना तथा विधि की उपधारणा एवं मेडिकल व वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त गोविन्द सिंह पिता भगवान सिंह राजपूत के विरूद्ध अपराध प्रमाणित हो विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट द्वारा अपने निर्णय 7 सितंबर 2021 को अभियुक्त गोविन्द सिंह पिता भगवान सिंह राजपूत को दोषसिद्ध पाते हुये धारा 363 भा.द.स. में 2 वर्ष का कठोर कारावास’ एवं 500रू अर्थदण्ड, धारा 366-क भा.द.स. में 3 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000रू अर्थदण्ड, धारा 376(2) (झ) (ढ) भा.द.स. में 10 वर्ष का कठोर कारावास’ एवं 1000रू अर्थदण्ड 5(जे-2) (एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 में 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000रू अर्थदण्ड से दंडित किया गया.
● पालीवाल वाणी मीडिया नेटवर्क. जगदीश राठौर...✍️