रतलाम/जावरा
हमारी कलम ✍️, आपकी नजर : जनाब यह है "जावरा" यहां तो सब चलता है
जगदीश राठौर❗❗ जगदीश राठौर...✍️ : 9425490641❗❗
यहां सब चलता है यह शुरू कहां से करूं, और समाप्त कहां करूं, बड़ी दुविधा में हूं । लोकतंत्र का प्रहरी हूं इसलिए बताना तो पड़ेगा । हसन पालिया से लेकर मानन खेड़ा चेकपोस्ट तक जब से फोर-लेन सड़क बनी इसमें सुरक्षा मापदंडों का कोई ध्यान नहीं रखा गया और अनेक मौत हो गई, लोग बाग मर गए तो मर जाए यहां तो सब चलता है। करीब 3 वर्ष पूर्व चौपाटी चौराहे पर हजारों रुपए खर्च करके ट्रैफिक सिग्नल लगाया गया, लेकिन यह चालू होने के कोई भी बंद हो गया.
इस चौराहे पर अनेक एक्सीडेंट हुए और ट्रैफिक जाम होना तो सामान्य बात है किसको क्या परवाह यहा तो सब चलता है ? नगर पालिका ने लाखों रुपए खर्च करके पूरे शहर में सार्वजनिक एवं शासकीय उद्घोषणा हेतु लाउडस्पीकर लगाएं लेकिन यह लाउड स्पीकर विद्युत पोल का वजन बढ़ा रहे हैं। फोरलेन की सर्विस लेन पर अतिक्रमण स्थाई रूप से रहता है कौन हटाए और क्यों हटाए (कभी-कभी थोड़ी बहुत हास -उस हो जाती है) क्योंकि यहां सब चलता है।
जावरा में जहां- जहां 40 - 40 फिट चौड़ी सड़के हैं वहां स्थाई रोड डिवाइडर का निर्माण कर यातायात सुगम किया जा सकता है, यातायात अवरुद्ध हो इससे किसी को भी कोई सरोकार नहीं, क्यों कि यहां तो सब चलता है। नगर में 105 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं तीसरी आंख का उपयोग टू व्हीलर वाहन पर बैठकर मोबाइल से बात करने, बाइक पर 3 से लेकर 5 सवारी बिठाने , 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टू व्हीलर वाहन चलाने पर मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधान के अनुरूप कार्यवाही हो सकती है इससे पुलिस को काफी राजस्व मिल सकता है, करें क्यों ? क्यों कि यहां सब चलता है।
तीसरी आंख का उपयोग नगर पालिका स्वच्छता अभियान में सरकार से अच्छे रैंक प्राप्त करने के लिए कर सकती है । प्रमुख चौराहों एवं बाजारों में लोग बाग कचरा फैला कर प्रदूषण को आमंत्रण दे रहे हैं ऐसे लोगों को इ पंचनामा भेजकर अर्थदंड वसूल किया जा सकता है, लेकिन करें तो क्यों क्योंकि यहां तो सब चलता है। चुनाव नजदीक है और जावरा के अनेक कार्यालयों में कई वर्षों से अधिकारी और कर्मचारी अंगद के पेड़ की तरह जमे हुए हैं, चुनाव आयोग के नियम अनुसार 3 वर्षों से अधिक समय तक जमे हुए ऐसे अधिकारीयों और कर्मचारीयों का स्थानांतरण होना चाहिए, लेकिन यह जावरा है यहां तो सब चलता है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगर पालिका, लोक निर्माण विभाग, और पुलिस विभाग में अनेक पदों की आपूर्ति कई वर्षों से नहीं हुई और यह विभाग प्रभारी के भरोसे है, नगर पालिका में न तो स्वास्थ्य अधिकारी,न स्वास्थ्य निरीक्षक ना राजस्व अधिकारी और तो और करीब 30- 35 वर्षों से केमिस्ट का पद रिक्त है, केमिस्ट का पद रिक्त होने के कारण हजारों लोगों को दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है सरकारी अस्पताल में पेट रोग की बीमारी के मरीजों की संख्या से इसका पता लगाया जा सकता है, या फिर आरो प्लांट से विक्रय हो रही पानी की कैन इनका ज्वलंत उदाहरण है लेकिन जावरा जो है यहां सब चलता है।
जिले का सबसे महत्वपूर्ण अस्पताल है जावरा लेकिन इमारत के अंदर विशेषज्ञ डॉक्टर नदारद है उनकी पोस्टिंग नहीं हो रही है और मजबूर वश लोगों को निजी अस्पताल की और भागना पड़ता है, किसी भी दमदार समाज सेवी संस्था ने यह मुद्दा नहीं उठाया क्योंकि यहां संस्थाओं में राजनीतिक घाल मेल है इसलिए क्यों बोले, यहां सब चलता है। पुलिस व स्थानीय प्रशासन द्वारा जावरा में एकांकी मार्ग घोषित है लेकिन एकांकी मार्ग पर चलाने वाला पुलिस बल अपर्याप्त है अनेक बार यातायात पुलिस बल ऊपर से मांगा गया लेकिन प्रभाव कारी लोगों ने प्रभावी तरीके से पुलिस बल मांगा नहीं इसलिए मुख्यालय से मिला नहीं, क्या करें यहां सब चलता है।
रेलवे स्टेशन चौराहा से स्टेशन तक करीब 300 मीटर सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढे में सड़क आसानी से देखा जा सकता है यदि कोई प्रशुता महिला ऑटो या मिनी डोर में यात्रा करें तो उसे प्रसूति के लिए प्रसूति घर ले जाने की जरूरत नहीं इस गुडडेदार सड़क पर प्रसूति आसानी से हो सकती है, जावरा में रेलवे का एक और चमत्कार है - रेलवे की सीढ़ियां। यह सीढ़ियां सिर्फ देखने के लिए बनी है इन पर कोई यात्री यात्रा नहीं करता क्योंकि यह बहुत बेतरतीब बनी है सब रेलवे नियमों को धत्ता बताते हुए पटरी पार करते देखे जा सकते हैं.
शिकायत करे तो कौन करे ? सांसद जी तो ठीक सांसद प्रतिनिधियों को फुर्सत नहीं, रेलवे की समस्या क्यों देखें क्योंकि यहां सब चलता है। अनेक निजी स्कूलों में शिक्षा विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को शासन द्वारा प्रदत्त सुविधा है लेकिन स्कूल वाले कहां मानने वाले और बच्चों के अभिभावकों से भारी भरकम फीस वसूल की जा रही है लेकिन शिक्षक- शिक्षिकाओं का वेतन के नाम पर भारी शोषण हो रहा है, शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों द्वारा किए गए शोषण से कोई मतलब नहीं? क्यों कि यहां सब चलता है।
शहर में सुबह 8:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है लेकिन शहर में भारी वाहन बीच रास्तों पर सामान उतारते एवं चढ़ाते देखे जा सकते हैं क्यों कि यहां सब चलता है ? ऑटो रिक्शा व मिनी डोर चालक को वर्दी पहनने, बैज लगाने तथा किराया सूची लगाने की जरूरत नहीं, और रात्रि में मनचाहा किराया लेने की छूट है क्योंकि यहां सब चलता है।
शहरी क्षेत्र में अधिकांश बैंकों के सामने टू व्हीलर एवं फोर व्हीलर वाहन खड़े हो सकते हैं निजी एवं सरकारी बैंकों ने ग्राहकों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई, ट्राफिक रुके तो उन्हें क्या मतलब ? क्योंकि यहां सब चलता है। मध्यप्रदेश में एक मात्र जावरा आईपीएस पुलिस अधिकारी का ट्रेनिंग सेंटर है लेकिन काफी अरसे से यह पद रिक्त है और एसडीओपी पर तीन पुलिस थानों की जगह छः पुलिस थानों का बोझ दे रखा है, जावरा की यह शर्मनाक स्थिति लगातार चलती रहेगी क्योंकि यहां की शांति समिति और यातायात समिति में हुए निर्णय सिर्फ प्रोसिडिंग तक सीमित रह जाते हैं, शांति समिति और यातायात समिति बरसों पुरानी है अथवा इसका पुनर्गठन किया जा चुका है यह किसी को पता नहीं है जावरा है यहां सब चलता है ।