राजसमन्द
श्री श्याम सुन्दर पालीवाल ने लिख दी नयी परिभाषा
देवनारायण पालीवालपिपलांत्री । एक ऐसा अनोखा गांव जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये वो कम हैं। हमने महापुरुषो और नेताओ की कहानिया तो बहुत पढ़ी होंगी पर एक ऐसा गांव और उसके लोगो ने मिल के ऐसी गाथा लिखी की पूरा भारत ही नहीं विश्व के कोने कोने में इसकी अमिट छाप बन गयी। और ऐसी छाप बनी की देश विदेश के बच्चों के पुस्तकों तक पहुंच गयी। सामाजिक सद्भाव, आर्थिक उत्थान, वैचारिक जुड़ाव, सामाजिक जिम्मेदारी, सरकारी योजनाओ का समुचित उपयोग, देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एक सुखद अहसास न जाने ऐसे कितने उपमाओ से जोड़े तभी भी इस गांव के लिए ये सारी उपमाये कम ही होंगी।
पर इन सबका श्रेय जाता हैं पूर्व सरपंच माननीय श्री श्याम सुन्दर पालीवाल और उनके किरणनिधि संस्थान को जो सारे सामाजिक मिथ्याओ को दर किनार करते हुए समाज के सामने एक नयी परिभाषा लिख दी।
आइये इस संस्थान द्वारा किये जा रहे और किये गए कुछ कार्यो पर प्रकाश डाले--
1. आज इस गांव में छोटा-बड़ा ऊंच-नीच जात-पात जैसी सारी बुराइयों को मिटा दिया गया हैं।
2. आज इस गांव की ग्राम पंचायत भवन जो की देश का पहला 2005 से कम्प्यूटरीकृत और वेबसाइट युक्त और उच्च गुणवत्ता युक्त फर्नीचर से सजाया गया है. इसको पूर्व सरकारों ने इसको राजीव गाँधी सेवा केंद्र नाम दे कर पुरे देश में लागु किया गया. इसको वर्तमान सरकार अटल सेवा केंद्र के नाम से पुरे देश लागु किया गया हैं
3. इस गांव को पालीवाल जी के कार्यकाल में पूर्णतया 2006 में ही खुले में स्वच्छ मुक्त कर दिया गया जिसके लिए ४ मई 2007 को पूर्व महामहिम स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित भी किया जा चूका हैं।
4. बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के नारों के पहले से ही 2005, 2006 से पहले ही बेटियों के लिए एक बेटी पानी पेड़ चरागाह भूमि और वन्य जीवो को जोड़कर जो काम किया हैं वो एक मिसाल हैं।
बेटी के जन्म लेते ही पुरे गांव में १११ पेड़ लगाने का रिवाज हैं। इस गांव के लोग ही इन पौधों का ख्याल रखते हैं। गरीब परिवार के बेटी के जनम पर पौधे लगाने के साथ ही ग्राम वासियो द्वारा (किरणनिधि संस्थान के माध्यम से जो की श्याम सुन्दर पालीवाल जी की पुत्री स्व. श्री किरण की स्मृति में बनायीं गयी हैं) 21000 और 10000 बेटी के परिवार से लेकर फिक्स्ड डिपॉजिट कराया जाता हैं जो बेटी के बालिग होने पर ही उनकी शादी और उनके शिक्षा हेतु उपयोग किया जाता हैं। इस के साथ बेटी परिवार से एक स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र लिया जाता हैं की मैं उस बेटी को शिक्षा से वंचित नहीं रखूँगा ,सामान रूप से पालन पोषण करूँगा , बेटी का बल विवाह नहीं करूँगा और भ्रूण हत्या नहीं करूँगा। बेटी के जन्म पर लगाए हुए पौधों पर हमारा हक़ नहीं पुरे गांव का हक़ होगा। इस गांव में अभी तक 300000 पौधे पेड़ बन गए हैं। चारो तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आने लगी हैं। साथ ही अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं तो उनके याद में भी 11 पेड़ लगाने का रिवाज हैं।
5. एक समय था जब गांव में पानी का लेवल 500 फ़ीट तक निचे था पर आज वृक्षारोपण के द्वारा आज इस गांव में पानी का लेवल 10-15 फ़ीट तक पहुंच गया हैं।
6. हर साल राखी के त्यौहार के दिन हजारो की संख्या में माताएं बहने इन पेड़ो को राखी बांधती हैं और ये मानती हैं की ये पेड़ हमारे भाई बहन हैं जो हमारी पर्यावरण जनित बुराइयों से हमारी रक्षा करते हैं।
7. सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कर लगभग 3000000 लाख एलोवेरा के पौधे लगाए गये हैं। इसके द्वारा महिला स्व-सहायता समूहों का निर्माण कर नए नए रोजगार के अवसर पैदा किये .
अरावली की गोद में, रहते श्री श्यामसुंदर पालीवाल। धरती के उत्थान हित, करते निसदिन काम। करते निसदिन काम, लगी मन में धुन भारी। छेड़ा जन अभियान, जुटे हैं सब नर नारी। शब्द फले ’परितोष’, सतत फैले द्रुमावली। हरित कर रहे धरा, खिल रही है घर-घर अरावली।।
प्रथ अग्रसर हो...नित्य नए आयाम स्थापित हो...पालीवाल का गौरव...धूमकेतू की तरहा चम...चम...करता हो...हर घर में श्याम की बाँसूरी बजे...मेरे मेवाड़ की आन...बान...शान...श्री श्यामसुंदर पालीवाल
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*पालीवाल वाणी समाचार पत्र ब्यूरो-देवनारायण पालीवाल*✍
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