राजस्थान
अंधविश्वास : बीमारी ठीक करने के लिए पेट पर दाग दिया जाता है गर्म सरिया, अब तक 6 की मौत
Paliwalwaniराजस्थान में बीमारी दूर करने के नाम पर अंधविश्वास का खेल जारी है। यहां इलाज के नाम भोपे मासूमों को डाम का दर्द दे रहे हैं। भीलवाड़ा जिले के कई ऐसे गांवों के मासूम हैं जो इन भोपों के अंधविश्वास का शिकार हो रहे हैं।
हाल ही में भीलवाड़ा में ऐसे दो मामले सामने आए थे, जिनमें बच्चों की बीमारी ठीक करने के नाम पर उनके शरीर पर गर्म सरिये से दागा गया था। तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाया गया और यहां चंद घंटों में ही उनकी मौत हो गई। भीलवाड़ा जिले के मांडल और करेड़ा समेत कई ऐसे गांव हैं जहां भोपे डेढ़ साल की उम्र में ही मासूमों को डाम का दर्द दे रहे हैं।
मांडल व उसके आसपास के गांवों व भीलवाड़ा के अन्य गांवों से मासूमों को डाम लगाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 2 साल में भीलवाड़ा में करीब 20 से ज्यादा मासूम बच्चों को बीमारी दूर करने के नाम पर लोहे के सरिये से दागने का मामला सामने आया है। इनमें तो 6 बच्चे ऐसे थे जो इसका दर्द सहन नहीं कर पाए और उनकी मौत हो गई।
भीलवाड़ा में पिछले 15 दिनों की बात करें तो दो मासूम बच्चियों ने इस डाम का दर्द सहा है। भीलवाड़ा के एमबी अस्पताल में पहले 5 माह की लीला को लाया गया। लीला की मां ने भोपे के कहने पर उसकी बीमारी दूर करने के लिए पेट पर गर्म सरिेये से डाम लगाया गया था। अस्पताल में डॉक्टर लीला की जान को नहीं बचा पाए थे, लेकिन 2 वर्ष की गीता अभी भी इस दर्द को सहन कर रही है।
गांव के एक व्यक्ति ने बताया कि मेरी तबीयत बचपन में खराब रहती थी। मेरे मां-बाप ने उपचार के नाम पर मुझे भी डाम लगाएं। आज भी मेरे पेट पर डाम का निशान है। मेरे दो लड़के हैं जिनमें से एक तबीयत अक्सर खराब रहती थी। उस समय मेरे माता-पिता जिंदा थे मेरे बड़े बेटे को भी डाम लगाया गया था। मेरा बेटा भी बाप बन चुका है। हमारे यहां पर डाम लगाने की प्रथा सामान्य है।
डाम के बाद बुखार और बीपी कम होने से मौत
डॉक्टरों ने बताया कि निमोनिया या पेट की आंतरिक बीमारियों के चलते बच्चों को डाम लगाया जाता है। इस डाम के लगाने के बाद परिजन 4 से 5 दिन तक उसके ठीक होने का इंतजार करता। लेकिन इस बीच इस बीमारी से मासूम और भी ज्यादा घायल हो जाते हैं। इसके असहनीय दर्द से बच्चों को बुखार और सांस लेने में दिक्कत आती है। उनकी बीपी पूरी तरह से घट जाती है। इसी वजह से इन बच्चों की मौत हो जाती है।