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लद्दाख प्रदर्शन के बीच सोनम वांगचुक को बड़ा झटका
paliwalwani
लद्दाख. सरकार ने लद्दाख के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और राज्य का दर्जा मांग आंदोलन का चेहरा बने सोनम वांगचुक की स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का एफसीआरए रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया. यह फैसला 24 घंटे बाद आया, जब लद्दाख में राज्य का दर्जा मांगने को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए थे.
इन प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत और भारी तनाव की स्थिति बनी. गृह मंत्रालय ने वांगचुक के उकसाने वाले भाषणों को हिंसा की वजह बताया, और कहा कि उनके बयान से भीड़ ने बीजेपी कार्यालय और चुनाव अधिकारी के दफ्तर पर हमला कर दिया.
विदेशी फंडिंग में गड़बड़ी का आरोप : सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि संस्था के कामकाज में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं. एफसीआरए (Foreign Contribution Regulation Act) कानून का बार-बार उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया. उदाहरण से समझें तो, सोनम वांगचुक ने एक पुरानी बस बेचकर 3.35 लाख रुपये संस्था के एफसीआरए खाते में जमा किए.
संस्था ने सफाई दी कि बस एफसीआरए फंड से खरीदी गई थी, इसलिए उसकी बिक्री की रकम उसी खाते में डाली गई. लेकिन सरकार ने इस तर्क को गलत ठहराते हुए कहा कि यह रकम नकद में ली गई और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया.
राष्ट्रीय हित का सवाल : सरकारी जांच में सामने आया कि संस्था को स्वीडन के एक दाता से करीब 4.93 लाख रुपये मिले थे, जो युवा जागरूकता कार्यक्रमों पर खर्च होने थे. इन कार्यक्रमों में जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और खाद्य सुरक्षा जैसे विषय शामिल थे. लेकिन सरकार ने इस दान को ‘राष्ट्रीय हित के खिलाफ’ बताया. इसके अलावा 19,600 रुपये और 79,200 रुपये जैसी छोटी रकमों के गलत तरीके से एफसीआरए खाते में दाखिल होने की बात भी नोटिस में दर्ज की गई. इन सब बिंदुओं के आधार पर मंत्रालय ने 10 सितंबर को नोटिस जारी किया था, और जवाब असंतोषजनक पाए जाने पर संस्था का पंजीकरण रद्द कर दिया.
बता दें भारत में NGO का FCRA लाइसेंस मतलब Foreign Contribution Regulation Act के तहत रजिस्ट्रेशन होता है. ये लाइसेंस गैर-सरकारी संगठन (NGO) को विदेश से फंड/दान लेने की कानूनी अनुमति देता है. बिना FCRA के कोई NGO विदेश से पैसा नहीं ले सकता, वरना कानून तोड़ना माना जाता है.





