Tuesday, 08 July 2025

अन्य ख़बरे

हरिद्वार में मांस पर पूर्ण पाबंदी... क्या राज्य नागरिकों के भोजन का फैसला करेगा...! : HC

Paliwalwani
हरिद्वार में मांस पर पूर्ण पाबंदी... क्या राज्य नागरिकों के भोजन का फैसला करेगा...! : HC
हरिद्वार में मांस पर पूर्ण पाबंदी... क्या राज्य नागरिकों के भोजन का फैसला करेगा...! : HC

उत्तराखंड । उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हरिद्वार में बूचड़खानों पर रोक लगाने के फैसले की संवैधानिकता पर सवाल उठाए हैं। अदालत ने कहा कि सभ्यता का आकलन अल्पसंख्यकों के साथ किए जाने वाले व्यवहार के आधार पर होता है। मंगलौर कस्बे के रहने वाले याचिककार्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या नागरिकों को अपना भोजन चुनने का अधिकार है या राज्य इसका फैसला करेगा?

मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने कहा, ‘लोकतंत्र का मतलब है अल्पसंख्यकों की रक्षा। सभ्यता का आकलन केवल इस बात से किया जा सकता है कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। हरिद्वार जैसी पाबंदी से सवाल उठता है कि राज्य किस हद तक नागरिकों के विकल्पों को तय कर सकता है।’

मार्च में राज्‍य सरकार ने लगाई थी पाबंदी

याचिका में कहा गया है कि पांबदी निजता के अधिकार, जीवन के अधिकार, स्वतंत्रता से अपने धार्मिक रीति रिवाजों का अनुपालन करने के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह हरिद्वार में मुस्लिमों के साथ भेदभाव करता है जहां पर मंगलौर जैसे कस्बे में बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। याचिका में कहा गया, ‘हरिद्वार में धर्म और जाति की सीमाओं से परे साफ और ताजा मांसाहार से मनाही भेदभाव जैसा है।’ गौरतलब है कि इस साल मार्च में राज्य सरकार ने हरिद्वार को ‘बूचड़खानों से मुक्त क्षेत्र’ घोषित कर दिया था और बूचड़खानों के लिए जारी अनापत्तिपत्रों को भी रद्द कर दिया था।

मांस पर पूर्ण पाबंदी असंवैधानिक

याचिका में दावा किया गया कि यह पाबंदी ‘मनमाना और असंवैधानिक है।’ याचिका में इस फैसले को दो कारणों से चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया कि मांस पर किसी तरह की पूर्ण पांबदी असंवैधानिक है, जबकि उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम में उत्तराखंड सरकार की ओर से जोड़ी गई धारा-237ए, उसे नगर निगम, परिषद या नगर पंचायत को बूचड़खाना मुक्त घोषित करने का अधिकार प्रदान करती है। अदालत ने कहा कि याचिका में गंभीर मौलिक सवाल उठाए गए हैं और इसमें संवैधानिक व्याख्या शामिल है।

कल आप कह सकते हैं कि कोई मांस का सेवन नहीं करे

अदालत ने कहा कि इसी तरह के मामले में सु्प्रीम कोर्ट ने कहा था कि मांस पर प्रतिबंध किसी पर भी थोपा नहीं जाना चाहिए। कल आप कह सकते हैं कि कोई मांस का सेवन नहीं करे। इसको ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि सवाल यह है कि क्या नागरिकों को अपना भोजन चुनने का अधिकार है या राज्य इसका फैसला करेगा।

बकरीद तक फैसला करना संभव नहीं

अदालत ने हालांकि कहा कि यह संवैधानिक मामला और त्योहार को देखते हुए सुनवाई में जल्दबाजी नहीं की जा सकती है। इस मामले में उचित सुनवाई और विमर्श की जरूरत है। इसलिए, इस मामले पर फैसला बकरीद तक करना संभव नहीं है जो 21 जुलाई को पड़ रहा है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तारीख तय की है।

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News