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किसानों के लिए बड़ी राहत: सरसों बीज में तेल सुखाने वाले वायरस जल्द मिलेगा उपचार, जिससे फसलों के नुकसान को रोका जायेगा और पैदावार बढ़ेगी

Paliwalwani
किसानों के लिए बड़ी राहत: सरसों बीज में तेल सुखाने वाले वायरस जल्द मिलेगा उपचार, जिससे फसलों के नुकसान को रोका जायेगा और पैदावार बढ़ेगी
किसानों के लिए बड़ी राहत: सरसों बीज में तेल सुखाने वाले वायरस जल्द मिलेगा उपचार, जिससे फसलों के नुकसान को रोका जायेगा और पैदावार बढ़ेगी

नई दिल्ली. सरसों, मूली और शलगम की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर है। खासकर सरसों के बीज में तेल को सुखा देने वाले हानिकारक वायरस के लिए जिम्मेदार जीन को अब पहचाना जा सकेगा। डॉ. वाईएस परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने इस रोग के निदान की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। नौणी विवि के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों ने इन फसलों में लगने वाले टरनिप मोजैक वायरस की संपूर्ण जीनोम सिक्योंसिंग की है, जिसके आधार पर अब इसका उपचार हो सकेगा। 

विश्वविद्यालय को मूली में इस वायरस की संपूर्ण जीनोम सिक्योंसिंग की परिग्रहण संख्या (एसेशन नंबर) भी मिल गई है, जबकि सरसों और शलगम के लिए विवि ने आवेदन किया है। बायोइंफोर्मेटिक्स में एक परिग्रहण संख्या एक डीएनए या प्रोटीन अनुक्रम रिकॉर्ड को दिया गया विशिष्ट पहचान नंबर होता है। भविष्य में जब भी इस वायरस पर काम होगा तो इस परिग्रहण संख्या का विवरण दिया जाएगा। नौणी विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंद्र शर्मा ने बताया कि इस परियोजना में यूके के सात, जबकि भारत के 10 संस्थान काम कर रहे हैं, जिनमें नौणी विश्वविद्यालय भी शामिल है।

उन्होंने बताया कि भारत ऑयल सीड्स फसलों का बड़ा उत्पादक है, लेकिन देश में अपनी जरूरत की वजह से हमें तेल आयात करना पड़ता है। इस वायरस की वजह से हमारी फसल में तेल की मात्रा में कमी आती है, जिससे देश को नुकसान उठाना पड़ता है। नौणी विवि के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने इस अध्ययन की सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी और इस उपलब्धि पर गर्व जताया है।

32 करोड़ के प्रोजेक्ट पर वैज्ञानिक कर रहे शोध

प्रतिष्ठित न्यूटन भाभा फंड यूके- इंडिया पल्स एंड ऑयल सीड रिसर्च इनिशिएटिव के तहत मंजूर हुआ है। यह फंड यूनाइटेड किंगडम के बीबीएसआरसी और भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा बनाया गया है। इंडो-यूके के लिए स्वीकृत 32 करोड़ के इस न्यूटन भाभा प्रोजेक्ट में नौणी विवि के वैज्ञानिक प्रो. अनिल हांडा व उनकी टीम ने शोध पूरा किया है। पादप रोग विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. एचआर गौतम के निर्देशन में हुए शोध के बाद इन फसलों पर लगने वाले इस वायरस की संपूर्ण जीनोम सिक्योंसिंग पर कार्य किया गया है। 

क्या है टरनिप मोजैक वायरस 

टरनिप मोजैक वायरस सरसों, मूली और शलगम के पत्तों में फैलने वाला एक ऐसा वायरस है, जिससे फसल काली और पीली पड़ने लगती है। यह सरसों के बीज में तेल की मात्रा कम कर देता है। हालांकि यह वायरस अन्य पत्तेदार सब्जियों पर भी हमला करता है, लेकिन इससे सरसों सर्वाधिक प्रभावित होती है। 

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