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करे 5 हजार महीने का निवेश, और फिर हर महीने मिलेंगे 32 हजार रुपये, ऐसे करे प्लानिंग

Paliwalwani
करे 5 हजार महीने का निवेश, और फिर हर महीने मिलेंगे 32 हजार रुपये, ऐसे करे प्लानिंग
करे 5 हजार महीने का निवेश, और फिर हर महीने मिलेंगे 32 हजार रुपये, ऐसे करे प्लानिंग

बचत और निवेश का महत्व आज के दौर में लगातार बढ़ रहा है. जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, जरूरी है कि भविष्य के लिए समय रहते प्लानिंग कर ली जाए. बाजार में निवेश के बहुत से विकल्प है, लेकिन कहीं रिटर्न कम है तो कहीं रिस्क हाई है. इसलिए अपना पैसा लगाते समय इन फैक्टर्स का भी ध्यान रखना चाहिए. भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करने की सोच रहे हैं तो म्यूचुअल फंड आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. यह रिटायरमेंट प्लानिंग में कारगर है. अगर अनुशासित तरीके से म्यूचुअल फंड में निवेश करें तो यह रिटायरमेंट के बाद आपकी टेंशन खत्म कर सकता है. 

SIP/SWP Investment Strategy:

म्यूचुअल फंड के जरिए आप मंथली निवेश के साथ, आगे मंथली कमाई करने की भी प्लानिंग कर सकते हैं. इसमें म्यूचुअल फंड की सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यनी SIP और बाद में सिस्टमैटिक विद्ड्रॉल प्लान यानी SWP चुन सकते हैं. 

5000 रु मंथली निवेश, दिलाएगा हर महीने 32000 रु

हम यहां आपको बता रहे हैं कि किस तरह से 20 साल तक हर महीने 5 हजार रुपये की मंथली SIP करने पर अगले 20 साल तक SWP के जरिए आप हर महीने अपने लिए 32 हजार रुपये का इंतजाम कर सकते हैं.

SIP कैलकुलेटर

मंथली SIP: 5000 रुपये

निवेश की अवधि: 20 साल

अनुमानित रिटर्न: 10 फीसदी सालाना

20 साल बाद SIP की वैल्यू: 38 लाख रुपये

SWP कैलकुलेटर

अलग-अलग स्कीम में निवेश: 50 लाख रुपये

अनुमानित रिटर्न: 10 फीसदी सालाना

सालाना रिटर्न: 3.83 लाख रुपये

मंथली रिटर्न: 3.83 लाख/12= 31917 रुपये

SWP रेगुलर कमाई का बेहतर विकल्प

BPN फिनकैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है कि SWP मंथली इनकम के लिए भरोसेमंद विकल्प है. यहां डिविडेंड आप्शन के जरिए फायदा ज्यादा है. इसकी खास बात है कि पूरा कंट्रोल भी निवेशकों के हाथ में रहता है. SWP के जरिये स्कीम से यूनिट्स को भुनाया जाता है. SWP के जरिये निवेशक एक तय राशि म्यूचुअल फंड स्कीम से वापस पाते हैं. कितने समय में कितना पैसा निकालना है, यह विकल्प खुद निवेशक ही चुनते हैं. यह पैसा रोजाना, वीकली, मंथली, तिमाही, 6 महीन पर या सालाना आधार पर निकाला जा सकता है. इस पर टैक्स उसी तरह से लगता है, जैसा इक्विटी और डेट फंड के मामले में होता है.

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