इंदौर

श्री अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल द्वारा गाय बिकेगी नहीं, तो कटेगी भी नहीं इस सूत्र को सार्थक किया

Sunil Paliwal-Anil Bagora
श्री अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल द्वारा गाय बिकेगी नहीं, तो कटेगी भी नहीं इस सूत्र को सार्थक किया
श्री अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल द्वारा गाय बिकेगी नहीं, तो कटेगी भी नहीं इस सूत्र को सार्थक किया

● नए वर्ष की शुरूआत में मध्यप्रदेश एवं इंदौर चेप्टर को 30 हजार गायें मिलने की उम्मीद : बिना दूध देने वाली गायों की मांग

इंदौर । गाय बिकेगी नहीं तो कटेगी भी नहीं...इस सूत्र को सही मायने में सार्थक बनाने की दिशा में एकल अभियान की गौ ग्राम योजना का असर देश के कई हिस्सों में अभी से नजर आने लगा है। हालांकि फिलहाल यह शुरूआत है लेकिन उम्मीद है कि अगले वर्ष अप्रैल से यह अभियान पूरी रफ्तार पकड़ लेगा। अभियान के पहले चरण में मध्यप्रदेश एवं इंदौर चेप्टर को भी 30 हजार बिना दूध देने वाली गायें मिलने की उम्मीद है। इन्हें गांवों में घर-घर पालने के लिए दिया जाएगा। प्रथम चरण में झारखंड के वनवासी अंचल में 8 हजार गांवों के 8 लाख परिवारों को 8 लाख गायें दी जाएंगीं।

केसरबाग रोड़ स्थित श्री अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल के अध्यक्ष रवि सेठी एवं श्री हरि सत्संग समिति इंदौर चेप्टर के सचिव सी.के. अग्रवाल ने बताया कि गत 22 नवंबर को गोपाष्टमी से गोवर्धन तीर्थ क्षेत्र में दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा एवं अन्य संतों के सान्निध्य में 60 गायों का पूजन कर गौ ग्राम योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के सहयोगी के रूप में पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा आदि राज्यों के मेदिनीपुर, धूलिया, नागपुर, अमलनेर, जयपुर एवं सेंधवा जैसे शहरों-कस्बों में विभिन्न गौ प्रेमी संस्थाओं की सक्रियता बढ़ गई है। इन सभी राज्यों में वनवासियों और किसानों को गौ उत्पाद के निर्माण का विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है और बिना दूध देने वाली गायों को प्रशिक्षित वनवासियों एवं किसानों को पालने के लिए दिया जा रहा है। एकल गौ ग्राम योजना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील मानसिंहका ने बताया कि देशभर में गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र, गायत्री परिवार, आर्ट ऑफ लिविंग, वनवासी कल्याण आश्रम,सूर्या फाउंडेशन, इस्कॉन सहित अनेक छोटी-बड़ी संस्थाओं के सहयोग से इस योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान वनवासी एवं किसानों को गौ आधारित कृषि एवं ऊर्जा, मानव चिकित्सा, गौ एवं कृषि आधारित ग्रामोद्योग, गौ संवर्धन एवं नस्ल सुधार जैसे प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि गौ सेवा परिवार कोलकाता के ललित अग्रवाल के मुताबिक पश्चिम बंगाल के हिस्सों में गौ ग्राम अभियान के सार्थक परिणाम मिलने लगे हैं। वनवासी और किसानों के जीवन के मायने बदल गए हैं। अकेले बंगाल में गौ उत्पाद निर्माण के 30 प्रशिक्षण वर्ग में अब तक 750 किसान प्रशिक्षित हो चुके हैं। इनके 450 गांवों में संपर्क कर अब तक 206 गायें दान स्वरूप दी जा चुकी हैं। एकल गौ ग्राम योजना के राष्ट्रीय सचिव महेश मित्तल के अनुसार दूध देने वाली गायें के मुकाबले बिना दूध देने वाली गायें अधिक उपयोगी साबित हो रही है। देश के कई हिस्से हैं जहां वनवासी और किसान बिना दूध देने वाली गायें पालने के लिए मांगने लगे हैं। इससे असंख्य गौशाला की बड़ी खर्च राशि तो बचेगी ही, बिना दूध देने वाली गायों की उपयोगिता भी बढ़ जाएगी तथा वनवासी और किसान गौ उत्पाद से आत्मनिर्भर बन जाएंगे। मध्यप्रदेश और इंदौर चेप्टर को अगले वर्ष के प्रारंभ में लगभग 30 हजार गायें मिलने वाली हैं, जिन्हें एकल स्कूल वाले गांवों में घर-घर देने की प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इंदौर चेप्टर में भी विभिन्न गौ प्रेमी संगठनों की ओर से अभी से ऐसी गायों की मांग आने लगी है। (फोटो फाईल)

गाय

● पालीवाल वाणी ब्यूरो- Sunil Paliwal-Anil Bagora...✍️

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