इंदौर

संस्था सेवा सुरभि व इंदौर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल सम्मानित

Paliwalwani
संस्था सेवा सुरभि व इंदौर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल सम्मानित
संस्था सेवा सुरभि व इंदौर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल सम्मानित

इंदौर : (अनिल बागोरा, कैलाश पालीवाल...) पालीवाल समाज के एक योद्वा ने अपनी सुगंधित महक से सारा जहां को खुशनुमा बना दिया. जिसकी चर्चा भारतवर्ष ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खुब हो रही हैं. मालवा को कुछ सिखाने की नहीं, बल्कि यहां से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। मुझे खुशी और आश्चर्य होता है, जब यहां 60-70 फीट की गहराई पर भी पानी मिल जाता है। शहर के आसपास की टेकरियों और पहाड़ियों को यहां हराभरा बनाया जा रहा है। केसर की खेती हो रही है। पर्यावरण संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है। शहर में सघन पौधारोपण के लिए पर्याप्त स्थान न मिले तो शहर से लगे गांवों में यह कार्य करें। शहरी लोगों को गांव में ले जाकर हरियाली बढ़ाने के प्रयास करें तो ग्रामीणों को अच्छा लगेगा और हरियाली भी बढ़ेगी। यह बात राजस्थान के राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव से आए पद्मश्री श्यामसुंदर पालीवाल ने प्रेस क्लब में कही। संस्था सेवा सुरभि व इंदौर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में रविवार सुबह पालीवाल के शहर आगमन पर सम्मान और संवाद कार्यक्रम हुआ।

मांग पेड़ की होगी, तभी जंगल नजर आएंगे

पालीवाल ने कहा कि जनप्रतिनिधि वही कार्य करते हैं, जिसकी मांग जनता करती है। हम सड़क, सामुदायिक भवन, इमारतें मांगते हैं, वे वही हमें देते हैं। जब हम हरियाली बढ़ाने की मांग करेंगे तो जनप्रतिनिधि उस दिशा में कार्य करेंगे। मांग पेड़ की होगी, तभी जंगल नजर आएंगे। संजय पटेल और पालीवाल के बीच हुए संवाद ने पालीवाल द्वारा किए कार्यों गए से श्रोताओं को तो रूबरू कराया ही, पर्यावरण संरक्षण के सुझाव भी जाने। पालीवाल ने बताया कि जब वे सरपंच थे, तब उन्होंने दो सिद्धांतों के साथ काम कर गांव का विकास किया।

पहला सिद्धांत था कि घर से न कुछ लेकर जाऊंगा और घर पर न कुछ लेकर आऊंगा। दूसरा सिद्धांत था अपने कार्य की सुगंध इतनी फैलाओ कि वह अधिकारी तक पहुंचे और कार्य कराने के लिए आपको हाथ नहीं जोड़ना पड़े। केवल गांव के आदर्श होने से कुछ नहीं होगा। ग्रामीणों को भी आदर्श बनना पड़ेगा। सरपंच बनकर आपको यह प्रायोगिक प्रशिक्षण लेना होगा कि कैसे बेहतर ढंग से कार्य हो सके। इसके लिए बेहतर कार्य करने वाले सरपंचों से मिलें, उनकी कार्यप्रणाली समझें।

जनसंख्या अनुरूप हर साल लगाएं पौधे

जहां तक जल संवर्धन की बात है तो हमने बरसाती नालों के किनारे पीपल, बरगद, पाखर, खजूर, बांस के पौधे लगाए। इससे मिट्टी का कटाव रुका और भूजल स्तर भी बेहतर हुआ। सघन वन बनाने के लिए हमने गांव की जनसंख्या मुताबिक पौधे हर वर्ष लगाने की नीति अपनाई। पौधारोपण के साथ खजूर-आम की गुठलियां भी बहुताय से डालीं, जिससे जंगल विकसित हो सके। चंदन के पौधे भी लगाए। चंदन का पेड़ अकेला नहीं, कई पेड़ों के साथ पनपता है। अतिथि सांसद शंकर लालवानी व जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट थे। प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, संस्था सेवा सुरभि के संयोजक ओमप्रकाश नरेडा, पद्मश्री जनक पलटा, डा. किशोर पवार, डा. दिलीप वाघेला, डा. एसएल गर्ग, विष्णु बिंदल आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

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