इंदौर

मुख्यमंत्री की आधा दर्जन से अधिक घोषणाएं खोखली साबित हुई : परशुराम महासभा ने गिनाई ऐसी अनेक हवा-हवाई घोषणाएं, आंदोलन करने की दी चेतावनी

sunil paliwal-Anil paliwal
मुख्यमंत्री की आधा दर्जन से अधिक घोषणाएं खोखली साबित हुई : परशुराम महासभा ने गिनाई ऐसी अनेक हवा-हवाई घोषणाएं, आंदोलन करने की दी चेतावनी
मुख्यमंत्री की आधा दर्जन से अधिक घोषणाएं खोखली साबित हुई : परशुराम महासभा ने गिनाई ऐसी अनेक हवा-हवाई घोषणाएं, आंदोलन करने की दी चेतावनी

इंदौर : राज्य के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ब्राह्मण समाज, मंदिरों के पुरोहितों और पुजारियों तथा सेवादारों के मामले में आधा दर्जन से अधिक घोषणाएं कर तालियां तो पिटवा लीं, लेकिन उनके द्वारा की गई अनेक घोषणाएं हवा-हवाई साबित हुई हैं। 6 माह पूर्व की गई घोषणाएं भी कागजी साबित हुई हैं। परशुराम महासभा की प्रदेश इकाई ने मुख्यमंत्री को उनकी घोषणाओं की याद दिलाते हुए उनसे आग्रह किया है कि वे अपनी तमाम घोषणाओं को पूरा करें अन्यथा ब्राह्मण समाज को सड़कों पर आकर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

परशुराम महासभा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पं. गोविंद शर्मा एवं प्रदेश प्रभारी पं. संजय मिश्रा ने पालीवाल वाणी को बताया कि कोरोना काल में मुख्यमंत्री ने बंद रहे मंदिरों के पुजारियों और पुरोहितों को पांच हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से मानदेय देने, छोटे मंदिरों में सेवारत पुजारियों और पुरोहितों को शासकीय योजनाओं में लाभ पहुंचाने, सभी मंदिरों का पुनः सर्वे कर उन्हें पंजीबद्ध करने तथा उनमें स्थायी पुजारी एवं पुरोहितों की व्यवस्था करने, गुरुकुलों में पढ़ने वाले बच्चों को मध्यान्ह भोजन, छात्रवृत्ति, साइकिल, छात्रावास में रहने के लिए उत्तम व्यवस्था करने, गुरुकुलों में शिक्षकों और सेवादारों की भर्ती करने, प्रदेश में शासकीय नौकरियों में गुरुकुलों से उत्तीर्ण हुए छात्रों की अंकसूचियों को मान्य करने सहित कोई आधा दर्जन घोषणाएं की हैं, लेकिन 6 माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अब तक इनमें से एक भी घोषणा पर अमल नहीं हो पाया है।

उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि मुख्यमंत्रीजी ने अन्य समाजों के लिए जो भी घोषणाएं की हैं, उन पर तो तुरंत अमल शुरू हो गया है, लेकिन ब्राह्मणों से पता नहीं क्यों दुश्मनी निकाली जा रही है जो अब तक इन तमाम घोषणाओं पर अमल तो दूर, क्रियान्वयन की पहल तक शुरू नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री के इस रवैये के विरोध में भोपाल  में हल्ला बोल आंदोलन छेडा जा चुका है। परशुराम महासभा ने भी निर्णय लिया है कि यदि एक माह में इन सभी घोषणाओं पर अमली जामा  नहीं पहनाया गया तो प्रदेश के ब्राह्मण समाज को बाध्य होकर सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ेगा।

पं. शर्मा एवं पं. मिश्रा  कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य के 12 हजार से अधिक संस्कृत शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती करने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इसी तरह केन्द्र सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस श्रेणी के गरीबों को दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने की शुरुआत की जा चुकी है, लेकिन राज्य के ईडब्ल्यूएस गरीब सवर्णों को अन्य जातियों की तरह छूट या सुविधा का लाभ किसी भी रूप में नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल कर दी गई है और ऐसे प्रमाण पत्रों की वैधता मात्र एक वर्ष तय की गई है, जिसके कारण गरीब सवर्णों को कई बार सरकारी दफ्तरों तक भटकना पड़ रहा है। ऐसे प्रमाण पत्र की वैधता न्यूनतम पांच वर्ष तो होना ही चाहिए।

प्रावीण्य सूची में आने वाले ब्राह्मण एवं सवर्ण विद्यार्थियों के लिए कई सुविधाएं देने की घोषणाएं मुख्यमंत्री कर चुके हैं, लेकिन उन पर भी अभी तक कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ है। ईडब्ल्यूएस के सवर्ण लोगों को अजा, जजा, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग की तरह शासकीय योजनाओं में छूट का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। मुख्यमंत्री ने राज्य सामान्य निर्धन वर्ग कल्याण आयोग का गठन तो कर दिया है, लेकिन धरातल पर आज तक कोई काम नहीं हुआ है। इस तरह मुख्यमंत्री केवल हवा-हवाई घोषणाएं कर तालियां पिटवाने के सिवाय और कुछ नहीं कर रहे हैं। छह-छह माह पुरानी घोषणाएं जस की तस पड़ी हुई मंत्रालयों में धूल खा रही है।

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