इंदौर
'म्हारा मालवा...पधारो पाँवणा' : राहुल के पीछे भारी जनसैलाब : उम्मीद से कई गुना ज्यादा उमड़े लोग, सारे बंदोबस्त ध्वस्त, सब तरफ तिरंगे ही तिरंगे
नितिनमोहन शर्माए री सखी...मंगल गावों री : अभूतपूर्व भीड़, जोरदार स्वागत : राहुल के पीछे भारी जनसैलाब
भारत जोड़ो यात्रा आज अहिल्या नगरी में, राऊ से हुआ प्रवेश
कन्याकुमारी से कश्मीर तक पैदल जा रहे राहुल के लिए इन्दौर में बिछा रेड कारपेट
आज शाम राजबाड़ा पर यात्रा : राहुल की नुक्कड़ सभा : चिमनबाग पर रात्रि विश्राम
नितिनमोहन शर्मा...✍️
मेहमाननवाजी के लिए मशहूर मालवा में पधारो राहुल पाँवणा जी। हमारे यहां बाहर से आने वालों को इसी शब्द के साथ सम्मान से नवाज़ते है। आप दक्षिण भारत कन्याकुमारी से पैदल चलकर उत्तर भारत के मुकुट मणि कश्मीर जा रहे है। देवी अहिल्या की नगरी में आपका स्वागत वंदन अभिनंदन है। आप भारत जोड़ने निकले है। पर हमें पता है कि आप भारत को जानने भी निकले है। ये आपका पहला ईमानदार प्रयास है, भारत-भारतीयता ओर भारत की राजनीति को निकट से समझने का। देश की वेवध्यपूर्ण सँस्कृति को समझने का। विभिन्न प्रान्तों की भाषा, भूषा, आहार और विचार को जानने समझने का।
माध्यम बनाया है क़दमो को। बरसो बरस बाद इस आर्यावर्त में कोई पदयात्रा कर रहा है। कभी इस पुण्य भू पर यहां के ऋषि-मनीषी ऐसे है पदयात्रा के जरिये भारत भृमण करते थे और सनातन की अलख जगाते थे। राजनीति में भी ऐसे प्रयोग हुए लेकिन वो दौर कुछ और था। पदयात्रा का दौर..रथ यात्राओं के आते ही थम सा गया था। आपने जिंदा कर दिया। हिम्मत का काम किया। इससे अच्छा कुछ हो नही सकता। आपके लिए। आपके दल के लिए। दल के नेता-कार्यकर्ताओ के लिए।
एक ऐसे वक्त, जब आपका दल निरन्तर दलदल में समाता जा रहा है। जब पराजय निरन्तर पीछा कर रही है। जब दल में, दलीय निष्ठाएं तार तार हो रही है। जब सुबह बगल में बैठे नेता, शाम को प्रतिद्वंद्वी खेमे में जाते जा रहे है। जब गुटीय घमासान में सरकारें तक दांव पर लग गई लेकिन गुटबाज़ी खत्म नही हुई। जब दल संभालने को, दल में ही कोई दमदार नेता नही है। जब दल के ही जी-23 नेता आप ओर आपके परिवार के नेतृत्व पर सवालिया निशान लगा दे। जब दूर दूर तक कोई उम्मीद की किरण नजर नही आ रही। जब माँ का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और बहन का यूपी में बहाया पसीना बेकार जाया हो गया। जब नेशनल हेराल्ड का शोर ओर ईडी की जाँच चल रही है।
जब कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य के साथ भाजपा और संघ परिवार की पूरी ताकत आपके दल को जड़ से उखाड़ने में लगी है। जब मोदी जैसे ' महामानव ' और शाह जैसे ' कौटिल्य 'आपके मुक़ाबिल है और भगवा वाहिनी की चतुरंगी सेना की मजबूत घेराबंदी कसी हुई है।
जब आपके विरोधी पूरी ताकत से आपको आलू से सोना बनाने का वैज्ञानिक बनाने और बताने पर तुले है। जब आपके कहे, बोले गए किलो ओर लीटर शब्द...फ़ायदों के मुताबिक इस्तेमाल हो रहे हो। जब आपको अज्ञानी ओर मूढ़मति बताने का शोर मचा है। जब आपको पप्पू घोषित किया जा रहा है। जब आपको हिंदुत्व विरोधी ओर कोट के ऊपर जनेऊ पहनने वाले सनातनी घोषित किया जा रहा है। जब आपकी आरती, पूजा, नमन, दंडवत की खिल्ली उड़ाई जा रही हो।
तब...आप पैदल सड़क पर निकल पड़े। उनसे मिलने और जानने, जिनसे मिले जाने बगेर आप राजनैतिक रूप से परिपक्व नही हो सकते। वो है भारत और भारतवासी। आपके कहे मुताबिक़ आप इनसे सीधे संवाद सम्पर्क ओर समन्वय बनाने निकले है। आप इन्हें बताने निकले है कि देश की संवैधानिक संस्थाए ख़तरे में है। खत्म होती जा रही है। महंगाई चरम पर और रोजगार रसातल में जा रहे है। सामुदायिक विश्वास.. अविश्वास में तब्दील हो रहा है ओर सामाजिक तानाबाना दरक रहा है। देश की एकता और अखंडता को ख़तरा है। अनेकता में एकता का नारा संकट में है। ऐसे कई आदि-इत्यादि के साथ आप सड़क पर आ गए है।
याद नही गांधी परिवार में ऐसा कठोर परिश्रम किसी ने किया हो, जैसा आप कर रहे है। धूलधूसरित छवि ओर बड़ी दाढ़ी के साथ चल रही आपकी कदमताल आपको हमारी नगरी इंदौर ले आई है। यहां से आप राजा महाँकाल की शरण मे उज्जयिनी जाएंगे।
हमारी अनंत शुभकामनाएं।
अटूट मंगल बधाइयां भी।
आपकी यात्रा निर्विघ्न पूर्ण हो।
लेकिन एक सवाल भी। आपकी मेहनत और पसीने को क्या आपके दल के नेता सहेज पाएंगे? आपके आने के पहले से, आज तक..ये आपस मे इतने बटे है कि आप भारत भले ही जोड़ लो, लेकिन आपके दल के ये नेता आपस मे जुड़ ही नही पा रहे हैं। एक दूजे के खिलाफ ऐसे तलवारें निकाले हुए है कि इनका बस नही चले, अन्यथा ये...अपने दल के नेताओ की जान तक ले ले। भाजपा से दो दो हाथ तो दूर की बात।
अभी आपके समक्ष सब एकजुट है लेकिन ये सो फ़ीसदी तय है कि आपके यहां से आगे सांवेर तक बढ़ते ही ये सब वापस...आपस में दुश्मन हो जाएंगे। सब अपने अपने इलाके के जागीरदार जो ठहरे।
ऐसे में राहुल जी आपकी कठोर परिश्रम वाली भारत जोड़ो यात्रा का क्या फायदा? जब आपके ही दल के नेता आपकी मेहनत, उद्देश्य ओर लक्ष्य को समझ ही नही पाये ओर वैसे ही लड़ते रहे..जैसे आपकी दादी इंदिराजी ओर पापा राजीवजी के समय लड़ते थे। इनको लड़ते लड़ते 40 साल से ज्यादा हो गए। तो फिर आपका दल कैसे देश का नेतृत्व करेगा, जब दल के नेता ही आपस के एक नही?
जिन नेताओ को दल की जगह स्वयम की प्रतिष्ठा प्यारी हो, वो संघ परिवार के " में नही तू " भाव वाले कॉडर से कैसे लड़ेंगे जहा दल-देश पहले, व्यक्ति बाद में ही सिखाया जाता है। वहां आपका ये अनथक परिश्रम क्या कर पायेगा जब दल के नेता ही दलीय गुटबाजी से ऊपर नही आ पा रहे। अभी चंद किलोमीटर बाद राजस्थान में आपका सामना इन सब हालातो से ही होना है। वहा तो आपकी ही सरकार है न? फिर भी घमासान है। ये चिंता किये बगेर की हमारा नेता सड़क पर धूल फांक रहा है..!! राहुल जी आपको भारत जोड़ो यात्रा के उपरांत एक यात्रा आपके दल के लिए भी करना होगी.... कांग्रेस जोड़ो..!! तब ही आपका सड़क पर बहा पसीना फलीभूत होगा...अन्यथा आप ये भीड़-भड़क्का देख अभिभूत मत हो जाना। और न सत्ताधीशों जैसा आत्ममुग्ध...!!
शुभकामनाएं राहुल बाबा