इंदौर

क्या जीतू पटवारी दोषी नहीं? : सत्य से साक्षात्कार

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क्या जीतू पटवारी दोषी नहीं? : सत्य से साक्षात्कार
क्या जीतू पटवारी दोषी नहीं? : सत्य से साक्षात्कार

● संजय त्रिपाठी

इंदौर की कांग्रेस चाहती थी, नई नवेली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लोकसभा इंदौर के चुनाव में मैदान पड़े, पटवारी ने चतुराई पूर्वक दिग्विजय सिंह जैसे नेता को राजगढ़ में फंसा दिया, उतनी ही चतुराई के साथ नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार को धार लड़ना चाहते थे, उमंग सिंगार ने जब यह कहा कि पटवारी दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ेंगे तो मैं लडूंगा, इस आधार पर उमंग सिंगार तो बच गए, पर राजगढ़ की सीट दिग्विजय सिंह को वृद्धावस्था में गले पड़ गई,,,

जिस दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की उंगली पड़कर जीतू पटवारी राजनीति में चले थे,, प्रदेश अध्यक्ष बनते से ही सबसे पहले उनसे घोषित लड़ाई पटवारी ने माल ले ली,,,

जहां दमदारी से लोकसभा लड़ना था,,, उसके ठीक विपरीत बिना किसी वरिष्ठ से पूछे मध्य प्रदेश के कांग्रेस के विभिन्न गुटों के छत्ते में हाथ डाल दिया।

अगर अक्षय कांति बम आज कांग्रेस को बुरे समय में छोड़कर गया है तो इसका दोष सिर्फ अक्षय कांति बम पर नहीं है। इतना ही दोस्त जीतू पटवारी का भी है कि वह खुद अपने शहर में कांग्रेस की लाज नहीं बचा सके। 

भले ही जीतू पटवारी रिकॉर्ड वोटो से हारते लेकिन उनकी प्रतिष्ठा कम नहीं होती,,, क्योंकि बुरे समय में वह बीजेपी के किले में लड़ते।

पर पटवारी में इतना साहस नहीं था कि पहले वह विष पिए फिर दुनिया को विष पीने की सलाह दें। इंदौर की यह असफलता जीतू पटवारी के खाते में ही जाएगी और कांग्रेस को और अधिक कमजोर करेगी।

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