इंदौर
इंदौर अपडेट : श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर का शताब्दी सम्मान समारोह का शुभारंभ
Sunil Paliwal-Anil Bagora● सृजन का नवाचार और पूर्व संस्कृति की धरोहर है ‘वीणा’ : मनीषियों को याद किया
इंदौर । श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर के दो दिवसीय समिति शताब्दी सम्मान समारोह का शुभारंभ आज वसंत पंचमी-निराला जयंती पर वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रथम दिवस ‘हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता और वीणा’ पर विद्वानों ने अपने विचार रखे। आरंभ में ‘वीणा’ पत्रिका के सम्पादक श्री राकेश शर्मा ने अक्टूबर 1927 में प्रकाशित ‘वीणा’ के प्रथम अंक से लेकर संस्थापक डॉ. सरजू प्रसाद तिवारी व श्री बनारसीदास चतुर्वेदी व अन्य मनीषियों को याद किया।
● वीणा का स्वर कभी मंद नहीं होगा
निराला व ‘वीणा’ के संबंध बताये व निराला जी की सरस्वती वंदना व उनकी पुत्री सरोज की मृत्यु का प्रसंग याद दिलाया। साहित्यकार राहुल ब्रजमोहन ने अपने उद्बोधन में साहित्यिक शब्दावली, तात्कालिक शब्दावली, साहित्यिक पत्रकारिता पर राजनीतिक दुराग्रह, पत्रकारिता में साहित्यिक उदासीनता आदि विषयों पर बात करते हुए कहा कि वीणा का स्वर कभी मंद नहीं होगा। दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार ‘लोकायत’ के संपादक श्री बलराम जी ने 1927 से अब तक का वीणा का सार संक्षेप, संपादकों के नाम और उन साहित्यकारों का उल्लेख किया जिन्होंने स्वतंत्रता पूर्व और बाद में इसके लिए अलग-अलग समयों पर लिखते रहे। वरिष्ठ पत्रकार, देवास के श्री प्रकाशकांत ने कहा कि जिस दौर से हम गुजर रहे हैं उसमें भाषा और कविता सबसे अधिक प्रभावित हुई है। साथ में बोलियों पर संकट आया है। उन्होंने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी का आदर के साथ नाम लेते हुए उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। डॉ. रामविलास शर्मा व खड़ी बोली पर भी बातें कीं। श्री कांत ने मानक भाषा, राष्ट्रीय आंदोलन पर प्रकाश डाला और कहा कि आज इन क्षेत्र में समस्याएँ हैं, चुनौतियाँ हैं।
● ‘वीणा’ पत्रिका किसी वाद के पीछे नहीं भागी
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री बी.एल. आच्छा ने कहा कि ‘वीणा’ पत्रिका किसी वाद के पीछे नहीं भागी, इसने हिन्दीतर क्षेत्रों में हिन्दी की अलख जगाई है। उन्होंने कहा कि जड़ काटने से वसंत नहीं आता। ‘वीणा’ नवाँकुर के लिए अपना इतिहास भी सँजोए हुए है। आरंभ में सरस्वती वंदना श्रीमती गीता शर्मा और अर्चना शर्मा ने प्रस्तुत की। स्वागत उद्बोधन साहित्यमंत्री हरेराम वाजपेयी ने दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रकाश हिन्दुस्तानी, अनिल त्यागी एवं डॉ. प्रवीण दाणी को हिन्दी सेवी सम्मान दिया गया। संचालन कर रही अन्तरा करवड़े का भी सम्मान किया गया। स्वागत एवं सम्मानपत्र का वाचन श्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी, सूर्यकान्त नागर, राजेश शुक्ल, राकेश शर्मा, अरविंद ओझा, मोहन रावल, डॉ. वसुधा गाडगिल ने किया। इस अवसर पर श्री वीडी ज्ञानी, कृष्ण कुमार अष्ठाना, डॉ. नीरज दीक्षित, अनिल भोजे, श्रीमती प्रभा चतुर्वेदी, मुकेश इन्दौर, प्रदीप नवीन आदि के अलावा काफी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।
● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Sunil Paliwal-Anil Bagora...✍️
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