इंदौर
Indore news : इंदौर में नशे का बढ़ता कारोबार, मुक्ति के नाम पर व्यापार
Paliwalwaniइंदौर :
नशा इंदौर की गली-गली में पहुंच चुका है। ड्रग्स की पुडिय़ा (bag of drugs) के कारोबार की पहुंच बच्चों और छात्रों तक हो चुकी है। घर तबाह हो रहे हैं। मुख्यमंत्री नशे पर नकेल के लिए बार-बार कह रहे हैं, लेकिन आलम यह है कि प्रशासन मात्र शराबखोरी पर पाबंदी की कोशिशों तक सीमित है। जहां एक ओर नशे का कारोबार बढ़ता जा रहा है, वहीं नशामुक्ति केन्द्रों का व्यापार भी इस कदर चल रहा है कि सरकार से अनुदान प्राप्त कर नशामुक्ति केन्द्र चलाने वाले संस्थानों में मरीज नहीं हैं और निजी नशामुक्ति केन्द्रों पर इस कदर वसूली की जा रही है कि लत से पीछा छुड़ाने वाले लोगों के होश उड़ा रही है।
तीनों संस्थाओं में सिर्फ 12 ही मरीज : शहर में नशामुक्ति के वैसे तो 12 केंद्र रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें से 3 केन्द्र ऐसे हैं, जिन्हें नशामुक्ति के लिए इलाज के साथ-साथ जागरूकता फैलाने और लोगों को नशे से मुक्त कराने तथा मुख्यधारा से वापस जोडऩे के लिए के लिए सामाजिक न्याय विभाग द्वारा केन्द्र सरकार के माध्यम से अनुदान भी दिलवाया जा रहा है। लेकिन हालत यह है कि केन्द्रीय अनुदान प्राप्त इन तीनों संस्थाओं में सिर्फ 12 ही मरीज इलाज ले रहे हैं, बल्कि अन्य स्रोतों से नशामुक्ति के लिए कार्य कर रही नौ संस्थाओं में 305 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन कलेक्टर कार्यालय के बाहर लगने वाली जनसुनवाई में पहुंचने वाले आवेदकों में नशामुक्ति को लेकर भी शिकायतें आने लगी हैं।
ये है रजिस्टर्ड : इंदौर शहर में नशे का कारोबार तेजी से फलफूल रहा है। लेट नाइट कल्चर, पब और बार के साथ-साथ कॉलेज, होस्टल और स्कूलों में भी नशे के व्यापारियों ने सेंध मारते हुए ग्राहक बना लिए हैं, जिसकी वजह से हजारों की तादाद में युवा नशे के कुचक्र में फंसे हुए हैं, जिनके लिए नशामुक्ति केन्द्र बनाए गए हैं। इंदौर शहर में नशा निवारण केन्द्र बाणगंगा, अंकुर नशामुक्ति एवं पुनर्वास केन्द्र कनुप्रिया नगर, अंकुर कम्युनिटी बेस्ट पियरलीड एमआईजी, अंकुर आउटरिच ड्रापइन सेंटर, सद्भाव मिशन समिति, महालक्ष्मी नगर, नवचेतना निर्माण सोशल वेलफेयर सोसायटी कनाडिय़ा रोड, हेैप्पी होम नशामुक्ति केंद्र, तपस्या वेलफेयर सोसायटी, अंकुर रिहेब सेंटर, मयंक वेलफेयर सोसायटी, श्री शुद्धि नशामुक्ति केन्द्र और पहचान नशामुक्ति केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं, जो कि सामाजिक न्याय विभाग से रजिस्टर्ड हैं।