Sunday, 26 October 2025

इंदौर

indoremeripehchan : दीप जलाकर मांगा जवाब, कब जिंदा होगी कान्ह नदी

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indoremeripehchan : दीप जलाकर मांगा जवाब, कब जिंदा होगी कान्ह नदी
indoremeripehchan : दीप जलाकर मांगा जवाब, कब जिंदा होगी कान्ह नदी

इंदौर. 

इंदौर की कान्ह सरस्वती नदी कभी यहां की जनता के जीवन का प्रवाह थी। समय के साथ नदी में नाले मिलते गए और एक दिन वह खुद नाले में तब्दील हो गई। शहर की संस्था अभ्यास मंडल ने साल 2008 में नदी को फिर से जिंदा करने का बीड़ा उठाया। समय के साथ नेता और अधिकारी इस अभियान से जुड़ते गए और 16 साल का समय बीत गया।

अलग अलग प्रोजेक्ट बनाकर प्रशासन ने नदी के लिए 1100 करोड़ रुपए जारी किए लेकिन नदी आज भी नाले के रूप में ही बह रही है। इच्छाशक्ति के अभाव और पैसों की भूख ने इसे नेताओं और अधिकारियों की कमाई का जरिया बना दिया। इन सब धोखों, भ्रष्टाचार और झूठे वादों के बावजूद अभ्यास मंडल के कर्ताधर्ता आज भी नदी को जिंदा करने के लिए डटे हुए हैं। एक आस है कि एक दिन शहर की जनता जागेगी और वह इसे जन आंदोलन में तब्दील करके फिर से जिंदा करवाएगी। 

कान्हा सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए दीप महोत्सव 

आज अभ्यास मंडल द्वारा कान्हा सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए दीप महोत्सव का आयोजन किया गया। प्रबुद्धजनों ने इस आयोजन में शहर के पर्यावरण और जल स्त्रोतों के संरक्षण पर भी चिंता जताई। शिवाजी मोहिते ने कहा कि दीपावली के इस पावन अवसर पर जब हमारे घरों के आंगन दीपों से जगमगा उठे हैं, तो क्यों न एक दीप अपनी नैसर्गिक नदी के नाम भी जलाएं। हम सब मिलकर इस प्रवाह को फिर से जीवन दें। इसी भाव के साथ इस वर्ष भी अभ्यास मंडल द्वारा कृष्णपुरा छत्री घाट पर सामूहिक दीपदान किया गया। आज लगाया गया हर दीप हमारी आस्था, हमारी शहर की जिम्मेदारी, जनता का सपना कल कल पानी बहने का और हमारे शहर के उज्जवल भविष्य का प्रतीक बनेगा। शहर की जनता ही इसे फिर से जिंदा कर सकती है और आज हमें वही संकल्प लेना होगा। 

2010 से मना रहे दीप महोत्सव

रामेश्वर गुप्ता ने बताया कि निरंतर 2010 से यह दीप महोत्सव मनाया जाता है। कुछ लोग अपने घर से भी दिया लाकर लगाते हैं। मालासिंह ठाकुर ने अभ्यास मंडल द्वारा कान्हा सरस्वती को पुनर्जीवित करने हेतु 2010 से किए जा रहे प्रयास की जानकारी दी और कहा कि यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा।

इससे पहले दीप महोत्सव का शुभारंभ श्यामसुंदर यादव, शंकर गर्ग, अशोक जायसवाल, रामबाबू अग्रवाल, ओपी जोशी, गौतम कोठारी ने किया। कार्यक्रम का संचालन पल्लवी आढाव और स्वप्निल व्यास ने किया। आभार अशोक कोठारी ने माना। इस आयोजन में ओपी श्रीवास्तव, किशन सोमानी, रजनीश श्रीवास्तव, पीसी शर्मा, राजा चौकसे, मुरली खंडेलवाल, पराग जटाले, वैशाली खरे, रेखा आचार्य, दीप्ति गौर, ग्रीष्मा त्रिवेदी, प्रणिता दीक्षित, बसंत सोनी, अजय प्रताप सिंह,आदित्य प्रताप सिंह आदि उपस्थिति थे। 

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