इंदौर

भाजपाई हैरान : बागी, हरल्ले और उम्र दराज नेताओं की दिया पार्टी ने मौका

प्रदीप जोशी
भाजपाई हैरान : बागी, हरल्ले और उम्र दराज नेताओं की दिया पार्टी ने मौका
भाजपाई हैरान : बागी, हरल्ले और उम्र दराज नेताओं की दिया पार्टी ने मौका

मालवा निमाड़ के दस नामों से भाजपाई भी है हैरान

प्रदीप जोशी...✍️

इंदौर :

आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बाजी मारते हुए गुरुवार को अपनी पहली सूची जारी कर दी। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले जारी 39 नामों की इस सूची में मालवा निमाड़ के 10 सीटे भी शामिल है। सूबे की जिन दस सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए उनमे राऊ विधानसभा सीट सामान्य है, 4 सीट अनुसूचित जाती और 5 सीट अनुसूचित जनजाति की है। बहरहाल सूची जारी होने के बाद ज्यादा हैरत में भाजपा के कार्यकर्ता और नेता नजर आ रहे है। कारण यह कि अब तक यह दांवा किया जा रहा था कि इस चुनाव में नए चेहरों को मौका दिया जाएगा मगर जो नाम घोषित हुए उनमे बागी, हरल्ले और उम्र दराज नेताओं को भी मौका दिया गया है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के इस निर्णय पर कार्यकर्ता माथा खपाने में जुटे है।

सज्जन के सामने सोनकर

इंदौर के भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर को पार्टी ने सोनकच्छ से टिकट दिया है। सोनकर का नाम पहली ही सूची में देख नेता चकित रह गए। जबकि इस सीट पर पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा का दांवा सबसे मजबूत था। गौरतलब है कि सोनकर इंदौर की सांवेर सीट से 2013 में चुनाव जीते थे। 2018 में वे तुलसीराम सिलावट से परास्त हो गए। सिलावट भाजपा में शामिल हुए तब उप चुनाव में सोनकर भी दांवा सबसे मजबूत था मगर पार्टी ने उन्हें जिलाध्यक्ष बना कर संतुष्ट कर दिया। अब एकदम नए क्षेत्र में उन्हें मौका दिया गया जहां उनका मुकाबला दिग्गज कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा से होगा।

टिकट चयन के पैमाने पर हो रही चर्चा

भाजपा की पहली सूची में तय किए गए प्रत्याशियों के चयन के पैमाने पर आम कार्यकर्ता हैरत में है। चर्चा इस बात की ज्यादा है कि आखिर टिकट चयन का पैमाना क्या है। पार्टी से बगावत करने वाली भी टिकट पा गए और चुनाव हारने वालों को भी मौका फिर से मिल गया। ऐसे में टिकट को लेकर सर्वे, अमित शाह के दौरे, संघ का हस्तक्षेप जैसी बाते सब हवा हवाई साबित होती नजर आ रही है।

एक नजर मालवा निमाड़ की तय सीटों पर

महेश्वर - खरगौन जिले की महेश्वर सीट पर राजकुमार मेव को टिकट दिया गया है। मेव 2013 में महेश्वर सीट से विधायक चुने गए थे। 2018 में पार्टी ने टिकट काट दिया नाराज मेव ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा नतीजा यह हुआ कि खुद भी हारे और भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र आर्य को भी घर बैठना पड़ गया।

कसरावद - खरगौन जिले की इस सीट से भाजपा ने आत्माराम पटेल को प्रत्याशी घोषित किया है। पटेल 2008 में चुनाव जीते थे। 2013 और 2018 के दोनों चुनाव में वे कांग्रेस के सचिन यादव से चुनाव हार गए। हारने के बाद भी पार्टी ने उन्हें फिर से मैदान में उतार दिया।

अलीराजपुर - इंदौर संभाग के इस जिले की सीट पर नागरसिंह चौहान 2003 से लगातार तीन बार चुनाव जीते। 2018 में चौहान कांग्रेस के मुकेश पटेल से चुनाव हार गए। संगठन में जिम्मेदारी संभालने वाले चौहान को पार्टी ने बिना सोच विचार किए प्रत्याशी घोषित कर दिया।

झाबुआ - इस सीट पर 2018 में भाजपा के गुमानसिंह डामोर चुनाव जीते थे। डामोर के सांसद बनने के बाद यह सीट रिक्त हो गई। 2019 में हुए उप चुनाव में भानू को पार्टी ने टिकट दिया था मगर वे कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया से चुनाव हार गए। एक बार फिर पार्टी ने भानू पर दांव लगाया है।

पेटलावद - इस सीट पर पार्टी की वरिष्ठ नेता निर्मला भूरिया पर ही पार्टी ने विश्वास जताया। 1993 से लगातार तीन चुनाव जीती भूरिया 2008 का उप चुनाव हार गई थी। 2013 में वे दुबारा निर्वाचित हुई मगर 2018 का चुनाव वे हार गई। एक बार फिर पार्टी ने उन्हें ही मैदान में उतार दिया।

कुक्षी - कुक्षी सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। इस सीट पर पूर्व मंत्री रंजना बघेल दो बार और एक बार मुकाम सिंह किराडे विधायक रहे है। पिछले दो चुनाव से कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह हनी बघेल जीत रहे है। इस बार पार्टी ने नया चेहरा जयदीप पटेल के रूप में मैदान में उतारा है।

धरमपुरी - कुक्षी सीट फिलहाल यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है। पार्टी ने यहां से कालूसिंह ठाकुर को इस बार मौका दिया। ठाकुर 2013 में चुनाव जीते थे मगर 2018 में उनके स्थान पर गोपाल कन्नोज को मैदान में उतारा जिन्हें हार का सामाना करना पड़ा था।

राऊ - इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट पर चल रही तमाम अटकलों को दरकिनार कर पार्टी ने वरिष्ठ नेता मधु वर्मा को दोबारा मैदान में उतारने का निर्णय ले लिया। वर्मा 2018 का चुनाव जीतू पटवारी से हार गए थे। इस सीट पूर्व विधायक जीतू जिराती के टिकट की लगाई जा रही थी।

तराना - भाजपा ने तराना सीट पर वरिष्ठ नेता ताराचंद गोयल का नाम घोषित किया है। गोयल 2003 में इस सीट से विधायक चुने गए थे। 2008 में उनके स्थान पर रोडमल राठौर को और 2013 और 2018 के चुनाव में अरूण फिरोजिया को टिकट दिया गया। फिलहाल सीट कांग्रेस के कब्जे में है।

घट्टिया - उज्जैन जिले की घट्टिया सीट कांग्रेस के कब्जे में है। ताजा सूची में पूर्व विधायक सतीश मालवीय को प्रत्याशी घोषित किया गया है। मालवीय 2013 में इस सीट पर निर्वाचित हुए थे। 2018 में उनके स्थान पर प्रेमचंद गुड्डू के पुत्र अजीत बौरासी को टिकट दिया मगर वे हार गए।

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