इंदौर
मिल मजदूर से अधिवक्ता का सफर तयकर इंदौर के हित में लड़ने वाले आनंद मोहन माथुर नहीं रहे...
paliwalwani
राजेन्द्र भोयले "राजन"
इंदौर.
Indore News : आनंद मोहन माथुर का जीवन संघर्ष और सेवा का प्रतीक बनकर सामने आया. उन्होंने कान्ह नदी को स्वच्छ करने की मुहिम शुरू की और इंदौर में सामाजिक कार्यों के लिए कई जुझारू कदम उठाए. उनकी जीवन यात्रा समाज के हर वर्ग को प्रेरित करती रहेगी. इंदौर में जब भी कोई परेशानी आई तो उन्होंने सड़कों पर आंदोलन करे, कोर्ट में लड़ाइयां लड़ी और हर स्तर पर अपना सब कुछ न्यौछावर किया.
इंदौर के मालवा मिल का एक मिल मजदूर, जिसने अकेले अपने दम पर ना सिर्फ विधि का ज्ञान लिया, बल्कि शहरहित में ऐसे कार्य किए जो हमेशा याद किए जाते रहेंगे. वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी आनंद मोहन माथुर जी का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया है.
बताते हैं कि वे 95 वर्ष की आयु तक सामाजिक आयोजनों और आंदोलनों का हिस्सा तो रहे ही, वहीं वकालत के जरिए जनहित के लिए लड़ते भी रहे. लम्बी बीमारी के चलते वे पिछले कुछ महीनों से उपचाररत थे. श्री माथुर ने अपने खर्च पर ना सिर्फ शहर में आनंद मोहन माथुर सभागृह का निर्माण करवाया, बल्कि कान्ह नदी पर झूला ब्रिज और ओपीडी सहित अन्य काम भी करवाए.
इतना ही नहीं, सामाजिक कार्य के लिए श्री माथुर ने अपनी बेशकीमती जमीन भी दान में दे दी. श्री माथुर का इतिहास खंगालें, तो पता चलता है कि उन्होंने आजादी के कई आंदोलन में भी भाग लिया और किशोरावस्था से ही वे अंग्रेजों के खिलाफ मैदान में उतर गए.
इस लड़ाई का असर उनके परिवार पर सीधा-सीधा पड़ा और उन्हें इन आंदोलनों के चलते परिवार का साथ तक छोड़ना पड़ा था. वे अपना गांव छोड़कर इंदौर आए और मालवा मिल में बदली मजदूर के रूप में काम भी किया. वे कॉलेज में अध्यापन के कार्य से भी जुड़े रहे. वैसे तो उनका सपना डॉक्टर बनना था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना निर्णय बदला और वकालत की.
इस पेशे को उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया और जो फीस उन्होंने मिलती थी उसका एक बड़ा हिस्सा वे, समाजसेवा में लगाते आए. कुल मिलाकर आज इंदौर ने अपना एक और हितैषी खो दिया. श्री माथुर का अंतिम संस्कार कल रविवार को रामबाग मुक्तिधाम पर 11.00 बजे होगा. अंतिम यात्रा निज निवास 14-बी, रतलाम कोठी से सुबह 10.00 बजे निकलेगी..!
अभ्यास मंडल को जाल सभागृह में जगह दिलाई, देश की दिग्गज हस्तियों को इंदौर बुलाया. अभ्यास मंडल की व्याख्यानमाला स्कूल में दरी पर बैठकर होती थी. उन्होंने जाल सभागृह में व्याख्यानमाला शुरू करवाई. मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, प्रधानमंत्री आईके गुजराल जैसे दिग्गजों को व्याख्यानमाला के लिए इंदौर बुलाया.