इंदौर
हुकुमचंद मिल बंदी का 30 वर्ष : काला दिवस पर पांच सौ से ज्यादा मजदूरों ने रखी अपनी बात
Paliwalwani
इंदौर : (प्रतिभान सिंग बुदेला...) हुकुमचंद मिल बंदी का 30 वे वर्ष काला दिवस पर पांच सौ से ज्यादा मजदूरों ने मिल गेट पर पहुंच कर मध्य प्रदेश सरकार के प्रति व मुख्यमंत्री के वादाखिलाफी के विरोध व रोष प्रकट किया इस अवसर पर इंटक के प्रधानमंत्री हरनाम सिंह धारीवाल हुकुमचंद मिल मजदूर कर्मचारी समिति के अध्यक्ष नरेंद्र श्रीवंश ,किशनलाल बोकरे ने संबोधित करते हुए कहा कि मिल 12 दिसंबर 1991 को अघोषित रूप से मिल में तालाबंदी कर उसमें में कार्यरत 6000 श्रमिकों को बेरोजगार कर दिया गया जिसकी वजह से उनके 35000 से भी ज्यादा परिवारों के सदस्यों के सामने भूखे मरने का संकट खड़ा हो गया उस समय मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से मिल मजदूरों ने मिल को पुनः चालू करने या मजदूरों की लेनदारी दिए जाने की गुहार लगाई नतीजा कुछ नहीं निकला. फिर दिग्विजय सिंह की सरकार आई उससे भी गुहार लगाई .सिंह की सरकार ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामला उच्च न्यायालय में लंबित है फिर उमा भारती मुख्यमंत्री बनी उनसे भी मजदूरों नए अपने हक के पैसों को दिए जाने की मांग करी नतीजा कुछ नहीं फिर शिवराज सिंह की सरकार आई इस बीच 6 अगस्त 2007 को हाईकोर्ट का फैसला भी मजदूरों के पक्ष में आया जिसमें 229 करोड रुपए रुपए के मंजूर हो गए यह पैसा मिल की संपत्ति जिसमें जमीन भी शामिल है को बेचकर मजदूरों के भुगतान करने के आदेश माननीय न्यायालय ने मिल परिसमापक को दिए इस बीच शिवराज सरकार ने न्यायालय में जमीन न बेचे जाने की आपत्ति लगा दी उसके बाद हमने न्यायालय से कहा जमीन सरकार रख लेवे और मजदूरों का पैसा दे दे इस बात को न्यायालय ने माना और सरकार को मजदूरों के भुगतान करने के लिए कहा था लेकिन जब से सरकार न्यायालय को भी गुमराह करती चली आ रही है जिस के लिए माननीय न्यायालय ने कई बार सरकार को न केवल पेनल्टी लगाई बल्कि फटकार भी लगा चुकी है पर सरकार ने मजदूरों के प्रति असंवेदनहीनता दिखा रही है मुख्यमंत्री सार्वजनिक तौर परं चुनाव के समय हर बार मजदूरों की देनदारी दिए जाने का झूटा वादा व कसमे खाते चले आ रहे है .उनके वादों को पूरा होने के इंतजार मे अभी तक 2200से ज्यादा मजदूर अपने प्राण गंवा चुके है हम अब और इंतजार नही कर सकते है इसलिए मजबूर हो कर सतत आंदोलन की राह अपनाने का निर्णय लिया जा रहा है हमारा सरकार से पुनः निवेदन है की आगामी विधानसभा सभा सत्र के पहले मजदूरों के भुगतान करने के लिए कोई ठोस निर्णय नही लेती है तों 6000 मजदूर व अपने परिवार सहित 50000 सदस्यों के साथ भाजपा के झंडे व बैनर ले कर विधानसभा सत्र के दौरान भोपाल पहुंच कर सदन का घेराव व प्रदर्शन करेंगे फिर जो भी इस्थीती बनेगी वो सरकार की जिम्मेदारी होगी यह निर्णय भी आज 500 मजदूर प्रतिनिधियों की उपस्तिथि मे लिया गया