स्वास्थ्य
स्वास्थ्य : डायलिसिस पर रहते हुए सेहत भरी जिंदगी जीना
Umesh Kumar Singhनई दिल्ली : खराब किडनी से स्थायी रूप से जूझ रहे मरीजों को अपने इलाज के तहत नियमित रूप से डायलिसिस कराना पड़ता है। इस प्रक्रिया में मरीजों के खून में जमा कचरा, विषाक्त पदार्थ और पानी की अधिक मात्रा को निकाला जाता है, डायलिसिस से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन भी बना रहता है। लिहजाा क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) से पीड़ित मरीजों को डायलिसिस के जरिये शरीर में यह महत्वपूर्ण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। शालीमार बाग स्थित मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी एंड रेनल ट्रांसप्लांट मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ. मनोज अरोड़ा का कहना है कि किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य में क्वालिटी ऑफ लाइफ (क्यूओएल) एक सूचकांक होता है, जो न सिर्फ शारीरिक बल्कि मस्तिष्क स्वास्थ्य का भी संकेत होता है।
क्वालिटी ऑफ लाइफ व्यक्ति के स्वास्थ्य और खुशहाली, उसकी सकारात्मक और नकारात्म भावनाओं, मूड डिसऑर्डर और नियमित कार्यों का जिम्मा संभालने या उनमें हिस्सा लेने की क्षमता का सूचक माना जाता है। डायलिसिस कराने वाले मरीजों में क्यूओएल सूचकांक आम तौर पर कई कारणों से निम्न स्तर पर रहता है। इसे कुछ आसान उपाय और फैसले अपनाते हुए मरीजों की अच्छी सेहत के लिए बदला जा सकता है। डॉ. मनोज अरोड़ा के अनुसार ज्यादातर मरीज सहज रूप से यह स्वीकार नहीं कर पाते हैं कि वे इस बीमारी से पीड़ित हैं। पहला कदम स्वीकार्यता है और उन्हें जान लेना चाहिए कि डायलिसिस ही असल में लंबी आयु जीने का साधन है और खराब किडनी से जूझ रहे मरीजों के लिए यही प्रभावी उपचार है। अच्छी तरह डायलिसिस कराने के लिए आपको अच्छा केंद्र चुनना होगा जिससे आपको इस प्रक्रिया का अधिकतम लाभ मिल सके। डायलिसिस सेंटर के पानी की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि नियमित रूप से विषाक्त तत्वों का स्तर कम करने के लिए यह जरूरी है। दो डायलिसिस सेशन के बीच वजन बढ़ने का महत्व समझना चाहिए क्योंकि पानी पीने पर नियंत्रण रखने से सांस लेने में तकलीफ होने के कारण डायलिसिस कराने की आपात स्थितियां कम हो सकती हैं और मरीज बेहतर क्वालिटी लाइफ बनाए रख सकता है। डॉ. मनोज अरोड़ा का कहना है कि सीकेडी पीड़ित मरीजों के लिए खानपान और व्यायाम दो महत्वपूर्ण कारक हैं क्योंकि किडनी रोग से जुड़े डायटिशियन आपको पर्याप्त प्रोटीन वाला भोजन लेने की सलाह देता है ताकि मांसपेशियों की मात्रा बरकरार रहे और फिट बने रहने के लिए पोटैशियम तथा फॉस्फोरस भरे भोजन का सेवन सीमित किया जा सके।
सीकेडी मरीजों की अच्छी क्यूओएल के लिए नियमित व्यायाम, धूम्रपान और अल्कोहल का त्याग अनिवार्य पहलू है। इसके अलावा उन्हें सही समय पर दवाई लेनी चाहिए और फिट और सक्रिय बने रहने के लिए अपने ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल की भी जांच कराते रहना चाहिए। डायलिसिस मरीजों में काम इच्छा की कमी एक सामान्य समस्या होती है, इसलिए बेहतर क्यूओएल और इस समस्या के इलाज के लिए ऐसे मरीजों को अपने नेफ्रोलॉजिस्ट से संपर्क जरूर करना चाहिए। डायलिसिस मरीजों को कला, दस्तकारी, संगीत और डांस जैसे विभिन्न शौक पूरा करने के लिए समय देना चाहिए। वे किसी लाफ्टर क्लब में भी हिस्सा ले सकते हैं क्योंकि ऐसी मनोरंजक गतिविधियों से वे प्रेरित हो सकते हैं और उनका क्यूओएल बेहतर हो सकता है।
Umesh Kumar Singh
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