स्वास्थ्य

इनफर्टिलिटी के इन संकेतों को न करें नजरअंदाज, समय पर ध्यान देना जरूरी : डॉ. चंचल शर्मा

Paliwalwani
इनफर्टिलिटी के इन संकेतों को न करें नजरअंदाज, समय पर ध्यान देना जरूरी : डॉ. चंचल शर्मा
इनफर्टिलिटी के इन संकेतों को न करें नजरअंदाज, समय पर ध्यान देना जरूरी : डॉ. चंचल शर्मा

इनफर्टिलिटी की समस्या आजकल पुरुषों और महिलाओं दोनों में आम हो गई है।अगर आपको बच्चे के लिए प्रयास करते हुए एक साल से अधिक समय हो गया है और आप गर्भवती नहीं हो पा रही हैं, तो यह इनफर्लिटी का संकेत हो सकता है। आज के समय में यूवा अपने पढ़ाई और करियर को लेकर काफी तनाव में रहने लगे है। इनके सोने-जागने और खाने-पीने का कोई निर्धारित समय नहीं है। यही कारण है कि बड़ी उम्र में फैैमिली प्लानिंग के बारे में सोचते हैं तो प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आने लगती है। 

आशा आयुर्वेदा स्थित डॉ. चंचल शर्मा के कहना है की विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक  वैश्विक औसत 17.5 फीसदी का ही है। एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में 15 प्रतिशत से ज्यादा कपल्स को इनफर्टिलिटी प्रभावित कर रही है। जिस पर आज भी खुलकर बात नहीं की जाती है। अगर समय रहते इनफर्टिलिटी की समस्या का पता चल जाए तो इसे जीवनशैली में बदलाव और इलाज के जरिए ठीक किया जा सकता है। 

डॉ. चंचल बताती है कि यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जिनकी मदद से आप समझ पाएंगे कि आपको इनफर्टिलिटी की समस्या है या नहीं, अगर आपको ये संकेत मिल रहे हैं तो समय रहते समस्या का समाधान करें ताकि आप जल्द से जल्द गर्भधारण कर सकें।

सबसे पहले अनियमित पीरियड्स का मतलब है कि पीरियड्स जल्दी आते हैं, छूट जाते हैं या आठ दिनों से अधिक समय तक चलते हैं। ये दिक्कत अगर है तो 30-40% केस में ये इनफर्टिलिटी का संकेत हो सकता है। मासिक धर्म की अनियमितता भी अंडे के निर्माण को प्रभावित कर सकती है, जिसे एनोव्यूलेशन कहा जाता है।  

दूसरा पीरियड के दौरान निकलने वाला रक्त का रंग आपको संकेत दे सकता है। पीरियड के खून का रंग लाल, गुलाबी और भूरा होना सामान्य बात है। कभी-कभी रंग में बदलाव प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी और एंडोमेट्रियोसिस का भी संकेत दे सकता है। इसलिए, जब भी संदेह हो तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

तीसरा मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को गर्भधारण करने में दूसरों की तुलना में दिक्कत अधिक हो सकती है। जैसे कि पीसीओएस, अंडाशय या फैलोपियन ट्यूब को नुकसान, एंडोमेट्रियोसिस जैसी चिकित्सीय स्थितियां भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।

चौथा अगर सेक्स के दौरान किसी भी तरह का दर्द हो तो इसे नजरअंदाज न करें। यह कुछ पेल्विक समस्या या एंडोमेट्रियोसिस का कारण हो सकता है।आखिर में इनफर्टिलिटी के लक्षण के तौर पर महिलाओं को हार्मोन्स में बदलाव अनुभव होता है। हार्मोन के उतार-चढ़ाव के कई लक्षण हैं जो महिलाएं अनुभव कर सकती हैं, जैसे, चेहरे पर असामान्य तौर पर बालों का बढ़ना, सेक्स के प्रति रुझान में कमी, त्वचा की समस्याएं आदि जो पीसीओडी का कारण हो सकता है।

डॉ. चंचल कहती है कि निसंतानता की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट मौजूद हैं। आयुर्वेद में बच्चा न होने की समस्या को आयुर्वेदिक औषधियों और पंचकर्मा दूर करने के लिए दावे किए जाते है। इन सभी मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि बाद में पछताने के अलावा हमारे पास कुछ नहीं बचता है। जैसे एलोपैथी साइंस में आईवीएफ एक रास्ता है वैसे ही आयुर्वेद में नेचुरल ट्रीटमेंट भी संभव है। निसंतानता के किसी भी समस्या में आयुर्वेद इलाज सबसे प्रभावी और सस्ता इलाज है। और आईवीएफ के मुकाबले इसकी सफलता दर कही गुणा ज्यादा है।

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