स्वास्थ्य

क्या महिलाओं में खून की कमी प्रेगनेंसी को प्रभावित कर सकती है? : डॉ. चंचल शर्मा

डॉ. चंचल शर्मा
क्या महिलाओं में खून की कमी प्रेगनेंसी को प्रभावित कर सकती है? :  डॉ. चंचल शर्मा
क्या महिलाओं में खून की कमी प्रेगनेंसी को प्रभावित कर सकती है? : डॉ. चंचल शर्मा

डॉ. चंचल शर्मा...

मां बनना हर औरत का सपना होता है, लेकिन आजकल कई महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं। कई महिलाएं गर्भधारण करने की कोशिश में कई महीने या साल भी बिता देती हैं। दुर्भाग्य से यह एक आम समस्या है जो दुनिया भर में लाखों महिलाओं को प्रभावित करती है, जिसमें कई कारक योगदान दे सकते हैं। एक कारक जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है वह है एनीमिया, एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिसमें रक्त में हेमोग्लोबिन की कमी होती है, जिससे रक्त को शरीर के अंदर की आवश्यक ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता में कमी होती है। 

आशा आयुर्वेदा स्थित फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि भारत में लगभग आधी महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं। खून में आयरन का यह निम्न स्तर आपके गर्भधारण न कर पाने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। महिलाओं को मां बनने की योजना बनाने से पहले अपने शरीर के बारे में समझना चाहिए। हमारी बॉडी बहुत स्मार्ट है, उसे पता होता है कि शरीर के लिए कब क्या जरूरी है। जब कोई महिला मानसिक या शारीरिक तनाव में होती है तो उसका शरीर उसे मां बनने नहीं देता, क्योंकि शरीर को पता होता है कि अभी मां बनने के लिए तैयार नहीं है।

डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट रिसर्च एंड एकेडमिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन महिलाओं को पर्याप्त आयरन नहीं मिलता है, वे ठीक से ओव्यूलेट नहीं कर पाती हैं। और आयरन का स्तर कम होने से अंडे का स्वास्थ्य भी खराब होता है जिससे आपकी प्रजनन क्षमता 60% तक कम हो जाती है। इसका मतलब है कि जब हमारे शरीर में आयरन की कमी होने लगती हैं, तो यह लाल रक्त कोशिकाओं को विकसित होने से रोकता है।

लाल रक्त कोशिकाओं के कम होने से हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है। और इससे अंडाशय और गर्भाशय सहित शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है जिससे अनियमित मासिक धर्म, ओव्यूलेशन समस्याएं और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। 

इसके अलावाडॉ. चंचल शर्मा बताती है कि खून की कमी से अंडाशय ठीक से काम नहीं कर पाते हैं, जिससे महिला के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। अगर कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो एनीमिया के कारण गर्भपात या समय से पहले जन्म का खतरा बढ़ सकता है। खून में ऑक्सीजन की कमी भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकती है, जिससे गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए गर्भधारण से पहले इस स्थिति को जानना बेहद जरुरी है। 

डॉ. चंचल शर्मा कहती है कि आयुर्वेद की प्रचीन पंचकर्मा पद्धति और औषधियों से निसंतानता की किसी भी समस्या का इलाज संभव है। जो महिलाएं बार-बार एनीमिया की समस्या से जूझती हैं उनका इलाज पंचकर्म के जरिए भी किया जा सकता है। पंचकर्मा एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य बिना किसी सर्जरी और साइड इफेक्ट के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना है। यह चिकित्सा प्रक्रिया विभिन्न रोगों और समस्याओं के उपचार में प्रयोग की जाती है।

आयुर्वेद कहता है कि न सिर्फ शरीरिक दोषों पर काम करें, बल्कि मानसिक दोषों पर भी काम करना बेहद जरूरी है। निसंतानता से जुड़े किसी भी समस्या को पंचकर्म के माध्यम से ठीक किया जाता है। जिससे एक महिला को एक सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था प्राप्त होती है। आयुर्वेद में औषधियों के साथ-साथ फर्टिलिटी डाइट मैजमेंट के माध्यम से फर्टिलिटी में सुधार किया जाता है। आपको हरी सब्जियों और फलों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। आपको इस बात का ध्यान भी देना है कि तनाव कम करना, पर्याप्त आराम करने, ध्रूमपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए जो एनीमिया को बढ़ा सकते हैं। यकीन माने आपके एक बदलाव से आप अपने माता-पिता बनने का सपना पूरा कर सकते हैं।

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