दिल्ली
मास्टरमाइंड ललित झा गिरफ्तार, 14 विपक्षी सांसद निलंबित
paliwalwaniनई दिल्ली :
संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले पर हंगामा जारी है. विपक्ष मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग कर रहा है. इस बीच लोकसभा से 13 और राज्यसभा से एक सांसद को शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया. विपक्ष के हमलावर रुख पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि ये राजनीतिक मामला नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने रात के करीब साढ़े 10 बजे छठे आरोपी और मुख्य साजिशकर्ता माने जा रहे ललित झा को गिरफ्तार कर लिया. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि ललित झा खुद थाने पहुंच था और हम उससे पूछताछ कर रहे हैं.
पुलिस ने कोर्ट से आरोपियों की 15 दिन की हिरासत मांगी
इससे पहले दिन में दिल्ली पुलिस ने मामले में आरोपी मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल शिंदे और नीलम को कोर्ट में पेश किया. इस दौरान पुलिस ने कोर्ट से आरोपियों की 15 दिन की हिरासत मांगी, लेकिन अदालत ने सात दिनों की रिमांड दी. इनमें से लोकसभा में सांसदों की बैठने वाली जगह पर कूदने वाले और कैन के जरिए धुंआ करने वाले लोग मनोरंजन डी और सागर शर्मा हैं. वहीं अमोल शिंदे और नीलम परिसर में नारेबाजी कर कैन से धुंआ फैलाने वाले हैं. पांचवां आरोपी विक्की पुलिस की हिरासत में है.
सांसद हुए निलंबित
सदन में आसन की अवमानना के लिए विपक्ष के 13 सदस्यों को मौजूदा शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. इसमें कांग्रेस के टीएन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास, डीन कुरियाकोस, वीके श्रीकंदन, बेनी बेहनन, मोहम्मद जावेद और मणिकम टैगोर हैं. वहीं डीएमके के कनिमोई, माकपा के एस वेकटेशन और भाकपा के के. सु्ब्बारायन हैं. वहीं टीएमसी के सदस्य डेरेक ओब्रायन को अशोभनीय आचरण के लिए मौजूदा शीतकालीन सत्र के लिए राज्यसभा से निलंबित किया गया है.
मल्लिकार्जुन खरगे ने उठाए सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर सरकार पर निशाना साधा. खरगे ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद की सुरक्षा को खतरे में डालने के बाद बीजेपी अब आवाज उठाने वाले पर ही वार कर रही है. विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित करना लोकतंत्र का निलंबन है.’’
उन्होंने कहा उनका अपराध क्या है? क्या केंद्रीय गृह मंत्री से सदन में बयान देने का आग्रह करना अपराध है? क्या खतरनाक सुरक्षा उल्लंघन पर चर्चा कराना अपराध है? क्या यह तानाशाही के उस पहलू को रेखांकित नहीं करता, जो वर्तमान व्यवस्था की पहचान है?