दिल्ली

निशिकांत दुबे-दिनेश शर्मा के बयानों से BJP ने किया किनारा

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निशिकांत दुबे-दिनेश शर्मा के बयानों से BJP ने किया किनारा
निशिकांत दुबे-दिनेश शर्मा के बयानों से BJP ने किया किनारा

नई दिल्ली.

सीजेआई को गृहयुद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया

संसद से पारित वक्फ संशोधन बिल 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई को लेकर देश में राजनीतिक भूचाल आया हुआ है. देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लेकर की गई बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर बवाल मच गया है. उन्होंने सीजेआई को गृहयुद्ध भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराया तो विपक्ष ने उन्हें तुरंत जेल भेजने की मांग की है. इसके साथ ही बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी बयान से किनारा कर लिया है.

जेपी नड्डा कहा बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है. यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन बीजेपी ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है. बीजेपी इनके बयान को सिरे से खारिज करती है.

उन्होंने आगे कहा भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं. मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है.

बीजेपी के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने कहा, "मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया, लेकिन हम देख रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के कई हिस्से जल रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की आंखें बंद हैं. पूरा देश सुप्रीम कोर्ट की तरफ देख रहा है कि सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सरकार को निर्देश देगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट चुप है."

वहीं, बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, "लोगों में यह आशंका है कि जब डॉ. बीआर अंबेडकर ने संविधान लिखा था, तो उसमें विधायिका और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से लिखे गए थे. भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता है और राष्ट्रपति पहले ही इस पर अपनी सहमति दे चुके हैं. कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं.

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