दिल्ली
661 वाँ वेबिनार : "सद्गुरु की पहचान कैसे हो?" विषय पर गोष्ठी संपन्न
paliwalwaniगुरूडमवाद का मूल कारण अविद्या है : विमलेश बंसल दर्शनाचार्या
गाजियाबाद. केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "सद्गुरु की पहचान कैसे हो?" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया. य़ह कोरोना काल से 661 वाँ वेबिनार था.
वैदिक विदुषी आचार्या विमलेश बंसल दर्शनाचार्या ने कहा कि सदगुरु की पहिचान कैसे हो? नाना सूत्रों, मंत्रों, श्लोकों, संत वचनों द्वारा सदगुरु के लक्षण बताने का प्रयास किया. आज चारों ओर पाखंड अंधविश्वास का बोलबाला दिखाई पड़ रहा है. गुरुडमवाद पुनः चरम सीमा पर पहुंच चुका है. उसके पीछे का मूल कारण अविद्या ही है और हम आर्यों का आलस्य भी.
हमारे पास वैदिक ज्ञान होते हुए भी हम इसको निःस्वार्थ निष्काम भाव से आगे उतना नहीं बढ़ा पा रहे, जितना बढ़ाना चाहिए. हम वर्तमान के हाथरस हादसे को देखकर भी नहीं चेत पा रहे, श्वेत कोट पेंट पहनकर कैसा संत? जिसकी वेशभूषा ही भगवा नहीं, न जो भगवान को माने, ऐसे स्वयं को भगवान बताने वाले अपने चरण पुजवाने वाले राष्ट्र के लिए कलंक नहीं तो और क्या हैं? जो मिथ्या आचरण, ऐषणाओं में जीने वाले, ठग विद्या को फैलाने वाले, इनकी पहिचान कर इनके लिए प्रशासन द्वारा कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए.
कई मुस्लिम समुदाय के लोग भी आज भगवा पहन कर हमारे ग्रामीण घरों में भोली भाली युवतियों को मोली तिलक लगा अपना शिकार बना रहे हैं. इसलिए महर्षि दयानंद को कहना पड़ा इन बाह्य प्रतीक चिन्हों से साधु संतों की पहिचान नहीं होती. सत्यवादी, सत्यमानी, सत्यकारी जीवन जीने वाला होने से होती है,
इत्यादि. भौतिक गुरु के रूप में हम अपने माता, पिता, आचार्य, महानपुरूषो, ऋषियों, ऋषिकृत ग्रंथों, आप्त विद्वानों को ही गुरु बनाए- जिनका लक्ष्य मोक्ष हो और सब गुरुओं का गुरु सच्चा गुरु तो एक परमेश्वर ही है, उसी से सब ऋषि मुनि विद्वान ज्ञान पाते हैं. जिसका काल से भी बींध नहीं होता, उसकी वेद वाणी से बड़ा कोई सच्चा गुरु नहीं, सब उसे पढ़कर ही गुरु बनते हैं.
आओ हम सब सच्चे गुरु की पहिचान करना सीखें तथा आर्ष ग्रंथों और वेदज्ञ गुरुओं का वरण कर अन्यों को भी सद्गुरु की पहिचान कराएं. मुख्य अतिथि आर्य नेत्री अनिता रेलन व अध्यक्ष पूजा सलूजा ने वेद शास्त्रों को पढने का आह्वान किया. परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया. राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया. गायिका कुसुम भंडारी, सन्तोष धर, कौशल्या अरोड़ा, राजश्री यादव, विजय खुल्लर, सरला बजाज के मधुर भजन हुए.