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फिल्म ‘गंगूबाई काठियाडवाड़ी : ‘मां को सोशल वर्कर से सेक्स वर्कर बना दिया’ भड़का असली ‘गंगूबाई’ का परिवार, संजय लीला भंसाली पर केस ठोका

Paliwalwani
फिल्म ‘गंगूबाई काठियाडवाड़ी : ‘मां को सोशल वर्कर से सेक्स वर्कर बना दिया’ भड़का असली ‘गंगूबाई’ का परिवार, संजय लीला भंसाली पर केस ठोका
फिल्म ‘गंगूबाई काठियाडवाड़ी : ‘मां को सोशल वर्कर से सेक्स वर्कर बना दिया’ भड़का असली ‘गंगूबाई’ का परिवार, संजय लीला भंसाली पर केस ठोका

फिल्म ‘गंगूबाई काठियाडवाड़ी’ रिलीज होने से पहले ही विवादों में आ गई है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही इस फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली और राइटर हुसैन जैदी पर मानहानि का केस हो गया है। ये केस और किसी ने नहीं बल्कि असली गंगूबाई के परिवार ने ठोका है। क्या है पूरा मामला आपको आगे बताते हैं।

ट्रेलर रिलीज होने के बाद परिवार परेशान

गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म ने उनके परिवार की परेशानी बढ़ा दी है, आलम यह है कि परिवार अब मुंबई के घरों में बार-बार अपना आशियाना बदल रहा है ताकि लोगों के तीखे सवालों से बच सके। आपको बता दें कि गंगूबाई ने चार बच्चों को अडॉप्ट किया था। आज उनकी फैमिली बढ़कर 20 लोगों में तब्दील हो चुकी है। इतने सालों से अपनी जिंदगी में व्यस्त चल रहे इस परिवार की मुसीबतें तब बढ़ गईं, जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ।

इतना ही नहीं इन्हें तो यह भी नहीं पता था कि उनकी मां पर कोई किताब भी लिखी जा चुकी है। लगातार अपने रिश्तेदारों के बीच मजाक का पात्र बन रहे उनके बेटे ने अपनीं मां (गंगूबाई) और परिवार की इज्जत को बचाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

ट्रेलर रिलीज के बाद सदमें में गंगूबाई परिवार

गंगूबाई के परिवार के वकील नरेंद्र बताते हैं-  ट्रेलर रिलीज के बाद से पूरा परिवार सदमे में है। जिस तरह से गंगूबाई की इमेज को दर्शाया जा रहा है, वो पूरी तरह से गलत और बेसलेस है। यह पूरी तरह से वल्गर और न्यूड है। आप एक सोशल एक्टिविस्ट को प्रोस्टीट्यूट की तरह रिप्रेजेंट कर कर रहे हो, किस परिवार को पसंद आएगी ये चीज। उन्हें तो आपने वैंप और लेडी माफिया डॉन बना दिया है।

दूसरी बात ये है कि अगर आपके घर की इज्जत सरेआम नीलाम हो रही है, तो लोग यहां उनकी इज्जत को बचाने के बजाए आप बेटे से ही सबूत मांग रहे हैं, कि वो उनके बेटे हैं इसे प्रूव करो। हालांकि हमने इसे निचली कोर्ट में साबित कर दिया है, लेकिन अब हमारे मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

घर बदल रहे गंगूबाई के परिवार के लोग

वकील ने बताया कि हमारी लड़ाई 2020 से शुरू हुई है, जब उनके बेटे को पता चला है कि कोई बुक आई है और उसपर फिल्म बन रही है। जब फिल्म के प्रोमो के साथ उनकी मां की तस्वीर देखी, तब उन्हें पता चला कि यह सिचुएशन है। अभी तो परिवार खुद को छिपाता फिर रहा है। कभी अंधेरी, तो कभी बोरीवली जैसी जगहों में शिफ्ट हो रहा है। रिलेटिव जो हैं, वो उनको ‘सन ऑफ बीच’ कहकर बुला रहे हैं। जानने वाले लोग पूछ रहे हैं कि क्या वाकई तुम्हारी मां प्रॉस्टीट्यूड थी, तुम तो कहते थे कि वो सोशल वर्कर हैं लेकिन फिल्म तो कुछ और कह रही है।

जबसे बवाल हुआ है, तब से परिवार वालों का मेंटल स्टेटस ठीक नहीं है। कोई भी शांति से नहीं रह पा रहा है। उन्हें 1949 में अडॉप्ट किया गया था। हमने संजय लीला भंसाली और राइटर हुसैन जैदी को नोटिस भेजा है हालांकि उनका कोई रिस्पॉन्स नहीं आया नहीं आया है।

सोशल वर्कर से सेक्स वर्कर बना दिया

गंगूबाई के गोद लिए बेटे बाबूरावजी शाह ने बातचीत करते हुए कहा कि- मेरी मां को तो प्रॉस्टीट्यूड बनाकर रख दिया। मेरी मां के बारे में लोग अब तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। मुझे नहीं अच्छा लगता है। वहीं उनकी नतिनी भारती का कहना है कि इन मेकर्स ने पैसे की लालच में आकर मेरे परिवार को डी-फेम कर दिया है। यह बिलकुल भी एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता है। आपने परिवार की सहमति ली ही नहीं, ना किताब लिखते वक्त आप हमारे पास आए और न ही फिल्म बनाने से पहले आपने हमसे इसकी परमिशन ली है।

क्या कमाठीपुरा में रहने वाली हर औरत वैश्या है?”

भारती आगे कहती हैं, मेरी नानी कमाठीपुरा में रहती थीं. तो क्या वहां रहने वाली हर औरत वैश्या हो गई। मेरी नानी ने वहां चार बच्चों को गोद लिया था, जो प्रॉस्टीट्यूट के ही बच्चे थे। मेरी मां का नाम शकुंतला रंजीत कावी, दूसरी बेटे का नाम रजनीकांत रावजी शाह तीसरे बेटे का नाम बाबू रावजी शाह चौथी बेटी सुशीला रेड्डी हैं। हम उन्हीं के परिवार से हैं। उन्होंने हमें ही अवैध या इल्लीगल करार दे दिया है। हमारी नानी ने जब अडॉप्शन किया था, उस वक्त इसके कानून नहीं बने थे।

ट्रेलर रिलीज के बाद मुंह छुपाना पड़ रहा

भारती ने कहा हम एक ओर जहां फक्र से अपनी नानी के किस्से लोगों को सुनाया करते थे, वहीं ट्रेलर के आ जाने के बाद तो हमारी इज्जत की धज्जियां उड़ गई हैं। लोग कॉल कर कहने लगे कि आपकी नानी को तो प्रॉस्टीट्यूट बोल रहे हैं। जबकि मेरी नानी ने जिंदगीभर वहां के प्रॉस्टीट्यूट के उत्थान के लिए काम किया है। इन लोगों ने तो मेरी नानी को क्या से क्या बना दिया है। हमें तो लोग प्रॉस्टीट्यूट की औलाद कह रहे हैं। मैं और परिवार तो कैमरे के सामने आने से कतरा रहा है।

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