भोपाल
शिवराज सरकार से सात लाख अधिकारी और कर्मचारी खासे नाराज : लालफीताशाही के आगे घोषणाओं ने दम तोड़ा...!
Anil Bagoraअनील बागोरा की कलम से...
भोपाल :
कितना अजीब है कि सरकार के लिए लंबे समय से कम वेतन प्राप्त करने के बाद भी ईमानदारी पूर्वक छोटे कर्मचारी काम रहे है, केवल इस उम्मीद से कि कभी तो हमारी कोई सरकार सुनेगी. शिवराज सिंह ने कई घोषणा की गई, लेकिन लालफीताशाही के आगे दम तोड़ गई. मंत्री से लेकर कई विधायको ने विनियमित स्थायीकर्मी, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, अंशकालीन कर्मचारी, सुरक्षा, वन सुरक्षा श्रमिकों की 12 सूत्रीय मांगों को लेकर शिवराज सरकार को अपनी ओर से पत्र लिखकर समस्याओं से अवगत भी कराया गया. लेकिन शिवराज सिंह ने उन्हें इस लायक भी नहीं समझा कि अपने विधायक छोटे कर्मचारियों के हित में आवाज क्यों बुलंद कर रहे है. कहीं छोटे कर्मचारियों की नाराजगी, शिवराज सरकार की विदाई की बेला ना बन जाए.
कर्मचारी संगठनों ने कहा है कि इस मंहगाई के दौर में शिवराज सरकार ने अपने-अपने चेहतों को मलाई खिला दी. लेकिन छोटे कर्मचारियों के हित में केवल छल और धोखा देने के अलावा कोई काम नहीं किया. सैंकड़ो बार अपनी मांगों को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे, कर्मचारियों की कई मांगें दिल के अरमानों में ही दफन हो गई. सूत्रों ने माना भी है कि शिवराज सरकार से कई कर्मचारी संगठन खासे नाराज बताएं जा रहे है, और अंदर ही अंदर व्यूहरचना रच रहे हैं.
कर्मचारी संगठनों की ओर से इसे लेकर लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा था. आचार संहिता लगने के बाद अब धरना, प्रदर्शन, आंदोलन बंद हो गए. ऐसे में अब कर्मचारियों की कई मांगें पूरी नहीं हो पाई. हर बार विनियमित स्थायीकर्मी, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, अंशकालीन कर्मचारी, सुरक्षा, वन सुरक्षा श्रमिक कर्मचारी घर वालों से झूठ बोलते थे कि सरकार ने हमारी मांगे पूरी कर दी, बस अब आदेश जारी होने वाले है., आज भी सुबह घर से आफिस के लिए निकले है, तो बच्चे पूछते हैं, पापाजी मिठाई कब खिलावोगे.
मप्र कर्मचारी मंच की ओर से स्थायी कर्मी, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, अंशकालीन कर्मचारी, सुरक्षा, वन सुरक्षा श्रमिकों ने अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर मंत्रालय के समक्ष प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन मंत्रालय के मुख्य द्वार पर चस्पा किया. मंच के अशोक पांडे ने पालीवाल वाणी को बताया कि कर्मचारियों की मांगों का निराकरण नहीं हो पाया है, अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं. और संघर्ष अंत तक जारी रहेगा.
कर्मचारी जगत में निराशा
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि अधिकांश संगठनों द्वारा अपने मांग पत्र एवं धरना प्रदर्शन के माध्यम से सरकार तक लगातार मांग पहुंचाई जा रही थी. कर्मचारी संगठन एवं कर्मचारियों को उम्मीद थी कि आचार संहिता लगने से पहले शिवराज सरकार कर्मचारियों की मुख्य मांगों को जरूर पूरा करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. आचार संहिता लगने के बाद कर्मचारियों में मांगे पूरा नहीं होने पर मायूसी है.
कई कर्मचारी संगठनों की ओर से किए जा रहे थे प्रदर्शन
शहर में पिछले दो माह से लगातार विरोध प्रदर्शन का सिलिसला जारी था. इसके तहत सत्याग्रह, रैली, काम बंद आंदोलन सहित अलग-अलग तरीकों से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था. इसमें अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ, स्थायी कर्मी कल्याण संगठन, एनएचएम संविदा आउटसोर्स कर्मचारी संघ, आयुष चिकित्सक महासंघ सहित अन्य संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
साढ़े 5 लाख पेंशनरों के साथ भी छल किया
नियमित कर्मचारी संवर्ग से जुड़े कई कर्मचारी संघों ने राज्य सरकार के रवैये पर सवाल उठाए हैं. इन कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि हमें उम्मीद थी कि आचार संहिता लगने के पहले सरकार कई मांगें पूरी करेगी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी. अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक एवं अपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष भुवनेश कुमार पटेल ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगति दूर करने, ग्रेड पे बढ़ाने जैसी कई महत्वपूर्ण मांगे पूरी नहीं की गईं. तृतीय वर्ग से जुड़े कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी ने कहा कि लिपिकों को मंत्रालय के समान ग्रेड पे का लाभ देने, पदोन्नति पर 7 साल से लगी रोक हटाने जैसी कई मांगें पूरी नहीं हो सकीं. पेंशनर संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी गणेशदत्त जोशी, आमोद सक्सेना और राजेश चौबे ने कहा कि प्रदेश के साढ़े पांच लाख पेंशनरों के साथ छल किया गया है. छूट और महंगाई राहत का बकाया नहीं दिया.