भोपाल
कलेक्टरों की परफॉर्मेंस पर मोहन सरकार की सख्त नजर, अब 400 पैरामीटर पर होगी रेटिंग
sunil paliwal-Anil Bagora
भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार ने कलेक्टरों की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करने के लिए एक नया और सख्त रेटिंग सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस प्रणाली की घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।
एमपी में अब पावरफुल होगा रेटिंग सिस्टम
दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कलेक्टरों के परफॉर्मेंस को लेकर एक्शन में है। जिसको लेकर सरकार ने कलेक्टरों के काम की रेटिंग करने का फैसला लिया है। अब रेटिंग सिस्टम और भी पावरफुल होगा। कलेक्टरों की परफॉर्मेंस का आंकलन 400 से ज्यादा पैरामीटर के आधार पर किया जाएगा। यह रेटिंग सरकार की प्राथमिकताओं पर आधारित होगी।
अब कॉल सेंटर फीडबैक से नहीं होगी रेटिंग
इससे पहले परफार्मेंस रेटिंग स्टेट कॉल सेंटर से मिले फीडबैक के आधार पर होती थी, लेकिन अब लेकिन अब इसमें बदलाव किया जा रहा है। अब कॉल सेंटर फीडबैक सिस्टम को हटाया जाएगा। दरअसल, कॉल सेंटर से कॉल के माध्यम लिए गए फीडबैक में अच्छा काम करने वाले कई कलेक्टरों की रेटिंग कमजोर आई थी। इस वजह से भी इसमें बदलाव किए जा रहे हैं।
400 पैरामीटर पर आधारित होगी रेटिंग
नया रेटिंग सिस्टम के नियमों के तहत परफॉर्मेंस तय करने के लिए पैरामीटर तय किए गए हैं। अब कलेक्टरों की रेटिंग 400 से ज्यादा पैरामीटर पर आधारित होगी। योजनाओं को लागू करने के लिए परफॉर्मेंस इंडिकेटर तय किए गए हैं। इस प्रणाली में 400 से अधिक पैरामीटर पर आधारित मूल्यांकन किया जाएगा, जिसमें योजनाओं की प्रभावशीलता, नागरिकों की संतुष्टि, और प्रशासनिक दक्षता जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। डायनामिक पैरामीटर भी रेटिंग तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
सटीक और वास्तविक मूल्यांकन संभव!
इस नए सिस्टम में कॉल सेंटर फीडबैक की बजाय डायनेमिक पैरामीटर का उपयोग किया जाएगा, जिससे अधिक सटीक और वास्तविक मूल्यांकन संभव होगा। सीएम ने कहा कि सरकार इसको लेकर फॉर्मूला सरकार बदलेगी, दो महीने में नए पैरामीटर तय कर हर महीने कलेक्टरों की रेटिंग की जाएगी। सीएम ने कहा कि पुराने रेटिंग सिस्टम में कई खामियां थीं, जिन्हें सुधारने के लिए नया सिस्टम लागू किया जा रहा है।
शासन की प्राथमिकताओं का समावेश
नए रेटिंग सिस्टम में शासन की प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखा जाएगा। उदाहरण के लिए, गर्मी में गेहूं की खरीदी, जून में स्कूल और कॉलेज में प्रवेश, बारिश के दौरान बाढ़ व राहत के इंतजाम, त्योहारों के समय कानून व्यवस्था, उद्योग वर्ष में उद्योग लगाने के लिए भूमि आवंटन और अन्य कार्यों में तेजी लाने जैसे पैरामीटर भी प्रभावी माने जाएंगे।
दरअसल, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मई में सभी 55 जिलों के कलेक्टरों के साथ समाधान ऑनलाइन की बैठक की थी, जिसमें सीएम ने सभी कलेक्टरों को चौंकाते हुए कहा था कि उनके पास सबकी परफॉर्मेंस रिपोर्ट है, लेकिन इस बार इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। अब सरकार जिलों की ग्रेडिंग का काम करा रही है, ताकि जरीए सही रिपोर्ट मिल सके। कलेक्टरों के तबादलों पर नियंत्रण करने के बाद अब सरकार का फोकस उनके काम की रेटिंग है।