भोपाल

फिर विवादों में घिरे बागेश्वर सरकार! कलार समाज बोला- अबकी बार माफी नहीं, कठोर कार्यवाही हो

Paliwalwani
फिर विवादों में घिरे बागेश्वर सरकार! कलार समाज बोला- अबकी बार माफी नहीं, कठोर कार्यवाही हो
फिर विवादों में घिरे बागेश्वर सरकार! कलार समाज बोला- अबकी बार माफी नहीं, कठोर कार्यवाही हो

भोपाल. अपने बयानों को लेकर विवाद में रहने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर से अपने बयान को लेकर विवादों में है. इस बार उन्होंने हयवंशी क्षत्रिय समाज के लोगों की भावना आहत की है. उन्होंने भगवान सहस्त्रबाहु को बलात्कारी तक कह डाला, जिसके बाद आक्रोश देखने को मिल रहा है. कलार समाज के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजा राम शिवहरे का कहना है कि बार बार बाबा इस तरह के विवादित बयान दे रहे है. हमारे इष्ट देव के बारे में ऐसे शब्द कहे जिन्हें हम बोल भी नहीं सकते. इनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाई होनी चाहिए.

कांग्रेस मीडिया अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा किसी भी संत को ऐसी भाषा का इस्तेमाल किसी अन्य धर्म ,जाति या समाज से जुड़े संत या भगवान के लिए नहीं करना चाहिए. ये सरासर गलत है. एक बार संयोग से गलती हो सकती है. दूसरी बार संयोग पार्ट 2 कहा जा सकता है. मगर कोई बार-बार ऐसी बात कह रहा है तो मंशा पर सवाल खड़ा होता है.

जानकारी नहीं मगर बयान से सहमत नहीं : BJP प्रवक्ता

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि हमें उनके बयान की जानकारी तो नहीं है. अगर उन्होंने ऐसा कहा है तो ये नहीं कहना चाहिए, जिससे कि किसी की भावना आहत हो. ऐसी टिपण्णी को जायज नहीं ठहराया जा सकता. हालांकि, सलूजा ने कहा कि बाबा ने किस सन्दर्भ में कहा इसका जवाब वहीं दें.

अलग-अलग जगहों में हो रहा विरोध

इस दौरान बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का विरोध छतरपुर से लेकर सीहोर तक देखने देखने को मिल रहा है. ऐसे में लोगों का कहना है कि अगर कार्यवाई नहीं हुई तो बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

क्या है मामला?

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कथा सुनाने के दौरान सहस्रबाहु को राक्षस और बलात्कारी कहकर संबोधित किया है. धीरेंद्र शास्त्री ने कथावाचन के दौरान बताया कि हैहयवंश को खत्म करने के लिए ही भगवान परशुराम ने फरसा उठाया था. शास्त्री ने कहा कि इस वंश का राजा काफी क्रूर था. जो साधुओं पर अत्याचार करता था. साथ ही महिलाओं के साथ भी कुकर्म करते थे. इसके चलते ही भगवान परशुराम ने अपना फरसा उठाया था.

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