आपकी कलम

अतरा क ई निरमोला वेईग्या : राजेन्द्र सनाढ्य राजन

paliwalwani
अतरा क ई निरमोला वेईग्या : राजेन्द्र सनाढ्य राजन
अतरा क ई निरमोला वेईग्या : राजेन्द्र सनाढ्य राजन

कदी तो म्हणेंई दिल ऊँ, 

कर लिया करो रे आद, 

आल्तक तो जीवीं रो हूँ, 

वाट नाळूँ दन- रात। 

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अतरा क ई दुनियाँ री, 

चकाचौंध मा आंधा वेईग्या, 

नोटा सिवाय क ई नी दिखी रो, 

अतरा क ई निरमोला वेईग्या। 

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आपां लारे मोटा विया रे, 

अर लारे कीदी भणाई,

म्हणें तो सब आद हैं, 

आप सब भूली ग्यां क ई। 

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क ई लारे नी आवें ला, 

मन करी लो भोळा,

मसाणा मा वेरा वेईस, 

मोटा- मोटा टोळा।

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कोई कंडोई भूखों नी, 

सब खाई रा दाळ- रोटी, 

बाकि तो ओ कळजुग हैं, 

वातां तो वैती रे छोटी- मोटी। 

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दिल रेवें जंडो मोटो, 

अर हाथ रेवें हमेसा खोळा,

भगवान विने न्याल करे, 

भरे हमेसा वंडा झोळा। 

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परेम वना क ई कोई नी, 

थौड़ों परेम रो राखों भर, 

अठै किराया री झौंपड़ी, 

ऊपरे असली घर। 

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राजन रे चाई रा भाईड़ा, 

खाली दो मीठा बोल, 

आई न,नी मल सको तो, 

कदी कर दो मिस-कोल। 

कदी कर दो मिस-कोल।। 

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राजेन्द्र सनाढ्य राजन

व्याख्याता- रा उ मा वि नमाना नि-कोठारिया, जि-राजसमंद

(राजस्थान) 99829807774

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