उत्तर प्रदेश
प्रभु श्री रामलला का श्रृंगार प्रतिदिन भव्य रूप में : पहली आरती सुबह 6.00 बजे
sunil paliwal-Anil Bagora
अयोध्या.
अयोध्या में विराजमान संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी प्रभु श्री रामलला का श्रृंगार प्रतिदिन भव्य रूप में होता है. रोजाना भगवान श्री राम भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देते हैं. उनकी फूलों की माला भी दिल्ली से मंगाई जाती है.
रामलला की पहली आरती सुबह 6.00 बजे होती है. रामलला को जगाने से पूजन शुरू होता है. इसके बाद उन्हें लेप लगाने, स्नान करवाने से लेकर वस्त्र पहनाया जाता है. हर दिन और मौसम के हिसाब से अलग-अलग वस्त्र पहनाए जाते हैं. गर्मियों में सूती और हल्के वस्त्र तो जाड़े में स्वेटर और ऊनी वस्त्र पहनाए जाते हैं.
दोपहर 12.00 बजे भोग आरती होती है और साढ़े सात बजे संध्या आरती होती है. इसके बाद रामलला को 8.30 बजे शयन करवाया जाता है. रामलला के दर्शन 7.30 बजे तक ही किए जा सकते हैं.
रामलला को चार समय भोग लगता है. रामलला को हर दिन और समय के हिसाब से अलग-अलग व्यंजन परोसे जाते हैं. ये व्यंजन राम मंदिर की रसोई में बनते हैं. सुबह की शुरुआत बाल भोग से होती है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या धाम में ब्रह्मांड नायक श्री रामलला सरकार की शुभ अलौकिक श्रृंगार हुआ.
रामलला पहनते हैं इस रंग के वस्त्र
अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम अपने चार भाइयों संग चल प्रतिमा में जहां विराजमान हैं, उनकी उस प्रतिमा की पोशाक सप्ताह के प्रत्येक दिन के हिसाब से बदली जाती है. सप्ताह के दिन के अनुसार वह उससे संबंधित रंग के वस्त्र को धारण करते हैं.
सोमवार- सफेद रंग की पोशाक.
मंगलवार- लाल रंग की पोशाक.
बुधवार- हल्का हरे रंग की पोशाक.
गुरुवार- पीले रंग की पोशाक.
शुक्रवार- क्रीम कलर वाले रंग की पोशाक.
शनिवार- नीले रंग की पोशाक.
रविवार- गुलाबी रंक की पोशाक.
अयोध्या के प्रत्येक मंदिर में दिन के हिसाब से धारण करते हैं वस्त्र अयोध्या के लगभग हर मंदिरों में भगवान राम को दिन के अनुसार ही वस्त्र धारण कराया जाता है. फूल-मालओं से भगवान राम का श्रृंगार किया जाता है. अयोध्या के हर मंदिरों में सुबह, दोपहर, शाम और रात्रि को शयन आरती भी होती है, उसके बाद मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं. यहां शाम को सरयू आरती भी होती है, जिसे देखने दूर-दूर से सभी भक्त आते है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। पालीवाल वाणी मीडिया समूह सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)