उज्जैन
श्री राम की याद में तैयार हो रहा उज्जैन में नगर वन
sunil paliwal-Anil Bagoraउज्जैन :
मक्सी रोड स्थित नवलखा नगर वन में डेढ़ किलोमीटर की परिधि में करीब 1200 पेड़ पौधे रोपे जाकर तैयार किया जा रहा है. वन विभाग के अनुसार राम के वनवास काल के समय जो पेड़, पौधे उन्हें रास्तों में मिलते थे. वन में मौजूद वनस्पतियां भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं को त्रेता युग में होने का अहसास कराती हैं. अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव के दिन श्रीराम वन गमन पथ दर्शन हेतु सैलानियों को निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा.
इस नगर वन में लगाया जा रहे है, ताकि उस कालखंड की यादें ताजा हो सके. 22 जनवरी 2024 को राम वन गमन पथ के दर्शन कराए जाएंगे. इस वन में वनवास काल में श्री राम जिन स्थानों से गुजरे उन प्रमुख स्थानों को भी तैयार कर स्थापित किया गया है.
इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री डा.राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे ही दो सौ से अधिक स्थानाें का पता लगाया है, जहां आज भी तत्व संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके थे. नगर वन में इन्हीं प्रमुख स्थानों का निर्माण कराया गया है. स्थान विशेष पर उस क्षेत्र से संबंधित वृक्षों के पौधे भी लगाए गए हैं, जो उस कालखंड में मौजूद थे.
बाबा महाकाल की इस पवित्र धरा अवंतिका पुरी में श्री राम के वनवास काल के दौरान आगमन का वर्णन हमें कथाओं में मिलता है, इस प्रकार प्रभु राम का उज्जैन से भी नाता रहा है.
14 साल के वनवास में किस शहर में रुके थे
अपने वनवास में भगवान राम ने अयोध्या से धुनषकोटि और फिर लंका तक की यात्रा की थी. इन 14 साल के वक्त में वे अलग अलग जगहों पर रुके थे और एक जगह पर कुछ वक्त रहकर आगे बढ़े थे. भगवान राम, लक्ष्मण, सीता, जिन-जिन राज्यों में रुके थे, उसमें उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि शामिल है.
अत्रि-आश्रम' से भगवान राम मध्यप्रदेश के सतना पहुंचे
अत्रि-आश्रम' से भगवान राम मध्यप्रदेश के सतना पहुंचे, जहां 'रामवन' हैं. मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में नर्मदा व महानदी नदियों के किनारे 10 वर्षों तक उन्होंने कई ऋषि आश्रमों का भ्रमण किया.राम वहां से आधुनिक जबलपुर, शहडोल (अमरकंटक) गए होंगे.