धर्मशास्त्र

हरियाली तीज 11 अगस्त को : अखंड सौभाग्य का व्रत-जानिए पूजा-विधि

Sangeeta Joshi-Sangeeta Paliwal
हरियाली तीज 11 अगस्त को : अखंड सौभाग्य का व्रत-जानिए पूजा-विधि
हरियाली तीज 11 अगस्त को : अखंड सौभाग्य का व्रत-जानिए पूजा-विधि

श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. इसे श्रावणी तीज या कजली तीज भी कहा जाता है. हरियाली तीज राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र के कुछ शहरों में बड़े पैमाने पर मनाई जाती है. यह मुख्यतः महिलाओं का प्रमुख त्यौहार है. राजस्थान, मध्यप्रदेश में इसे सिंजारा तीज के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन नवविवाहित महिलाओं के लिए मायके से सिंजारा भेजा जाता है. इस वर्ष हरियाली तीज 11 अगस्त 2021 बुधवार को आ रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इस दिन महिलाएं हाथ-पैरों में मेहंदी लगाकर, नई चूड़ियां और चुनरी की साड़ी खरीदती हैं और अपनी सखियों के साथ झूला झूलती हैं.

● ऐसे करें हरियाली तीज की पूजा : इस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करके बालू रेत से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन करें. मां पार्वती को सुहाग की सारी सामग्री अर्पित करें. भगवान शिव को बेल, धतूरा आदि से पूजन कर मिष्ठान्न का भोग लगाएं. इसके बाद हरियाली तीज की कथा सुनें. महिलाएं यह व्रत सुहाग की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना से करती हैं.

● हरियाली तीज के दिन मेहंदी का विशेष महत्व : मेहंदी और झूले का खास महत्व हरियाली तीज के दिन मेहंदी का विशेष महत्व बताया गया है. कहा जाता है इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए अपने हाथों में मेंहदी रचाई थी. मां पार्वती की हथेली में रची मेंहदी को देखकर भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए. इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत करके मां पार्वती और भोलेनाथ से अटल सुहाग की कामना करती हैं. श्रावणी तीज के दिन झूले झूलने की भी परंपरा रही है. कहा जाता है, इस दिन झूला जरूर झूलना चाहिए. इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.

● सैकड़ों वर्षो की तपस्या के बाद माता पार्वती भगवान शिव से मिल पाई : पर्व की पौराणिक मान्यता हरियाली तीज के संबंध में कहा जाता है कि इस दिन सैकड़ों वर्षो की तपस्या के बाद माता पार्वती भगवान शिव से मिल पाई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है किभगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने 107 बार जन्म लिया, फिर भी वे उन्हें पा ना सकी. उन्होंने 108 वीं बार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया और शिव को पति रूप में पाने के लिए पुनः तप प्रारंभ किया. इस बार श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन उनके तप का फल मिला और शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया. इस दिन जो महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती की विधिवत पूजा करती है. उनकी जोड़ी को लंबी आयु का वरदान शिवजी से प्राप्त होता है. तीज पर तीन बातें त्यागने का विधान है. तीज के दिन पति से छल-कपट करना, झूठ बोलना एवं दु‌र्व्यवहार करना तथा परनिंदा नहीं करना चाहिए.

● पालीवाल वाणी मीडिया नेटवर्क.Sangeeta Joshi-Sangeeta Paliwal...✍️

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