रतलाम/जावरा

जावरा विधानसभा का महासंग्राम : ईवीएम मशीन ही दिखाइगी किसमे है कितना दम

जगदीश राठौर
जावरा विधानसभा का महासंग्राम : ईवीएम मशीन ही दिखाइगी किसमे है कितना दम
जावरा विधानसभा का महासंग्राम : ईवीएम मशीन ही दिखाइगी किसमे है कितना दम

जगदीश राठौर 94254 90641

जावरा :

रतलाम जिले में जावरा विधानसभा क्रमांक 222 में विधानसभा वर्ष 23 का चुनाव बहुत कशमकश है। मतदान 17 नवंबर 2023 को है। संघर्ष त्रिकोणीय है । तीनों तरफ से उम्मीदवार या उनके अधिकृत प्रतिनिधि एक दूसरे पर व्यंग्य बाण चला रहे हैं। कांग्रेस उम्मीदवार सीधे-सीधे ही मीडिया एवं जनसंपर्क के माध्यम से भाजपा उम्मीदवार पर संगीन आरोप लगाने से बिल्कुल गुरेज नहीं कर रहे हैं।

यही नहीं अपनी कुशल रणनीति से पार्टी के स्थानीय उम्मीदवार के मुद्दे के प्रबल कांग्रेस पार्टी के दावेदार विरोधियों को अपने पाले में ले लिए हैं । हालांकि यह अलग बात है कि राहुल गांधी के साथ मौसम के अनुकूल फल खिलाकर अनेक तस्वीरें मीडिया में वायरल करने वाले टिकट से वंचित एक कृषि से जुड़े दावेदार ने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली है और वह रतलाम ग्रामीण में चुनाव प्रचार पर व्यस्त हैं । इधर कांग्रेस हाई कमान द्वारा अचानक टिकट में तब्दीली से मदहोश 40 साल तक कांग्रेस की सेवा करने वाले प्रमुख नेता  फिलहाल बिल्कुल चुप है । उम्मीद थी कि वह दिग्गी राजा के जावरा आगमन पर उन्हें दर्शन जरूर देंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया । तीसरे ओबीसी वर्ग के दावेदार ने हाई कमान से मंदसौर एवं रतलाम ग्रामीण में प्रचार करने की लिखित अनुमति प्राप्त कर कूटनीतिक दूरी बना ली है । एक बड़े राजनेता के पुत्र को टिकट नहीं मिलने पर पिता  एवं पुत्र दोनों ही दिग्गी राजा की आमसभा में अपनी उपस्थिति नहीं दे पाए, जो चर्चा का विषय है दिग्गज राजनेता की दूरी प्रतिकूल स्वास्थ्य कारण से भी हो सकती है ?  हालांकि इन  प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कांग्रेस उम्मीदवार का जोश, खरोश एवं जज्बा बरकरार देखा जा सकता है, क्योंकि उन्हें कांग्रेस के कुछ पुराने पदाधिकारी और कार्यकर्ता अच्छा सपोर्ट कर रहे हैं यही नहीं उनके जनसंपर्क में भी अच्छी खासी भीड़ दिखाई दे रही है।

सहारा कंपनी से शोषित लोगों को न्याय मिले और जावरा जिला बने यह दो मुद्दे उन्हें चुनावी नेया पार करने में कितने सहायक होंगे यह कहना अभी जल्दबाजी होगी । सबसे खास बात यह है कि जावरा को जिला बनाने का  अधिकांश उम्मीदवारों ने मीडिया के माध्यम से वादा किया है। इधर  3 चुनाव जीत चुके और दो चुनाव हार चुके भाजपा उम्मीदवार जिन्हें राजनीति का बीजगणित, अंक गणित एवं रेखा गणित भली भांति ज्ञात है कांग्रेस उम्मीदवार के आरोप के जवाब पूरे "कॉन्फिडेंस" के साथ दे रहे हैं।

हालांकि भाजपा उम्मीदवार विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ते हुए  चुनावी मैदान में सर्वाधिक वोट लाकर अपराजैय होने का सर्टिफिकेट आगामी 3 दिसंबर को लेने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं, हालांकि उन्हें यह सर्टिफिकेट नहीं मिले इस प्रयास में भाजपा को अलविदा कह चुके पुराने साथी अच्छे खासे स्पीड ब्रेकर बने हुए हैं । मात्र 32 साल के निर्दलीय उम्मीदवार की लीडरशिप  भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय पार्टियों से दुखी जनाधार वाले नेताओं को अपने पाले में लेकर टीम को बहुत ताकतवर बनाते जा रहे हैं।

निर्दलीय उम्मीदवार सर्व समाज के हित में 18 सूत्रीय मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में बहुत  दमखम दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि भले ही विपक्षी  मेरे खिलाफ अनर्गल प्रलाप करें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों कि मैंने हमेशा सर्वहारा वर्ग की लड़ाई लड़ी है और सहारा वर्ग को न्याय दिलाया और भविष्य में भी दिलाता रहूंगा  । यह चुनाव "मैं" नहीं लड़ रहा हूं "जनता" लड़ रही है और आप जानते हैं कि जनता कभी हारती नहीं है।

मेरी जीत होगी तो यह सुनिश्चित रूप से जनता की जीत होगी । जावरा विधानसभा से 8 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है इनमें दो राजनीतिक दलों बहुजन समाज पार्टी एवं आजाद भारत पार्टी के उम्मीदवार भी जोश खरोश के साथ प्रचार प्रसार कर रहे हैं । यह उम्मीदवार कितने वोट लाते हैं यह तो मतदाता तय करेंगे, लेकिन यह जरूर है कि जावरा सीट पर पहली बार दो राजनीतिक दलों का अभ्युदय भाजपा एवं कांग्रेस के वोटो का गणित गड़बड़ करने में सहायक सिद्ध हो सकती है। 

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव काफी चरम पर पहुंच गया है और मतदाता किस पार्टी अथवा निर्दलीय पर भरोसा करेगी यह तो इसी साल 3 दिसंबर 2023 को पता लगेगा। लेकिन इतिहास साक्षी है कि मध्य प्रदेश की राजनीतिक नक्शे पर जावरा का नाम इसलिए प्रिंटेड है कि जावरा विधानसभा के मतदाताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ कैलाश नाथ काटजू , पूर्व गृह मंत्री भारत सिंह एवं पूर्व कृषि मंत्री महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को अपना मताधिकार की ताकत को बता रखा  है।

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