राजसमन्द

पक्षी पिंजरे में नहीं बल्कि घर के आंगन में चहचहाते हुए ही अच्छे लगते हैं. : भावना पालीवाल

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पक्षी पिंजरे में नहीं बल्कि घर के आंगन में चहचहाते हुए ही अच्छे लगते हैं. : भावना पालीवाल
पक्षी पिंजरे में नहीं बल्कि घर के आंगन में चहचहाते हुए ही अच्छे लगते हैं. : भावना पालीवाल

पक्षियों में जान बसती है इन महिलाओ की, तीन वर्षो में हजारो पक्षियों के लिए बनाया आशियाना 

राजसमंद : (Nilesh Paliwal) आधुनिकता के इस दौर में और युवाओं के पाश्चात्य सभ्यता के प्रति बढ़ते रुझान में कोयल की कूक, गौरया की चहचहाहट व कबूतरों की गुटर गूं क्षेत्र से लुप्त होती जा रही है। बच्चों को इन पक्षियों का साक्षात्कार मात्र किताबों से होता है। लेकिन कॅरियर संस्थान राजसमन्द की अध्यक्ष भावना पालीवाल देवगढ़ के सोन चिड़िया मेरी बिटिया अभियान से एक बदलाव आया है बेटियों के नाम से एक बर्ड हाउस ने अभियान का रूप ले लिया है।

इस अभियान का उद्देश्य बिटिया और चिड़िया का संरक्षण है कॅरियर महिला मंडल की महिलाओ द्वारा इन्हें बचाने का अनोखा संकल्प तीन वर्ष पूर्व लिया और सोन चिड़िया मेरी बेटिया अभियान द्वारा गौरैया संरक्षण के लिए प्रयास शुरू किये। अभी तक बेटियों के नाम से 1500 से अधिक बर्ड हाउस बनाये जिन्हें जिले में कई उद्यानों, घरो की बालकनी, दीवारों, खुले स्थानों, छतो और पेड़ो पर लगाये गए।

साथ ही कई जगह पर टाटा, अडानी, अम्बानी, बिरला हाउस  नाम से बर्ड हाउस बनाये। गोरेया मंडल की महिलाओ द्वारा किसी भी सदस्य के जन्मदिन पर और विशेष तोर पर बेटी के जन्मदिन पर इन्हें लगाया जाता है आज इस अभियान से कई संस्थान और लोग जुड़ चुके है और अब नन्हीं गौरैया घर, आंगन और विद्यालयों में चीं-चीं की सुमधुर ध्वनि करती हुई दिखाई दे रही है।

पर्यावरण संरक्षण का सजग प्रहरी बनकर गौरैया संरक्षण हेतु कॅरियर संस्थान राजसमन्द के इस प्रयास की जिले के उच्च अधिकारियो और कई जन्रातिनिधियो ने भी सराहना की है। गौरैया सहित चिड़िया की विभिन्न प्रजातियों को संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम साबित हो रहा है। महिलाओ द्वारा वेस्ट वूडन प्लाई, कूलर ग्रास, वेस्ट कार्टून और मिट्टी के बर्ड हाउस बनाये जा रहे जो पक्षियों के संरक्षण लिए एक सराहनीय कदम है। 

जब जब नया जीवन जन्म लेता है तो प्रकृति आगे बढती है

कॅरियर संस्थान राजसमन्द अध्यक्ष भावना पालीवाल का कहना है की आज हर एक घोंसला हमारे लिए माँ के आँचल के समान है इन पक्षियों में हमारी जान बस्ती है क्योकि वहा जीवन पनप रहा है और जब जब  नया जीवन जन्म लेता है तो प्रकृति आगे बढती है धरती के पक्षी खतरे में हैं. खासकर, गौरैया के तो अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है. इसलिए उन्हें बचाना जरूरी है. पक्षी पिंजरे में नहीं बल्कि घर के आंगन में चहचहाते हुए ही अच्छे लगते हैं. कभी आंगन में फुदकती, तो कभी मुंडेर पर चहकती, कभी अन्न के एक-एक दाने के लिए जुगत लगाती, तो कभी फुर्र से उड़ जाती छोटी सी गौरैया यूं ही मस्ती करती अच्छी लगती है।

महिलाओं को बना रहे गौरैया सखी

कॅरियर संस्थान राजसमन्द की अभियान प्रभारी मीनल पालीवाल ने बताया की महिला मंडल की टोली कई जगह पर  महिलाओं को गौरेया सखी के रूप में भी नियुक्त कर रही है। संस्था द्वारा अब तक सो से ज्यादा महिलाओं को गौरिया सखी बनाया जा चुका है इतना ही नहीं युवाओं की टोली इन सभी को विशेष शपथ भी दिलाती है और इन सभी गौरिया सखी द्वारा मिट्टी के बर्तन वितरित किये जाते हैं, जिसमें कि सभी  सुबह शाम पक्षियों के लिए पानी रख सकें इस मुहिम का विशेष फायदा भी देखने को मिलता है लोग पक्षियों के लिए पानी भी रखते हैं  जब गौरिया उनके यहां पानी पीने और  बर्ड हाउस में आती है तो वे उसकी फोटो खींचकर भी हमें भेजते हैं।

सुखद पारिवारिक जीवन का प्रतीक है गौरैया

गौरैया के घर में आने को जीवन के साथी के साथ एक सुखद संबंध का प्रतीक माना जाता है। साथ ही इसका अर्थ यह भी होता है कि परिवार के सदस्य एक साथ रहकर मिलकर खुशी और सहमति के साथ जीवन जीने की दिशा में प्रयासरत हैं।

इसके अलावा, गौरैया की चहचहाहट बहुत कर्णप्रिय होती है। जो बच्चों को खुशी देता है। इसलिए घर के पास या घर में गौरैया को देखने अच्छे भाग्य की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर के रूप में देखा जाता है।

कॅरियर संस्थान का सोन चिड़िया मेरी बेटिया अभियान - टाटा, अडानी, अम्बानी, बिरला हाउस में रहती है गोरेया 

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